tag:blogger.com,1999:blog-14799206002588423922024-03-13T10:53:17.845-07:00My Storiesthis is not only a hindi sher o shayri site, there is also u can see short stories, articals, poetry in ur own language yes off course in hindi......Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.comBlogger1481125tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-90557849546065686352024-02-26T22:58:00.000-08:002024-02-26T22:58:41.429-08:00Romantic shayri<p> "आज कुछ मुझे, ऐसे खो जाने दो</p><p>हर दूरी को तुम, अब मिट जाने दो</p><p>शर्म और हया के, बंधन तोड़ कर</p><p>साँसों को साँसों से, अब मिल जाने दो"</p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-82203852338466533862024-02-11T07:25:00.000-08:002024-02-11T07:25:54.995-08:00भूत कौन होते हैं???? लेखहम सबने भूतों के बारे मे बहुत सुना है, किसी किसी ने इन्हे देखा भी है ऐसा दावा करते है (मैंने भी देखा है, अपना अनुभव है)। आज जानेंगे ये होते कौंन है?? <div><br /></div><div>ये वह जीवात्मा होती है जो एक समय सीमा के फेर मे फस चुकी है, ये वो आत्माये होती है जो अपनी मृत्यु को अभी तक स्वीकार नही पायी है, और अपने अतीत मे ही रहना चाहती है, किंतु जब अपने से आगे का वक्त और लोगो वो देखती है तो घबराने लगती है, वो ये बताने की कोशिश करती है की सत्य तुम और तुम्हारा ये वक़्त नही बल्कि ये है, और इसी प्रयास के चलते जब वो आम लोगों से संपर्क साधने मे सफल हो जाती है तब जीवित लोगो को लगता है कोई अद्रश्य शक्ति उन्हे परेशां कर रही जबकि अधिकतर ये आत्माये नुकसान नही पहुँचना चाहती बस अपनी उपस्तिथि और वो सही है ये बताने हेतु संपर्क करती है। </div><div><br /></div><div>कुछ आत्माये अपने समय से पूर्व जब देह त्याग देती है तब वो अपने सही समय के आने तक वो भटकती है तो कुछ अपनी अधूरी इच्छा पूर्ति होने तक, तो कुछ अपनी इच्छा से वर्षों तक भटकती है। </div><div><br /></div><div>कुछ आत्माये देह त्यागने के बाद भी भले वो time zone में फँस गयी है किंतु भौतिक सुख की लालसा इन्हे बहुत होती है इसलिए किसी के शरीर मे अपना आशियाना बना कर भौतिक सुख प्राप्त करती है। </div><div><br /></div><div>तांत्रिक इन बेबस आत्माओ को इस time zone se बाहर निकालने का वादा कर के अपने कार्य करवाते हैं और इनका शोषण करते, इन्हे अन्य लोगों को सताने का कार्य करवाते हैं। </div><div><br /></div><div>हर धर्म मे मृत्यु के बाद इस time zone se बाहर निकलने हेतु भिन्न भिन्न संस्कार की व्यवस्था है, किँतु फिर भी ये आत्मा की विभिन्न अवस्थाओ pr निर्भर करता है कि वो मुक्त होना चाहती है कि नही। </div><div><br /></div><div>संचिप्त में इतना कह सकते हैं time zone me फंसी जीवात्मा है bhoot-pret कहलाती है। </div><div><br /></div><div>जय माता दी</div>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-61614130138614949782024-02-11T06:25:00.000-08:002024-02-11T06:25:23.928-08:00धार्मिक और आध्यात्मिक व्यक्ति- लेख<p> <span style="font-family: sans-serif; font-size: large;">एक आध्यात्मिक व्यक्ति और धार्मिक व्यक्ति मे बहुत फर्क होता है, आमतौर पर दोनों को एक समझ लेते हैं जैसे- भगवान्, परमात्मा, देवता, और ईश्वर को, किँतु ये सब अलग है, ठीक वैसे ही धार्मिक और आध्यात्मिक व्यक्ति मे फर्क है,। </span></p><div dir="auto" style="font-family: sans-serif; font-size: large;">धार्मिक व्यक्ति चाहे जिस भी धर्म का हो, वही पुरानी धार्मिक किताबो पर लिखें हुए पर चलता रहता है, खुद कभी सवाल नही करता, ईश्वर से जुड़ कर कभी परम सत्य जो उस किताब मे नही लिखा या पडा उसके बाहर जानने की चेष्टा नही करता, उसने अपनी सोच को एक सीमा मे कैद किया है और वो उससे बाहर निकलना ही नही चाहता, जो परंपरा विरासत मे मिली उसको ही निभा रहा है ये जाने बिना की क्या ये सत्य है भी, पर चला रहा उस परंपरा को। </div><div dir="auto" style="font-family: sans-serif; font-size: large;">एक मिथ जो सदियों से फेलाया हुआ है की महिलाएं मासिक धर्म मे अशुद्ध होती है, इसलिए पूजा नही कर सकती, खाना नही बना सकती, और महिलाएं इस झूठ को सदियों से ढो रही है और आगे भी ढोती रहेंगी। </div><div dir="auto" style="font-family: sans-serif; font-size: large;"><br /></div><div dir="auto" style="font-family: sans-serif; font-size: large;">लेकिन आध्यात्मिक व्यक्ति पुरानी रुदीवादी इस सोच का खंडन करता है, आध्यात्मिक व्यक्ति सिर्फ किसी किताब, मूर्ति या धार्मिक स्थल तक सीमित नही, उसकी सोच व्यापक होती है, वो जिस समुदाय मे जन्म लेते हैं, वहा मौजूद बुराई को खत्म करने का कार्य करते, अपने समुदाय से बुराई मिटाने के लिए गलत को गलत बोलने का साहस रखते हैं न की धर्म का चोगा ओड कर इस परंपरा को आगे बढ़ाते हैं, धीरे- धीरे उनकी बात से जो व्यक्ति सहमत होते जाते हैं वो जुड़ते जाते हैं, उनका एक समूह बन जाता है, नतिजतं परंपरवादी सोच के व्यक्ति उन्हे अपने अपने समुदाय से बेदखल कर देते हैं, प्रताड़ित करते हैं जैसे प्रभु येशु को यहूदियों ने किया, बुद्ध को हिंदुओं ने अपने समुदाय से पृथक कर दिया, महावीर को भी हिंदुओं ने ख़ुद से पृथक कर दिया, क्योंकि