Wednesday 18 April 2012

dosti

Khuda ki rehmat ho tum, kaaynat me sabse pyare ho tum, h nhi jahan me tum jaisa koi, par ye na bhulna kabi ki aakhir dost b to hmare ho tum....

Rishta ho ya jakham.........

Rishta ho ya jakham, jab dene lage taklif to pahle usse thik krne ki koshish krni chahiye, par har koshish agr nakaam ho jaye to chahe rishta ho ya sharir pe jakhm wala wo hissa usse khud se alag kr dena chahiye, mana bht taklif hogi usme, par wo taklif har roz milne wale dard se to kam hogi, dhire dhire waqt k saath ghaav bhar jaynge, aur uss dard ka ahsaas bhi kam ho jaayga, lekin agr hm inhe khud se juda na krenge to zindgi bhar dard k saath jine par mazbur rahenge, ye faisla khud ko lena h ki zindgi bhar ka dard sehana h ya kuch der ka dard le kr zindgi bhar chen se jina h....

ek tara hoon main....

Aasman me chamkta ek tara hon main, aasman ka sabse khubsurat nazara hon main, nahi ho sakti bin mere roshni aasman me, bin mere na puchhega koi usse, pure aasman ki khubsurti badata eklauta sitara hon main, aasman ka dil aur uski aatma hon main, aasman ka dhadakta dil hon main, aasman ka gorur hon main, aasman ki aankhon ka noor hon main kyon aasman me chakta ek tara hon main....

Saturday 14 April 2012

dostiiiiiiiiii

Dosti
dosti to dilon k milne se hoti hai, yu to raah mein jaane kitne mil jaate hain unhe hum baat hi baat mein dost b kah dete hain par wo hmare dost nahi hote sirf jaanne wale ho jaate hain, dosti aur pyaar ka kuch pata nahi hota kab kahan kis se ho jaaye koi jaan nahi sakta, kab dil se dil mil jaaye aur ek pyaar dost hume mil jaaye...




 dosti
dosti to dilon ke milne se hoti hai yu to zindagi ki raah mein jaane kitno se mulaakat hoti hai, chalte chalte raah mein koi ajnabi mil jaata hai, jaane kab wo humare karib aa jaata hai, jo pata nahi laga sakti aankhe wo ye dil laga leta hai, kaise kab usse apne seene mein jagah deta hai, waqt ke kat jaane par, dur kisi ke jaane par hume uski kadra hoti hai, saath kisi ke rahne pe jo pata nahi lag paata dur uske jaane par uski kami bahut lagti hai, kyonki kisi ke juda hone par aur kisi ko nahi seene mein panah dene wale iss dil ko hi taklif hoti hai, tabhi kahte hain dosti to dilon ke milne se hoti hai

