Monday 15 July 2013

' अनहोनी घटनाएं भाग -३ ',

नस्मर दोस्तों आज हम फिर हाज़िर हैं अपने इस लेख जिसका शीर्षक है ' अनहोनी घटनाएं भाग -३ ',  दोस्तों हमारी ज़िन्दगी में कभी कभी ऐसा कुछ हो जाता है जिस पर पहले हमे कभी यकीं भी नहीं होता पर समय और हालत हमे उस पर यकीं करवा ही देते हैं हाँ ये बात और है की किसी और या दूसरो को इस  विषय में यकीं दिलाना थोडा मुश्किल होता है क्योंकि लोग इसका प्रमाण मांगते हैं और कुछ बातों को स्पष्ट करने का हमारे पास कोई प्रमाण नहीं होता  इसका अभिप्राय ये तो कदाचित नहीं की ऐसा हुआ ही नहीं है ये सब असत्य है। हमारा ये लेख इसी बात पे आधारित है और इसकी प्रमाणिकता अभी तक की ये है की  इसकी घटनाये जो भी अभी तक घटी है उन्हें हमने खुद सहा है और हम ही उन सबके गवाह है। 



दोस्तों आज की ये सच्ची कहानी फिर से हमारी ही है, दोस्तों जब हमने फैसला किया की अनहोनी घटनाओ पर आधारित सच्ची कहानिया हम आपके समक्ष ले कर आयेंगे और इस विषय पर हम निकल पड़े ऐसी ही सच्ची कहानियों को आप तक पहुचाने  के लिए उनकी खोज मे। दोस्तों कुछ ऐसी ही रोचक और असंभव सी दिखने वाली कई सच्ची घटनाये और उनसे जुडी कहानियां हमे मिली और हम बैठ गए लिखने उन्हें आप तक पहुचाने के लिए शायद ही आप यकीं करे हमने जैसे ही उन्हें लिखने की कोशिश की हम उन्हें लिख न सके कुछ न कुछ बुरा हमारे साथ होने लगा, फिर भी हम जिद पकड़ कर बैठ गए की उन्हें आप तक जरुर पहुचाएंगे, दोस्तों हमे खेद है की फ़िलहाल हम उन कहानियों को आप तक नहीं पंहुचा सकते क्योंकि अभी तक उन कहानियों के विषय में लिखने से हमारे साथ कुछ न कुछ अजीबोगरीब वाकिये होने लगते हैं, दोस्तों जब हमारा ये हाल है तो जरा सोचिये उनका क्या होगा जिन्होंने इसे अपने जीवन में जाने कितना सहा है। 


    दोस्तों मेरी एक सहेली है शिल्प (काल्पनिक नाम ) उसके साथ इन अनहोनी घटनाओ के तहत जो कुछ हुआ उसने हमे बताया और हमने उसे यहाँ इस लेख में लिख कर आप तक पहुचाने की कोशिश की पर हमारे साथ भी कुछ अजीब हादसे होने लगे, अचानक घर में किसी की छवि नज़र आने लगी जो एक पल में गायब हो जाती थी दरवाज़े पर किसी की दस्तक होती और दरवाज़ा खोलने पर कोई न होता, घर में परिवार वालों की शक्ल में कोई आता जबकि घर वाले कहते वो तो उस वक्त वह मौजूद ही नहीं थे,  ऐसे ही न जाने कितने हादसे हमारे साथ खुद होने लगे हमे ऐसा लगने लगा की कोई शक्ति है जो नहीं चाहती की उसके विषय में हम लिखे, वो नहीं  चाहती है की कोई उसके काम में हस्तछेप करे, दोस्तों मेरी सहेली इस वक्त बहुत दुखी है उसके साथ ये अनहोनी घटनाये अभी बंद नहीं हुई है यदि मेरे इस लेख को पड़ने के बाद आप उसकी कोई मदद कर सकते हों तो कृपया मुझे कमेंट के द्वारा बताये..




हार्दिक अभिनन्दन 
         अर्चु 



हर दफा दिल की सुनते हैं


 
लोग कहते है हम हर दफा दिल की सुनते हैं , बहुत जल्द हर शख्स को दिल में बसा लेते हैं,  हम चाहे हो जितने भी मजबूर पर दिल की गहराईयों में हर किसी को समां लेते हैं, इतनी मोहब्बत लुटाते हैं जहाँ में की दुश्मन को भी दोस्त बना लेते हैं, हमारी इसी बात पे तो सभी फ़िदा होते हैं, पर जाने क्यों हमारी इसी अदा से हमारे अज़ीज़ ही हमसे खफा रहते  हैं, लोगों को लाते हैं हम करीब दूरिय दिलों की मिटाने के लिए पर जो है इस दिल के सबसे करीब जाने क्यों वो ही हमसे हर दफा दूर जाने लगते है।

Saturday 13 July 2013

मोमोस

"मत दिलाओ याद बता के मोमोस की बात, उनसे हुई वो हसीं मुलाकात जब बैठ  मोमोस खाते थे एक साथ  और होते थे हाथों में हमारे  फ्रूट बीअर के वो दो  ग्लास, वक्त के साथ सब कुछ कैसे बदल गया, कभी किया था वादा मोमोस साथ खाने का आज एक पल में तोड़ दिया,कहते थे कभी तुम  जितना भी रहे  दूर लेकिन  मोमोस खाने के लिए मिलते रहेंगे हम, फ्रूट बीअर भी साथ पिया करेंगे हम, फ्रूट बीअर और मोमोस के साथ हर लम्हा जिया करेंगे हम, आज इस कदर दूर  क्यों हो गए हम, खाते थे कभी दिल्ली हाट में मोमोस एक साथ जो हम और आज  खाते हैं अकेले  मोमोस और तीखी चटनी के चक्तारे लेते हुए  और सूप की अकेली पड़ी प्याली को देखते हैं हम  तो   याद करके वो बीते हुए लम्हे  बस  ये ही कहते  हैं जाने कहाँ गयी वो रंगीन शाम और कहाँ गए वो हसीं दिन"