इन्होंने धार्मिक विचारधारा को नही बल्कि आध्यात्मिक सोच और विचारधारा को अपनाया। </div><div dir="auto" style="font-family: sans-serif; font-size: large;"><br /></div><div dir="auto" style="font-family: sans-serif; font-size: large;">वही मीरा बाई को देखिये, कृष्ण भक्ति मे डूबी एक महिला, बहुत से तो उसको द्वापर मै किसी गोपी का रूप तक कहते हैं, उसने परंपरवादी सोच को अपनाया, मूर्ति पूजा की, कुछ नया समाज के सामने नही लाई, वही रटी रटाई धर्मिकता दिखाई इसलिए हिंदू बहुत मानते हैं। </div><div dir="auto" style="font-family: sans-serif; font-size: large;"><br /></div><div dir="auto" style="font-family: sans-serif; font-size: large;">किंतु यहाँ एक समस्या और है, जो व्यक्ति आध्यात्मिक हो जाता है, उसकी सोच से जो समाज प्रभावित हो जाता है, वो उस आध्यात्मिक व्यक्ति को ही धर्म बना लेता है, प्रभु येशु ने न बाईबल लिखी न ईसाई धर्म बनाया, न भगवान् बुद्ध ने कोई धर्म बनाया, अपितु इन्होंने आध्यात्मिक परम सत्य से जग को परिचित करवाने का प्रयास किया तो लोगों ने इनको ही धर्म बना दिया </div><div dir="auto" style="font-family: sans-serif; font-size: large;"><br /></div><div dir="auto" style="font-family: sans-serif; font-size: large;">यही मुख्य अंतर है धार्मिक और आध्यात्मिक व्यक्ति मे, धार्मिक व्यक्ति को धर्म के नाम पर मूर्ख बड़े आसानी से बनाया जा सकता है क्योंकि उसकी अपनी कोई सोच समझ नही, लेकिन आध्यात्मिक व्यक्ति को धर्मिकता और ईश्वर के नाम पर मूर्ख नही बनाया जा सकता क्योंकि वो सवाल करना जानता है, उसने रट्टा मार के ज्ञान हासिल नही किया अपितु गहन साधना और सवाल जवाब द्वारा ज्ञान हासिल किया है, इसलिए उसको मूर्ख नही बनाया जा सकता, आध्यात्मिक व्यक्ति जाती, धर्म, संप्रदाय, भाषा, वेश भूषा इत्यादि से परे सत्य का साथ देता है, निरंतर खोज मे रहता है किंतु धार्मिक व्यक्ति सीमित सोच रखता है और उसको ही सत्य मानता है। </div><div dir="auto" style="font-family: sans-serif; font-size: large;">एक कविता जो बचपन मे पड़ी थी वो धार्मिक व्यक्तियों के लिए है </div><div dir="auto" style="font-family: sans-serif; font-size: large;">"सबसे पहले मेरे घर का अंडे जैसा था आकार</div><div dir="auto" style="font-family: sans-serif; font-size: large;">तब मै यही समझती थी की इतना सा ही है संसार"</div>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-45366450349856641082024-02-05T18:16:00.000-08:002024-02-05T18:16:06.463-08:00दर्द भरी शायरी<p> दिल पूछता है, मेरा की मोहब्बत के सिवा, क्या कि खता </p><p>बस बेइंतहा, किसी को चाहने की , हर बार क्यों मिली सज़ा</p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-63763862966999399512024-02-05T18:05:00.000-08:002024-02-05T18:05:42.768-08:00Shayri<p> ज़िंदगी से दर्द बहुत मिला </p><p>पर दिलदार कोई न मिला, </p><p>तन्हा ही रहे कुछ ऐसे की</p><p>साथ किसीका फ़िर न मिला, </p><p><br /></p><p>मोहब्बत में हर बार धोख़ा मिला</p><p>पर सच्चा प्यार कभी कोई न मिला</p><p>दिल तोड़ने वाले आये ज़िंदगी मे </p><p>कोई उमर भर साथ देने वाला न मिला</p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-54301106485885104192024-02-04T00:12:00.000-08:002024-02-04T00:12:27.016-08:00ईश्वर वाणी-299, भगवान् कहाँ है?? <p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgRdtuk6yHdM5_AVT0XdFwTpf7zG90gGrq9s3CcuGDKBiP-chMLslyW27HpuYiKQVRBBt7vG2A1VlSGMDILFZPeam6knz4TiAtidO9Q1_-LClXnbvhanIOw_lN5SeXKtkj92mqCMwC8FeFQJFcqt7UnyqgxFlOuczJ8yB0J_uwKDoypUvwbG8_bZ_bAdOVd/s592/images%20(3).jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="592" data-original-width="518" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgRdtuk6yHdM5_AVT0XdFwTpf7zG90gGrq9s3CcuGDKBiP-chMLslyW27HpuYiKQVRBBt7vG2A1VlSGMDILFZPeam6knz4TiAtidO9Q1_-LClXnbvhanIOw_lN5SeXKtkj92mqCMwC8FeFQJFcqt7UnyqgxFlOuczJ8yB0J_uwKDoypUvwbG8_bZ_bAdOVd/s320/images%20(3).jpeg" width="280" /></a><span style="text-align: left;"><span style="color: #0000ee;"><u>ईश्वर और भगवान् मे यही मुख्य अंतर है, भगवान् के लिए तुम्हें मानव निर्मित मूर्ति और धार्मिक स्थल की आवश्यकता होती है, जबकि ईश्वर जो संपूर्ण और अंनत जगत का स्वामी है, वो न मानव निर्मित मूरत मे है न धार्मिक स्थल मे, जबकि हर एक वस्तु व ब्रमांड उसमे ऐसे समाया है जैसे तुम्हारे शरीर मे तुम्हारे अंग। जैसे शरीर के बिना इन अंगो का कोई मोल नही वैसे ईश्वर के बिना भगवान् का कोई मोल नही। </u></span></span></div><p></p><p style="text-align: center;"><span style="color: #0000ee;"><u>हर वो व्यक्ति भगवान् है जो वक़्त पर किसी के काम आया है, मरते व्यक्ति की जान बचाने वाला चिकित्सक भगवान् है, कर्ज मे डूबे व्यक्ति का कर्ज माफ करने वाला भगवान् है, जबकि ईश्वर इनसे उपर है, प्राणी जाती की सहायता हेतु वो मानव निर्मित भगवान् देश, काल, परिस्तिथि अनुसार भेजता रहता है और भेजता रहेगा, उसको पता है बिना भगवान् को जाने ईश्वर को नही जान सकते जैसे की पवित्र बाइबल