ना है कोई शिकायत तुझसे

ना है कोई शिकायत तुझसे, ना करते हैं कोई शिकवा तुझसे,चाहे रहे  रूठा  तू मुझसे, पर दिल में मेरे ये प्यार सदा रहेगा, तू मुझे चाहे हा भूल जाए ये मर्ज़ी है तेरी पर मुझे तो हर पल तेरा ही इंतज़ार रहेगा,
ना है कोई शिकायत तुझसे, ना करते हैं कोई शिकवा तुझसे,चाहे रहे  रूठा  तू मुझसे, पर दिल में मेरे ये प्यार सदा रहेगा, तू मुझे चाहे हा भूल जाए ये मर्ज़ी है तेरी पर मुझे तो हर पल तेरा ही इंतज़ार रहेगा,
तुने चाहा तब मुझे तनहा  छोड़ दिया, मेरा दिल जब चाहे तोड़ दिया, है खिलौना मेरा ये दिल बस तेरे लिए,पर फिर भी ना है कोई शिकवा तुमसे, करते हैं इतनी मोहब्बत हम तुमसे,
है प्यार सिर्फ एक खेल तुम्हारे लिए, हम ये जान कर भी तुमसे मोहब्बत करते हैं, हर लम्हा तुम्हे ही याद करते हैं, काश तुम्हे भी कभी प्यार का एहसास  हो जाए, जो दिल में है प्यार मेरे तुम्हारे लिए तुम्हारे दिल भी मेरे लिए आ जाए, बस एक झूठी उम्मीद के साथ हम जिए जा रहे हैं, झूठी आस दे कर खुद को बहला रहे हैं,
जानते हैं हम एक पत्थर दिल से मोहब्बत का गुनाह हुआ है हमसे, वो तो सिर्फ ठोकर देना जानता है प्यार क्या है उसे है पता क्या, पर दिल को अपने झूठी उम्मीद देते हैं, कभी तो वो पत्थर पिग्लेगा ये सोच कर हम जीते हैं, उसके दिल में भी कभी मेरे प्यार की नदिया बहेगी ये सोच कर हम अस्खों की लहरे छुपाते हैं, मिलते हैं उनसे कभी तो हर पल मुश्कुराते हैं,
मिले हर लम्हा जिंदगी से दर्द मुझे, मिली अक्सर बेवफाई अपनों से ही मुझे, दर्द और बेवफाई की तो आदत है मुझे, उन्हें लगता है दर्द दे कर वो खुद से जुदा कर देंगे मुझे, बेवफा बन कर किसी और को बना कर अपना वो मुझसे दूर चले जायंगे, अगर है ख़ुशी उनकी इसमें तो चाहे वो जहाँ जाए, पर हमने की है उनसे मोहब्बत इतनी की मरने के बाद भी हम उनका ही इंतज़ार करेंगे, इस जन्म में वो हमे ना मिल सके तो कोई गम नहीं, हम उनके मिलने का हर जन्म में इंतज़ार करेंगे,
पर ना  कोई शिकायत तुझसे करेंगे, ना कोई शिकवा तुझसे करेंगे,
चाहे रहे  रूठा  तू मुझसे, पर दिल में मेरे ये प्यार सदा रहेगा, तू मुझे चाहे हा भूल जाए ये मर्ज़ी है तेरी पर मुझे तो हर पल तेरा ही इंतज़ार रहेगा,
ना है कोई शिकायत तुझसे, ना करते हैं कोई शिकवा तुझसे,चाहे रहे  रूठा  तू मुझसे, पर दिल में मेरे ये प्यार सदा रहेगा, तू मुझे चाहे हा भूल जाए ये मर्ज़ी है तेरी पर मुझे तो हर पल तेरा ही इंतज़ार रहेगा,

Kuch to khaas h mujhme........

Kuch to khaas h mujhme, kuch to baat h mujhme, jo hoon nhi auron ki tarah main, ye  ahsaas h mujme, jo  krti h auron  se alag muje  wo baat h mujme, kuch to khaas h mujme, jo dekhe hain khwaab maine zindagi k unhe poore karne k h zajbaat mujme, zameen ki dhool se le kar aakash mein chamkte taare tak jane ka wo hausla bhi hai mujme, jhoote waadon se door kuch  kho kar bahut kuch pa lene ka wo iraada bhi hai mujme,  kuch to h baat mujme, kuch to khaas h mujme ....