मे लिखा है बिना पुत्र को जाने पिता को नही जान सकते। </u></span></p><p style="text-align: center;"><span style="color: #0000ee;"><u><br /></u></span></p><p style="text-align: center;"><span style="color: #0000ee;"><u>प्राचीन हिंदू मन्दिर, शिव लिंग्, शक्ति पीठ मे कोई प्राचीन मूरत किसी मानविये आकर की नही, समस्त गृह नक्षत्र बस एक आकर गोल ही क्यों है??? </u></span></p><p style="text-align: center;"><span style="color: #0000ee;"><u><br /></u></span></p><p style="text-align: center;"><span style="color: #0000ee;"><u>इनसे परमपिता पर्मेश्वर् हमें बताता है मै तो स्वम शून्य हूँ, शून्य अर्थात कुछ न हो कर ख़ुद मे संपूर्ण, ब्रमांड का आकर भी विशाल शून्य है, उसको किसी धार्मिक संस्था की आवश्यकता नही। ईश्वर को प्राप्त करने हेतु किसी मानव निर्मित न मूरत आवश्यकता है न धार्मिक स्थल, पवित्र शास्त्र कहते है एक दिन भगवान् के लोक भी नष्ट् हो जायेंगे, फिर तुम मानव निर्मित आरधानालयों के लिए लड़ते हो, सब एक दिन उस परम आत्मा मे विलीन हो जायेगा जिसे परमात्मा कहते हैं, जो ईश्वर से निकला अवश्य है किंतु कभी नाश न होगा जैसे तुम्हारी आत्मा युग युगों तक नाश नही होती, उस परमात्मा में विलीन हो कर फ़िर से भगवान्, देव, गृहों, व मानव, पशु, पक्षी व जीवों की उत्पति होगी, यही शृष्टि का नियम है, अनन्त है जो चलता रहा है चलता रहेगा। 🙏🙏🙏🙏🙏</u></span></p><p><br /> </p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-71419732634849021992024-02-03T23:54:00.000-08:002024-02-04T00:02:22.287-08:00ईश्वर वाणी-297, ईश्वर कहाँ है, कौन है<p> </p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhbm5FgSZEkAtKP18r3vDOUP_l-Tdw_jrqyXpwHh-kR36iKClZ31cCpDAHqy-FvnT1ZpC3toXNIcFrrJkqCxbNfnAZ9gqPWw42gR_7URGPwf-75G67OTrf51wrLyDAapCxjzy0V-jQY0eXhRptDfTrD-0OFviDpPFqgd3VErQOzzzI9dAUDDJpIDsY4wA3D/s1632/IMG_20231219_142836.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1632" data-original-width="1224" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhbm5FgSZEkAtKP18r3vDOUP_l-Tdw_jrqyXpwHh-kR36iKClZ31cCpDAHqy-FvnT1ZpC3toXNIcFrrJkqCxbNfnAZ9gqPWw42gR_7URGPwf-75G67OTrf51wrLyDAapCxjzy0V-jQY0eXhRptDfTrD-0OFviDpPFqgd3VErQOzzzI9dAUDDJpIDsY4wA3D/s320/IMG_20231219_142836.jpg" width="240" /></a><span style="text-align: left;">एक सच्चा आध्यात्मिक व्यक्ति जब भी उस परम शक्ति का नाम लेता है तो कहता है 'ईश्वर तुम्हारा भला करे', अथवा बात बात पर उसके मुख से ईश्वर शब्द निकलता, ईश्वर शब्द किसी धर्म और धार्मिक मान्यता को नही दर्शता, ईश्वर शून्य है जैसे तुम्हारे जन्म से पूर्व तुम्हारा ये शरीर शून्य था और मृत्यु के बाद शून्य हो जायेगा, ईश्वर शब्द सभी देव, देवता, भगवान्, नबी, अल्ला, गॉड, गृह, नक्षत्र सभी बड़ी से बड़ी दिव्य ऊर्जाओ को ख़ुद मे समाये है जबकि भगवान् शब्द तुम्हे देह से जोड़ता है जो नाशवान है, यही कल्पना तुम्हें मूर्ति से जोड़ती है, यही विचारधारा आध्यात्मिक उन्नति मे बाधा है क्योंकि तुम इससे उपर बड़ना ही नही चाहते, खुद को इस मूरत मे बांध लिया और इसी को सत्य मान कर आपस धर्म के नाम पर लड़ते हो, पर सच्चा आध्यात्मिक व्यक्ति इससे उपर उठ चुका है, वो चाहे घर पर हो अथवा मंदीर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे सब स्थान पर सिर्फ ईश्वर को देखता है न की शरीर और शरीरिक कार्यो को जिसको भगवान् ने इस शरीर द्वारा किए, क्योंकि शरीर नश्वान है मिट गया और ऊर्जा फ़िर दूसरी देह मे चली गयी पर ईश्वर न मिटा है न मिटेगा, ऐसी अनन्त ऊर्जा का वो स्वामी है, इसलिए वो ईश्वर है, जो समस्त जीवों मे है, अनन्त ब्रह्मांड मे है, जिसको किसी स्थान विशेष की आवश्यकता नही क्योंकि वो तो हर स्थान पर है,</span></div>पाप मे भी वो है शैतान स्वरूप मे, नेकी मे भी वो है भगवान् स्वरूप मे। इसलिए सच्चे आध्यात्मिक व्यक्ति उस ईश्वर को पूजते है भले अपने ईष्ट स्वरूप किसी भगवान् की वो पूजा करते हो। <br /><br />जय हो परमपिता पर्मेश्वर् की<br />🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏<br /><p></p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-1176322758122789102024-02-03T09:17:00.000-08:002024-02-03T09:21:36.459-08:00दर्द वाली शायरी<p> कितना आसान था, तेरा मुझसे यु मुहॅ मोड़ना</p><p>कितना आसान था, तेरा ये दिल मेरा तोड़ना</p><p>हम तेरी ख़ुशी के लिए, दर्द में भी मुस्कुराते रहे</p><p>कितना आसान था, तेरा यु तन्हा मुझे छोड़ना</p><p><br /></p><p><br /></p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-29242369793454432462024-01-28T20:54:00.000-08:002024-01-28T20:54:27.943-08:00कविता<p> न तेरे संग रहने का कोई अरमाँ है अब</p><p>न तेरे दूर जाने है कोई अब गम मुझे</p><p>तू खुश है अपनी ज़िंदगी मे ये बहुत है</p><p>क्योंकि न तू , न मैं हमदर्द समझू तुझे</p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-2943863235965915092024-01-28T20:51:00.000-08:002024-01-28T20:51:21.776-08:00प्रभु के लिए कविता<p> Mere pyare prabhu yeshu k liye mere likhe kuchh shabd.... Mere Pratham Aadhyatmik Guru.... Koti koti naman, Happy Birthday Jesus.। I love you</p><p><br /></p><p>दुनिया ने ठुकराया, बस तूने अपनाया है</p><p>हारो का येशु, तूने गले मुझे लगाया है</p><p>करू तेरी स्तुति, करूँ तुझको नमन मै</p><p>येशु ने मुझको, अपने दिलमे बसाया है</p><p><br /></p><p>राजाओं के राजा, तु मेरे दिलमे समाया है</p><p>ऐ मेरे मालिक, बस तुझे अपना बनाया है</p><p>तू है सच्चा गुरु, मेरा तुही सच्चा रब है </p><p>दर्शन देने के लिए, आज तू मेरे घर पे आया है</p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-82776255511865754592024-01-28T20:45:00.000-08:002024-01-28T20:48:54.206-08:00प्यार वाली शायरी<p><span style="vertical-align: inherit;"><span style="vertical-align: inherit;"> जय सिया राम। </span></span></p><p><span style="vertical-align: inherit;"><span style="vertical-align: inherit;">"जैसे सिया बिन राम अधूरे</span></span></p><p><span style="vertical-align: inherit;"><span style="vertical-align: inherit;">राधा बिन घनश्याम अधूरे</span></span></p><p><span style="vertical-align: inherit;"><span style="vertical-align: inherit;">वैसे ही दिल-ओ-जान से</span></span></p><p><span style="vertical-align: inherit;"><span style="vertical-align: inherit;"> तुम बिन हम सुबह शाम अधूरे"</span></span></p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-71968897285764979122024-01-28T20:42:00.000-08:002024-01-28T20:47:02.132-08:00प्यारी वाली शायरी<p><span style="vertical-align: inherit;"><span style="vertical-align: inherit;"><span style="vertical-align: inherit;"><span style="vertical-align: inherit;"> जिंदगी में पग-पग, मिल रही है मुझे चुनोती है</span></span></span></span></p><p><span style="vertical-align: inherit;"><span style="vertical-align: inherit;"><span style="vertical-align: inherit;"><span style="vertical-align: inherit;">येशु इक तुही, मेरे जीवन की ज्योति है</span></span></span></span></p><p><span style="vertical-align: inherit;"><span style="vertical-align: inherit;"><span style="vertical-align: inherit;"><span style="vertical-align: inherit;">दुनिया से जीते खुदसे हार गए है</span></span></span></span></p><p><span style="vertical-align: inherit;"><span style="vertical-align: inherit;"><span style="vertical-align: inherit;"><span style="vertical-align: inherit;">कर के याद, मीठी- ख़ुशी के लिए रोती है</span></span></span></span></p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-9849292232426650932024-01-28T20:40:00.000-08:002024-01-28T20:40:17.287-08:00शायरी<p> हम तो जीते जी, यु मर गए</p><p>दुनिया से लड़ते लड़ते, अब थक गए </p><p>एक आसरा है , तेरा सभाल ले हमें अब</p><p>हम तो अब बस ,ख़ुद से ही हार गए</p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-17007804694209411042023-10-12T23:47:00.003-07:002023-10-12T23:47:38.718-07:00Dard bhari kavita<p> जा अब तेरा इंतज़ार करना भी छोड़ दिया</p><p>जा तुझसे इज़हार करना भी अब छोड़ दिया</p><p>तु जी ले अपनी ज़िंदगी जैसा तू चाहे अब</p><p>जा अब तुझसे प्यार करना भी छोड़ दिया</p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-66590525525781537152023-10-04T10:07:00.000-07:002023-10-04T10:07:01.594-07:00बहुत याद आता है (मेरी कविता) <p> फ़िर वक़्त वो ....पुराना बहुत याद आता है</p><p>गुजरा वो बीता....ज़माना बहुत सताता है</p><p>है पता मुझे....न लौटेंगे वो पल फ़िर कभी</p><p>वो रूठे हम ....तेरा मनाना बहुत याद आता है</p><p><br /></p><p>खुशियों का वो..खज़ाना बहुत याद आता है</p><p>संग तेरे यु घर ..को सज़ाना बहुत याद आता है</p><p>हर लम्हे जो ....जिये संग मैंने कभी तुम्हारे</p><p> मोहब्बत मे तेरा..यु सताना बहुत याद आता है</p><p><br /></p><p> हँसा कर फ़िर..यु रुलाना बहुत याद आता है</p><p>रुला कर तेरा..फ़िर यु हसाना बहुत याद आता है</p><p>साथ तेरा चलना ..और फ़िर दूर मुझसे जाना</p><p>फ़िर जुदाई का ..तेरा बहाना बहुत याद आता है</p><p><br /></p><p>जीवन की जीत मे ..फिर तुझे हराना बहुत याद आता है</p><p>मेरी हार पर मुझे ..फ़िर तेरा समझना बहुत याद आता है</p><p>जो है आज "मीठी" ..तेरी ही वज़ह से तो है बस अब</p><p>पल-पल "खुशी" ..