Friday 13 April 2012

soch Hindi Artical


नमस्कार दोस्तों


आज मेरा ये आर्टिकल उन लड़कियों के लिए है जो दिल्ली मुंबई जैसे शहरों में रहती हैं, पर इन शहरों में रहने के बाद भी उनकी सोच किसी गावों की लड़की या फिर किसी छोटे से कसबे में रहने वाली लड़की की तरह ही है, आज से लाघब्ग २५, ३० साल पहले जैसे लड़कियों  की सोच थी आज भी वैसे ही है, हालाकि कुछ हद तक इस सोच में सुधार आये पर वो आज के तेजी से बदलते दौर के लिए ना काफी है, कुछ लडकिय हैं जो वक़्त के साथ बदली हैं उनकी सोच बदली है पर आज भी ऐसी लडकिया कम ही है, आधुनिकता की बात करे हैं ऐसी लडकिय सिर्फ उँगलियों पर ही गिनी जा सकती हैं जिनकी सोच में ऐसे क्रन्तिकारी परिवर्त आये हैं और उन्होंने अपनी काबिलियत के दम पे समाज में अपनी एक अलग पहचान बनायीं है,
       अब हम बात करते हैं की आखिर लड़किओं की सोच वो कौन सी है जो उन्हें आज से २५, ३० साल पीछे ले जाती हैं, आज से २५, ३० साल पहले भी लड़कियों का मुख्या मकसद पड़ लिख कर किसी अछे से लड़के से शादी कर के घर बसने का होता था, वो खुद भी कुछ कर सकती है, मर्दों के बराबर या उनसे ज्यादा कमा सकती है, बिना किसी मर्द की सयाता  के वो उनके के बिना भी बेहतर ज़िन्दगी जी सकती हैं, वो इन सबके बारे में नहीं सोचती थी, और आज के इस बदलते दौर में भी ज्यादातर लडकिय बस ये ही सोचती हैं, बस आज बड़े शहरो में इतना सा फर्क जरुर आ गया है की जब तक लड़कियों की शादी नहीं होती तब तक वो कोई छोटी मोटी  नौकरी करने लगती हैं, पर वो भी बस ये सोचती हैं की जल्दी से उनकी शादी हो और उन्हें इस जॉब से छुट्टी मिले, अपने लॉन्ग टाइम करियर के बारे में वो नहीं सोचती, उनकी भी आखिर वो ही सोच होती की शादी के बाद पति ही उन्हें कमा के खिलेगा उन्हें फिर नौकरी की क्या जरुरत है. और कुछ लडकियों की  सोच होती है एक अमीर लड़के के साथ शादी करके उसके all ready establishd business को दुनिया की नज़र में सभलना, दुनिया की नज़र में हमने इसलिए कहा क्यों की वो सिर्फ अपने पति के ऑफिस में जा कर सिर्फ आराम फरमाती हैं बाकी काम तो उनके पति देव ही देखते हैं और लोगों से और जान्ने वालों की नज़र में बस ये ही रहता है की वो अपने पति के काम में हाथ बटाती हैं, वो ऐसा इसलिए करती हैं ताकि लोगों की नज़र में उनकी ऊँची प्रतिष्टा बनी रहे. वक़्त के साथ बस इतना सा ही सुधर हुआ लड़कियों  की सोच में की वो कम से कम दिखने के लिए ही सही ऐसा करने लगी है, पर अब सवाल उठता है की लडकिय वो भी महानगर जैसी जगह पे रहने वाली खुद क्यों नहीं ऐसा कुछ करती जिससे वो आर्थिक तौर पे आत्म निर्भर बन सके, समाज के लिए एक मिशाल बन सके, आखिर ऐसी कौन सी सोच है जिसकी वज़ह से लडकिय ऐसा करने से डरती हैं या फिर करना ही नहीं चाहती.


    मैंने काफी खोज बीन करी और ये निष्कर्ष निकाला की इन् सब बातों के पीछे कहीं ना कहीं लड़कियों का परिवार इसका जिम्मेदार है, दरअसल ज्यादातर परिवार है, छोटे शहरों या कस्बों से आ कर बड़े शहरों में बसे हुए हैं पर समय के साथ उनकी सोच यहाँ आकर बस इतनी ही बदली है की वो अपनी बेटियों को पढाने  लगे हैं, पर उन्हें भविष्य में पड़ लिख कर कुछ बनना है या फिर माँ बाप को उन्हें कुछ बनाना है ये उनकी सोच नहीं होती, उनकी होती है तो बस पड़ा लिखा कर किसी  अच्छे से लड़के से शादी कर के अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करना, उनके ज़िम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ शादी ही होती है, बचपन से ही वो लोग  लड़कियों  की परवरिश ऐसी करते हैं ताकि लड़कियों  को बस ये लगे की उनका मुख्या लाख्स्य बस शादी कर के घर बसाना है, और बचपन से ही दी गयी ये ही शिक्षा उन्हें आगे बड़ने से रोकती है,

अब ये सवाल उठता  है की आखिर क्या वज़ह है जो माता पिता अपनी बेटियों के करियर से ज्यादा आज  भी सिर्फ और सिर्फ  उनकी शादी को ही महत्वा देते हैं, मैंने खोज बीन की काफी इस बारे में, अब हम यहाँ पे कुछ बाते बताते हैं जो माँ बाप सोचते हैं लड़कियों के बारे में उन्हें आर्थिक तौर पे आत्म निर्भर ना बनाने के लिए :


* अगर समय पे शादी नहीं हुई तो अच्छा लड़का नहीं मिलेगा,
* आखिर एक ना एक शादी करनी तो है ही, अभी करे या बाद में,
* लडकिया तो पराई होती हैं, जल्दी से जल्दी शादी कर के उन्हें उनके घर भेज देना चाहिए
* नौकरी वगेरा तो उसके पति की जिम्मेदारी है, वो करवाना चाहेगा तो करेगी, अगर हमने करने दी तो लोग कहेंगे की बेटी की कमाई खाते हैं,