का फ़िर वो तराना बहुत याद आता है</p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-85790866879558711842023-10-03T05:52:00.001-07:002023-10-03T05:52:04.752-07:00दर्द वाली शायरी<p> दर्द अपना छिपा कर मुस्कुरा लेते है</p><p>रोते-रोते युही कुछ गुनगुना लेते हैं</p><p>कोई जान न ले मेरे दर्द की वज़ह</p><p>इसलिए हँसकर ख़ुद को ही सज़ा देते हैं</p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-75750907799461904852023-10-03T05:35:00.003-07:002023-10-03T05:35:52.521-07:00Sad shayri<p> दर्द अपना छिपा कर मुस्कुरा लेते है</p><p>रोते-रोते युही कुछ गुनगुना लेते हैं</p><p>कोई जान न ले मेरे दर्द की वज़ह</p><p>इसलिए हँस कर अश्क छिपा लेते है</p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-10009201203399407412023-10-03T05:26:00.000-07:002023-10-03T05:26:03.754-07:00Love comedy shayri<p> खुद को अब समझाया नही जाता </p><p>तुमसे दूर और जाया नही जाता</p><p>तुम मोहब्बत हो मेरी या हो भूत</p><p>आँखों से तुम्हारा साया नही जाता</p><p>😂🤣😂🤣😂🤣😂🤣</p><p><br /></p><p>#shayriquotes #hindicomedy #shayaristatus</p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-20827813624509456942023-10-03T05:24:00.001-07:002023-10-03T05:24:22.640-07:00Love shayri<p> ज़िंदगी मे अब एक किनारा ढूंढते है</p><p>थक चुके अकेले एक सहारा ढूंढते है</p><p>जो थाम कर चले हाथ उमर भर मेरा</p><p>बस एक वो साथी हमारा ढूँढते है</p><p><br /></p><p><br /></p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-86991066211919859722023-09-20T08:01:00.005-07:002023-09-20T08:01:47.742-07:00मेरी बच्ची (my pet) के लिए एक कविता<p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgVZqjdBvXHm3B0Oq1kHZVFCXL11ba-3HSoNn5H98lEpE4079fJlJMRMgMJqdWn9VGVNZ9l74Lf1w13EzIj4_Oqr-R3VNxMtLsItN5u5Wq8-_SPec0EPIhzHxYmfkMcuK-5nGjAGobkG27Y0EQXq7B0VSqn2n0E8ocqShnhSSK4EbyDmlLUdJ6vqJ4N7KZv/s2408/Screenshot_2023-09-20-17-45-08-926_com.google.android.apps.photos.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="2408" data-original-width="1080" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgVZqjdBvXHm3B0Oq1kHZVFCXL11ba-3HSoNn5H98lEpE4079fJlJMRMgMJqdWn9VGVNZ9l74Lf1w13EzIj4_Oqr-R3VNxMtLsItN5u5Wq8-_SPec0EPIhzHxYmfkMcuK-5nGjAGobkG27Y0EQXq7B0VSqn2n0E8ocqShnhSSK4EbyDmlLUdJ6vqJ4N7KZv/s320/Screenshot_2023-09-20-17-45-08-926_com.google.android.apps.photos.jpg" width="144" /></a></div><br /> <p></p><p dir="ltr"><b><i>आज भी वो जमाना याद है मुझे<br />
गुस्से मे तेरा घूर्राना याद है मुझे<br />
नन्ही 7 दिन की परी आई थी घर मेरे<br />
गोद तुझे उठा कर यू घूमना याद है मुझे</i></b></p>
<p dir="ltr"><b><i>"मेरी बेटी स्वीटी मिश्रा, मेरी परी"</i></b></p>
<p dir="ltr"><b><i>20 April 2000- 20/ September/2011...Bossy's Grandmother 🥰🥰</i></b></p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-55092713027380860672023-07-27T12:35:00.000-07:002023-07-27T12:35:02.514-07:00Romantic shayri<p> हम तुम्हे जितना चाहने लगे है</p><p>दुनिया से दूर क्यों जाने लगे हैं</p><p>ये असर है तेरी आशिकी का मुझपर</p><p>खुद से बेखबर करीब तेरे आने लगे है</p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-39974571301001880672023-07-27T12:33:00.004-07:002023-07-27T12:33:58.205-07:00 "हाँ मैं भी एक हिंदू हूँ" (एक सच्ची कहानी)<p> "हाँ मैं भी एक हिंदू हूँ" (एक सच्ची कहानी)</p><p> Note-: ye ek sachhi kahani hai par gopniyata ke karan sthan aur charitra ke naam hmne badal diye hai) </p><p><br /></p><p><br /></p><p>आज जीवन के इन आखिरी छड़ों मे मैं अपने परिवार को अपने सामने खड़े देख पा रहा हूँ, बरसों बाद आज फ़िर मुझे मेरे माता-पिता और अपने 5 बड़े भाईयो और हमारी इकलौती बहन पुष्पा को देख पा रहा हूँ, ये लोग आज भी वैसे ही दिख रहे है जैसे बरसों पहले दिखते थे.</p><p><br /></p><p>1947 से पहले मेरा पूरा परिवार कराची मे रहता था, हम एक सम्रध हिंदू परिवार व उच्च जाति से थे, अब कौन सी जाति से थे मुझे नही लगता अब इसको बताने का कोई औचित्य रह गया है.</p><p><br /></p><p>मेरे पिता रेलवे मे रेल चालक की नौकरी करते थे, घरमे किसी चीज की कोई कमी नही थी, लेकिन फ़िर एक ऐसा दौर आया जिसने हमारा सबकुछ छीन लिया और ये दिन था 15 अगस्त 1947,</p><p><br /></p><p>भले इस दिन भारत को आज़ादी मिली हो पर मेरे जैसे लाखों लोगों की ज़िंदगी बर्बादी का कारण शायद यही है.</p><p>1947 के बटवारे के बाद मेरे दादा/दादी चाचा/चाची और उनके बच्चों समेत सभी लोगो को मार दिया गया क्योंकि हम हिंदू थे और मेरे पिता किसी तरह मेरी मा और 5 भाइयों को ज़िंदा हिंदुस्तान लाने मे किसी तरह कामयाब रहे, वो रेल चालक की नौकरी करते थे इसलिए शायद इसका उनको लाभ मिला और रेल इंजन मे किसी तरह छिपा कर वो उन्हे भारत ले आये इस उम्मीद मे कम से कम अब यहाँ तो हम सुरक्षित है.</p><p><br /></p><p>मेरा परिवार पहले दिल्ली पहुँच और कुछ दिन शरणार्थी कैंप मे रहा फ़िर आगरा चला गया क्योंकि मेरे पिता का तबादला अब आगरा हो चुका था, कुछ दिन वहाँ रेलवे के सरकारी घर मे मेरा परिवार रहा पर फ़िर मेरे पिता ने वही एक ज़मीन का टुकडा ख़रीद कर मेरे भाइयों और मा के लिए एक घर बनवा दिया जिसमे वो लोग चेन से रह सके पर क्या ऐसा हो सका.. </p><p><br /></p><p>1957 को मेरी बड़ी बहन का जन्म इसी घर मे हुआ जिसका नाम माता पिता ने पुष्पा रखा और 1960 में जन्म हुआ मेरा जिसका नाम रखा गया मनोहर जिसको सब प्यार से मन्नू बुलाते थे.</p><p><br /></p><p>मैं जब 5/6 साल का था तो मेरे पिताजी दुनिया छोड़ गए, मैं अब थोड़ा थोड़ा दुनियादारी समझने लगा था, मैंने देखा इस दुख की घडी मे कोई पड़ोसी हमारे घर नही आया और रिश्तेदार तो कोई बचे ही नही थे, लोग हमें पाकिस्तानी और मुसलमान बोल कर ताना देने लगे, किसी तरह पिता का अंतिम संस्कार किया, वक़्त के साथ हम सब संभलने की कोशिश कर रहे थे, रेलवे ने पिता की नौकरी बड़े भाई को देदी और कुछ आर्थिक सहायता भी रेलवे की तरफ से मिल गयी.