* बेटी घर के बाहर काम करे, घर की इज्ज़त का सवाल बन जाता है
* अगर जल्दी शादी नहीं हुई तो दुल्हन बन्ती हुई शोभा नहीं देंगी,
* जल्दी शादी कर के अपने ज़िम्मेदारी से मुक्त हो जाए बस,
* शादी के बाद अपने पति का व्यापार देखेगी

इस तरह के कुछ तर्क है जो मैंने लड़किओं के माता पिता के तरफ से देखे, जब से लड़की पैदा होती है तब से उसके माँ बाप को बस उसकी शादी की ही चिंता सताने लगती हैं वो ये नहीं सोचते की उनकी बेटी का लक्ष्य सिर्फ शादी कर के घर बसाने का नहीं कुछ और भी हो सकता है, वो रानी लक्ष्मी बाई, इंदिरा गांधी जैसी महिलाओ की तरफ क्यों नहीं देखते जिन्होंने अपने बल पे खुद कामयाबी हासिल की और अपना नाम रोशन किया, उन्हें उनके पति के नाम से नहीं बल्कि उनके अपने नाम से समाज में जाना जाता है, कोई माँ बाप ये क्यों नहीं सोचता की उनके घर में भी क्या पता ऐसी ही कोई लड़की जन्मी हो, वो ये क्यों नहीं सोचते की बदलते वक़्त के साथ उन्हें अपने सोच बदलनी चाहिए, शादी उनका एक मात्र लक्ष्य क्यों  होता है, वो जरा ये भी तो सोचे अगर शादी के बाद लड़की के साथ उसके ससुराल वालों की तरफ से कोई अनहोनी हो गयी तो लड़की क्या करेगी, वो तो फिर से माँ बाप पर निर्भर हो जायगी या फिर जिंदगी भर अपने ससुराल वालों की ज्याद्त्ति सहती रहेगी, और मुझे नहीं लगता की इससे सिर्फ लड़की की किस्मत पे छोड़ना चाहिए.

      बदलते वक़्त के साथ लड़कियों के माता पिता को भी अपनी सोच बदलनी चाहिए, उन्हें उनकी शादी से पहले उनके करियर के बारे में सोचना चाहिए, उन्हें आत्म निर्भर बनाना चाहिए, उन्हें इतना आत्म निर्भर तो जरूर होना चाहिए की कल को अगर शादी के बाद उनके साथ कोई अनहोनी होती है ससुराल की तरफ से तो वो किसी पर बोझ ना बने और ना ही जिंदगी भर किस्मत मान कर अपने ससुराल वालों के अत्याचार सहती रहे, लड़किओं के माता पिता को ये समझना चाहिए की उनकी बेटी किसी भी तरह उनके बेटे से कम नहीं है, और जितना ध्यान वो अपने बेटे के करियर  और उससे आर्थिक तौर पे आत्म निर्भर बनाने पे देते हैं बेटी पर भी उतना ही दें, ये माता पिता भी जान ले की भले वो बेटी की शादी कर देंगे वो किसी और के  घर चली जायगी पर जब भी उसकी काबिलियत के दम पे समाज में उसका नाम होगा तो उसके ससुराल से जयादा उसके माता पिता का ही नाम होगा,

   माता पिता के साथ ही मेरा मानना ये है की लड़कियों भी बदलते वक़्त के साथ  अपनी सोच बदलनी चाहिए, उन्हें समझना चाहिए की वो भी किसी लड़के से कम नहीं है, और समाज में उन्हें अपने दम पर अपनी एक अलग पहचान बनानी है, उन्हें अपनी शादी और अमीर हमसफ़र की अपेक्षा ये सोचना चाहिए की वो खुद इस काबिल बने ताकि उनके पति का नाम उनकी काबिलियत की वज़ह से हो जैसे महारानी लक्ष्मी भाई, इंदिरा गांधी,शादी के बाद उनका पति ही उन्हें कमा के किलाय्गा ये सोच उन्हें बदलनी चाहिए, उन्हें अपने पति  पर पूरी तरह यु आर्थिक तौर पे आत्म निर्भर नहीं होना चाहिए, इसके साथ ही  एक अमीर व्यवसायी से शादी करने की अपेक्षा उन्हें खुद ऐसा करना चाहिए की भविष्य में वो अपने पति का नहीं बल्कि उनका पति उनका व्यवसाय देखे, उनके काम में हाथ  बटाए,  और मुझे लगता है की लडकिया ऐसा कर सकती हैं बस जरुरत है तो उन्हें अपनी सोच बदलने की..




धन्यवाद


अर्चना मिश्रा