</p><p><br /></p><p>जीवन अब संभलने लगा था पर जैसे जैसे मैं बड़ा हो रहा था मुझे लोगों द्वारा किया भेदभाव समझ आ रहा था, मैं देखता था लोग हमसे बातचीत तो करते है पर अपने घर किसी समारोह या कार्यक्रम मे नही बुलाते यह तक की मेरे विद्यालय मे भी ऐसा वयवहार मेरे साथ होता, मुझे समझ नही आता था आखिर क्यों लोग ऐसा हमारे साथ करते है.</p><p><br /></p><p>जब मैं, 10 साल का हुआ तो मा ने बड़े भाई से कहा मेरी उमर हो चुकी है तुम मेरे सामने अपनी छोटी बहन की शादी कर दो, भाई ने कहा कोई अच्छा लड़का मिलेगा तो जरूर कर दूंगा इसकी शादी, बड़ी मुश्किल से एक पुरुष मिला जिसकी पहले ही 2 शादी हो चुकी थी पर कोई पत्नी जीवित नही थी, मा ने इस रिश्ते पर ऐतराज दिखाया तो भाई ने कहा यहाँ हमें कोई नही अपनाता है, सबके liye हम मुसलमान और पाकिस्तानी है, कोई यहाँ हमारा नही है, लोगों से बोल बोल कर थक चुके की हां मैं भी 'हिंदू' हूँ और हिंदुस्तानी भी लेकिन फ़िर भी जलील होना पड़ता हमे यहाँ जैसे हमे कोई गलती कर दी हो यहाँ आ कर, भाई की बात सुन कर मा कुछ नही कहती और बहन के लिए इस रिश्ते को स्वीकार कर लेती है.</p><p><br /></p><p>शादी तय हो जाती है पर जैसे जैसे शादी का समय नज़्दीक आने लगता है मेरी बहन बीमार रहने लगती है, रेलवे के अस्पताल मे उसका उपचार करवाया जाता है पर तबियत बिगड़ती ही जाती है और आखिर विवाह से ठीक 2 दिन पहले वो दुनिया छोड़ जाती है, क्या सोचा था क्या हो गया, मेरा पूरा परिवार गम मे डूब जाता है.</p><p><br /></p><p>धीरे धीरे हम सब फ़िर संभलने की कोशिश कर रहे थे तो मा ने भाइयों से कहा तुम लोग जवान हो चुके हो अपनी शादी के बारे मे सोचो कुछ, भाई ने फ़िर कहा यहाँ हमारी शादी कभी नही होगी बस इस देश ने ज़िंदगी दे दी यही बहुत बड़ा अहसाँ कर दिया.</p><p><br /></p><p>उसके बाद मेरे सभी भाइयों को रैलवे मे नोकरी मिल गयी और वो सब पैसे कमाने पर ध्यान देने लगे पर अचानक अज्ञात बीमारी से मेरे बड़े भाई की मृत्यु हो गयी और इसका सदमा अब मा बर्दाश्त न कर सकी और वो भी हमे छोड़ के चली गयी, इसके बाद ऐसी मनहुसियात् हुई की 2 साल के अंदर मेरे सभी भाई मर गयी और मै 15 साल की उमर मे अकेला रह गया.</p><p><br /></p><p>जो पड़ोसी मुझे और मेरे परिवार को मुस्लिम और पाकिस्तानी बोल कर भेदभाव करते थे वो अचानक वो मेरे प्रति बड़े मीठे बन गए, लेकिन उनका ये दिखावा जल्द ही इससे पर्दा उठ गया क्योंकि उन लोगो ने मुझे एक दिन मेरे ही घर घर से बाहर निकाल कर घर पर कब्जा कर लिया, मै रोता बिलखता रहा, कुछ नही समझ पा रहा था क्या करू कहा जाऊ किससे मदद माँगू, फ़िर उनमे से किसी को पता चला की मेरे पास नकद और पुश्तेनी जेवर अभी बहुत है, पैसा और जेवरो को छिनने हेतु फ़िर एक षड्यंत्र उन्होंने रचा.</p><p><br /></p><p>मुझे कहा तुम्हे रहने के लिए एक कमरा जो बहार की तरफ है वो दे देंगे और खाने को दे दिया करेंगे बीमार होने पर इलाज हम करवायंगे बस तुम हमें अपनी मा के गहने और जो नगद तुम्हारे पास है वो दे दिया करना, मै मान गया.</p><p><br /></p><p>करीब 2 साल तक तो मै वैसा करता रहा जैसे पड़ोसियों ने कहा था किंतु अब उनको पैसे देश बंद कर दिया और छोटी मोटी नौकरी करने लगा, पड़ोसियों को पता लग गया की मै बातों मे नही आ रहा तो उन्होंने मेरी शादी करवाने का प्रलोभन दिया, मै फ़िर उनकी बातों मे आ गया और पुश्तेनी जेवर और पैसे उनके मांगने पर देता रहा पर वो लोग मेरे साथ छल करते रहे और बहुत साल बाद अहसास हुआ वो बस मेरे अकेलेपन का फायदा उठा रहे थे, मैंने शादी का इरादा छोड़ दिया और अपने अकेले जीवन मे व्यस्त हो गया.</p><p><br /></p><p>आज 2017 मैं फेफड़ों कैंसर से झूझ रहा हूँ और जानता हूँ अब मेरा भी वक़्त आ गया है इस दुनिया से विदा लेने का पर एक सवाल छोड़ कर जाना चाहता हूँ "क्या कोई शरणार्थी हिंदू नही हो सकता, क्या हिंदुस्तान उन लोगों को हिंदू नही मानता और अपना नही मानता जिनका कोई इस देश मे पहले से न रहा हो, जो मेरी कहानी है ऐसे कई मनोहरो की ये कहानी रही होगी और इस तन्हाई और अकेलेपन के साथ इस ज़िंदगी को अलविदा कहा होगा, आख़िर हम भी हिंदू है पर कसूर इतना है हम उस तरफ से आये है, जैसे वहाँ मुस्लिम्स को मुहाज़िर कहा गया hme कौनसा सम्मान दिया गया यहाँ, हम भी हिंदू है और क्या कभी हमे इंसाफ मिलेगा "</p><p><br /></p><p>Writer-Archana Mishra</p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-63908213377327033182023-07-27T12:33:00.000-07:002023-07-27T12:33:00.110-07:00देश के नाम कविता<p> आज ये कैसा लोक्तंत्र है, मचा हड़कंप है</p><p>आँसुओं मे देखो, आज डूबा हर जनतंत्र है</p><p><br /></p><p>लुट रही आबरू हर पल बेटियों की रोज</p><p>खामोश है देश,क्या आज ऐसा ये गणतंत्र है</p><p><br /></p><p>इसी के खातिर शहीद हुए भारत के ये वीर</p><p>आज दूषित राजनीति,का कैसा ये षड्यंत्र है</p><p><br /></p><p>अपने लिये जीने वाले आये राजा मतवाले</p><p>मत भूल ये देश है भारत,न की तेरा राजतंत्र है</p><p><br /></p><p>खुद को खुदा समझने की भूल तु जो कर बैठा</p><p>भूल गया तू, की देश मे अभी भी लोक्तंत्र है</p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-38449902454229208732023-07-27T12:26:00.002-07:002023-07-27T12:26:11.192-07:00Meri rachna<p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgplmim79BlPGWmFniWd1UzRrEq-MXGpPMFeMf0JWMlaVGNBezRKUa8hYhDio8l9LNnf7a-LAUOKPxkFWj2rsb_ee448I3YVQFZdSst4Ltm20wgaPyOzr_vj-TSo_aAXfIvc0ecQ5rGaysVGPoHsxZQCsVRKML37UlKKvmufBkJ7LtdF1FpDuFN260R7Rmf/s1632/IMG_20230720_113043.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1632" data-original-width="736" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgplmim79BlPGWmFniWd1UzRrEq-MXGpPMFeMf0JWMlaVGNBezRKUa8hYhDio8l9LNnf7a-LAUOKPxkFWj2rsb_ee448I3YVQFZdSst4Ltm20wgaPyOzr_vj-TSo_aAXfIvc0ecQ5rGaysVGPoHsxZQCsVRKML37UlKKvmufBkJ7LtdF1FpDuFN260R7Rmf/s320/IMG_20230720_113043.jpg" width="144" /></a></div><p><br /></p><p></p><p>" बचपन की वो नादाँ सी चाहत थी</p><p>बस एक चुलबुली सी कोई हरकत थी</p><p>दिल ही दिल मे बसने लगे थे हम उनके</p><p>ज़िंदगी की पहली वो मोहब्बत थी " </p><p><br /></p><p><br /></p><p> "फ़िर वो ज़माना बहुत याद आता है</p><p>घर वो पुराना बहुत याद आता है</p><p>बीते पल वो जिनके साये मे कभी</p><p>दोस्ती वो याराना बहुत याद आता है"</p><p> </p>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1479920600258842392.post-19056004825812653482023-05-22T01:16:00.001-07:002023-05-22T01:17:50.103-07:00"हाँ मैं भी एक हिंदू हूँ" (एक सच्ची कहानी) <p> <span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>Note-: ye ek sachhi kahani hai par gopniyata ke karan sthan aur charitra ke naam hmne badal diye hai) </b></span></p><div class="mail-message expanded" id="m#msg-a:r-8123683975808944071"><div class="mail-message-content collapsible zoom-normal mail-show-images" style="margin: 16px 0px; overflow-wrap: break-word; user-select: auto; width: 361.091px;"><div class="clear"><div dir="auto"><div dir="auto"><div style="margin: 16px 0px; width: 361.091px;"><div dir="auto"><div dir="auto"><div style="margin: 16px 0px; width: 361.091px;"><div dir="auto"><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>आज जीवन के इन आखिरी छड़ों मे मैं अपने परिवार को अपने सामने खड़े देख पा रहा हूँ, बरसों बाद आज फ़िर मुझे मेरे माता-पिता और अपने 5 बड़े भाईयो और हमारी इकलौती बहन पुष्पा को देख पा रहा हूँ, ये लोग आज भी वैसे ही दिख रहे है जैसे बरसों पहले दिखते थे.</b></span><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>1947 से पहले मेरा पूरा परिवार कराची मे रहता था, हम एक सम्रध हिंदू परिवार व उच्च जाति से थे, अब कौन सी जाति से थे मुझे नही लगता अब इसको बताने का कोई औचित्य रह गया है.</b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>मेरे पिता रेलवे मे रेल चालक की नौकरी करते थे, घरमे किसी चीज की कोई कमी नही थी, लेकिन फ़िर एक ऐसा दौर आया जिसने हमारा सबकुछ छीन लिया और ये दिन था 15 अगस्त 1947,</b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>भले इस दिन भारत को आज़ादी मिली हो पर मेरे जैसे लाखों लोगों की ज़िंदगी बर्बादी का कारण शायद यही है.</b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>1947 के बटवारे के बाद मेरे दादा/दादी चाचा/चाची और उनके बच्चों समेत सभी लोगो को मार दिया गया क्योंकि हम हिंदू थे और मेरे पिता किसी तरह मेरी मा और 5 भाइयों को ज़िंदा हिंदुस्तान लाने मे किसी तरह कामयाब रहे, वो रेल चालक की नौकरी करते थे इसलिए शायद इसका उनको लाभ मिला और रेल इंजन मे किसी तरह छिपा कर वो उन्हे भारत ले आये इस उम्मीद मे कम से कम अब यहाँ तो हम सुरक्षित है.</b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>मेरा परिवार पहले दिल्ली पहुँच और कुछ दिन शरणार्थी कैंप मे रहा फ़िर आगरा चला गया क्योंकि मेरे पिता का तबादला अब आगरा हो चुका था, कुछ दिन वहाँ रेलवे के सरकारी घर मे मेरा परिवार रहा पर फ़िर मेरे पिता ने वही एक ज़मीन का टुकडा ख़रीद कर मेरे भाइयों और मा के लिए एक घर बनवा दिया जिसमे वो लोग चेन से रह सके पर क्या ऐसा हो सका.. </b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>1957 को मेरी बड़ी बहन का जन्म इसी घर मे हुआ जिसका नाम माता पिता ने पुष्पा रखा और 1960 में जन्म हुआ मेरा जिसका नाम रखा गया मनोहर जिसको सब प्यार से मन्नू बुलाते थे.</b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>मैं जब 5/6 साल का था तो मेरे पिताजी दुनिया छोड़ गए, मैं अब थोड़ा थोड़ा दुनियादारी समझने लगा था, मैंने देखा इस दुख की घडी मे कोई पड़ोसी हमारे घर नही आया और रिश्तेदार तो कोई बचे ही नही थे, लोग हमें पाकिस्तानी और मुसलमान बोल कर ताना देने लगे, किसी तरह पिता का अंतिम संस्कार किया, वक़्त के साथ हम सब संभलने की कोशिश कर रहे थे, रेलवे ने पिता की नौकरी बड़े भाई को देदी और कुछ आर्थिक सहायता भी रेलवे की तरफ से मिल गयी.</b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>जीवन अब संभलने लगा था पर जैसे जैसे मैं बड़ा हो रहा था मुझे लोगों द्वारा किया भेदभाव समझ आ रहा था, मैं देखता था लोग हमसे बातचीत तो करते है पर अपने घर किसी समारोह या कार्यक्रम मे नही बुलाते यह तक की मेरे विद्यालय मे भी ऐसा वयवहार मेरे साथ होता, मुझे समझ नही आता था आखिर क्यों लोग ऐसा हमारे साथ करते है.</b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>जब मैं, 10 साल का हुआ तो मा ने बड़े भाई से कहा मेरी उमर हो चुकी है तुम मेरे सामने अपनी छोटी बहन की शादी कर दो, भाई ने कहा कोई अच्छा लड़का मिलेगा तो जरूर कर दूंगा इसकी शादी, बड़ी मुश्किल से एक पुरुष मिला जिसकी पहले ही 2 शादी हो चुकी थी पर कोई पत्नी जीवित नही थी, मा ने इस रिश्ते पर ऐतराज दिखाया तो भाई ने कहा यहाँ हमें कोई नही अपनाता है, सबके liye हम मुसलमान और पाकिस्तानी है, कोई यहाँ हमारा नही है, लोगों से बोल बोल कर थक चुके की हां मैं भी 'हिंदू' हूँ और हिंदुस्तानी भी लेकिन फ़िर भी जलील होना पड़ता हमे यहाँ जैसे हमे कोई गलती कर दी हो यहाँ आ कर, भाई की बात सुन कर मा कुछ नही कहती और बहन के लिए इस रिश्ते को स्वीकार कर लेती है.</b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>शादी तय हो जाती है पर जैसे जैसे शादी का समय नज़्दीक आने लगता है मेरी बहन बीमार रहने लगती है, रेलवे के अस्पताल मे उसका उपचार करवाया जाता है पर तबियत बिगड़ती ही जाती है और आखिर विवाह से ठीक 2 दिन पहले वो दुनिया छोड़ जाती है, क्या सोचा था क्या हो गया, मेरा पूरा परिवार गम मे डूब जाता है.</b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>धीरे धीरे हम सब फ़िर संभलने की कोशिश कर रहे थे तो मा ने भाइयों से कहा तुम लोग जवान हो चुके हो अपनी शादी के बारे मे सोचो कुछ, भाई ने फ़िर कहा यहाँ हमारी शादी कभी नही होगी बस इस देश ने ज़िंदगी दे दी यही बहुत बड़ा अहसाँ कर दिया.</b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>उसके बाद मेरे सभी भाइयों को रैलवे मे नोकरी मिल गयी और वो सब पैसे कमाने पर ध्यान देने लगे पर अचानक अज्ञात बीमारी से मेरे बड़े भाई की मृत्यु हो गयी और इसका सदमा अब मा बर्दाश्त न कर सकी और वो भी हमे छोड़ के चली गयी, इसके बाद ऐसी मनहुसियात् हुई की 2 साल के अंदर मेरे सभी भाई मर गयी और मै 15 साल की उमर मे अकेला रह गया.</b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>जो पड़ोसी मुझे और मेरे परिवार को मुस्लिम और पाकिस्तानी बोल कर भेदभाव करते थे वो अचानक वो मेरे प्रति बड़े मीठे बन गए, लेकिन उनका ये दिखावा जल्द ही इससे पर्दा उठ गया क्योंकि उन लोगो ने मुझे एक दिन मेरे ही घर घर से बाहर निकाल कर घर पर कब्जा कर लिया, मै रोता बिलखता रहा, कुछ नही समझ पा रहा था क्या करू कहा जाऊ किससे मदद माँगू, फ़िर उनमे से किसी को पता चला की मेरे पास नकद और पुश्तेनी जेवर अभी बहुत है, पैसा और जेवरो को छिनने हेतु फ़िर एक षड्यंत्र उन्होंने रचा.</b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>मुझे कहा तुम्हे रहने के लिए एक कमरा जो बहार की तरफ है वो दे देंगे और खाने को दे दिया करेंगे बीमार होने पर इलाज हम करवायंगे बस तुम हमें अपनी मा के गहने और जो नगद तुम्हारे पास है वो दे दिया करना, मै मान गया.</b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>करीब 2 साल तक तो मै वैसा करता रहा जैसे पड़ोसियों ने कहा था किंतु अब उनको पैसे देश बंद कर दिया और छोटी मोटी नौकरी करने लगा, पड़ोसियों को पता लग गया की मै बातों मे नही आ रहा तो उन्होंने मेरी शादी करवाने का प्रलोभन दिया, मै फ़िर उनकी बातों मे आ गया और पुश्तेनी जेवर और पैसे उनके मांगने पर देता रहा पर वो लोग मेरे साथ छल करते रहे और बहुत साल बाद अहसास हुआ वो बस मेरे अकेलेपन का फायदा उठा रहे थे, मैंने शादी का इरादा छोड़ दिया और अपने अकेले जीवन मे व्यस्त हो गया.</b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>आज 2017 मैं फेफड़ों कैंसर से झूझ रहा हूँ और जानता हूँ अब मेरा भी वक़्त आ गया है इस दुनिया से विदा लेने का पर एक सवाल छोड़ कर जाना चाहता हूँ "क्या कोई शरणार्थी हिंदू नही हो सकता, क्या हिंदुस्तान उन लोगों को हिंदू नही मानता और अपना नही मानता जिनका कोई इस देश मे पहले से न रहा हो, जो मेरी कहानी है ऐसे कई मनोहरो की ये कहानी रही होगी और इस तन्हाई और अकेलेपन के साथ इस ज़िंदगी को अलविदा कहा होगा, आख़िर हम भी हिंदू है पर कसूर इतना है हम उस तरफ से आये है, जैसे वहाँ मुस्लिम्स को मुहाज़िर कहा गया hme कौनसा सम्मान दिया गया यहाँ, हम भी हिंदू है और क्या कभी हमे इंसाफ मिलेगा "</b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div><div dir="auto"><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b>Writer-Archana Mishra </b></span></div></div></div><div style="height: 0px;"></div></div><span style="font-family: arial; font-size: medium;"><b><br /></b></span></div></div><div style="height: 0px;"></div></div><br /></div></div></div><div class="mail-message-footer spacer collapsible" style="font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; height: 0px;"></div></div>Mackshttp://www.blogger.com/profile/05748442039009676920noreply@blogger.com0