श्री कृष्णा का नाम भी बिन राधा के अधूरा होता"

"किसी से मिलन के अहसास का नाम ही अगर मोहब्बत होता तो भगवन श्री कृष्णा का नाम भी बिन राधा के अधूरा होता"

Thursday 11 July 2013

जी चाहता है




तुझसे मिलने को जी चाहता है, तेरे दिल में बसने को जी चाहता है, गुजारु  कोई लम्हा संग तेरे उस शाम के आने का  दिल चाहता है, आ कर तेरी बाहों में टूट कर यु  बिखर जाने को जी चाहता है, तेरी साँसों से हो कर तेरे दिल में उतर जाने को जी चाहता है, तेरे प्यार में खुद को भुला देने को जी चाहता है, तेरी नज़रो में नहीं तेरे दिल की धडकनों में समां जाने को जी चाहता है, और क्या बताऊ तुझे मैं तुझसे दूर नहीं बस तेरे करीब रहने को जी चाहता है, रह नहीं सकते कभी बिन तेरे हम इसलिए बस इतना सा ही दिल ये मेरा चाहता है की  तेरी आघोष में ही उस गहरी नींद में सो जाने को जी चाहता है, जुदा तुझसे होने से पहले ही तेरी गोद में सर रख कर इस दुनिया से विदा होने को जी चाहता है। 

Wednesday 10 July 2013

chahat nahi hai ab kahi dikhti....

Sachhi chahat karne walo ko sachhi aashiki nhi milti, sachhi aashiki karne walo ko sachhi mohbbat nahi milti, sachhi mohbbat krne walo ko wafadaari nahi milti, wafa karne walon ko sachhi mohabbat nahi milti,  Jo agr mil jaye kisi ko uski chahat ke badle chahat, mil jaye agr kisi ko mohbbat ke badle mohabbat tab aage baat bdane ki himmat nhi hoti, mil jaye agr himmat bhi aur btaye baat dil ki jab mummy ko tab sun kar ye mohbbat ka afsana tabiyat unki nhi khilti, jo khil jaye agr tabiyat unki bhi to papa se baat nahi banti, jo ban jaye agr baat bhi papa se aisi kismat nhi milti, jo agr mil jaye kismat bhi aisi, pa jaye apni chahat aisi chahi thi  khwaabo me jaisi par fir wo pahle wali baat nahi banti, barso baras ke intezaar ke baad milan ki aas dil mein liye anekon khwaab dil mein liye jab badte hain aage tab jaane kyon is dil ki nahi chalti, jo chal jaaye agar is dil ki to jaane kyon unse hai doori aane lagti,  doori jo kam karna chaaho fir bhi jaane kyon unse hi ye aur bhi  badne lagti,  chal jaye agr in dooriyon ke baad bhi ye zindagi, rah jaaye wo khaamoshiyon ke baad bhi agar saath bhi, saath ho kar bhi hamnasin saath nahi, pyaar ho kar bhi ek doosre se paas nahi,sachhi  chaahat karne walon ki sachhi aashiki nahi milti kyonki ab mohabbat karne walon mein wo laila majnu wali chaahat kahan hai dikhti, aaj pyaar bana hai vyaapar tabhi ab isme mohabbat pe fana hone ki kisi ki hasrat nahi hai milti...


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Thanks and Regards
 *****Archana*****

romantic poem- mera dilbar mera hamnasin....




Dhundti hai jise nazre meri intezar me jiske har ghadi  hoga wo inn hawao me chhipa kahi, dhundti hai jise mere dil ki dhadkan har ghadi rehta hoga wo iss jahaan mein yahi kahi, karti hain intezar meri saanse jiski saanso se mil jane ka hoga wo kahi to kisi aangan me mera hamnasin, hoga usse bhi  intezar milne ka hmse shayad kahi, dekhta hoga hme hi wo har gali aur har raste, dhoondti houngi uski nazare bhi mujhe har pal aur ghadi, karke koi yaad dil me meri chhavi mand mand muskata hoga, kahi to hoga wo jo dilbar sirf hmara hoga,
     Din beete mahine beete aur beet gaye saalo saal par nahi aaya wo mere paas jisko kiya hmne har pal yaad, dhundti rahi meri ankhiya rah me jiski palke bichhaye, jiska kiya umar bhar intezaar bas wo hi na hmse milne aaye,


 jeevan ki aakhiri dor chhutti ab jati hai aankhe ab usse dhundti aur dil se bas ye hi aawaz aati hai aa jaye ab to wo le kar apni baho mein  mujhe mere duniya ko vida kehne se pahle, wo ab to keh de sadiyon se ek tum hi to bas meri ho aur mai bhi sirf tumhara hoon, karta hoon itni mohbbat tumse ki bin tumhare adhura hoon, waqt ke haatho bebas tha mai jo mil na saka tumse kabhi par aaj jo mila tumse tum dur mujhse jane lagi, na jao tum mujhe ab akela yu  chhod ke kyon ki tum bin main kahan pura hu, 

dhundti hain nazre meri jise har ghadi  chhipa hoga wo is hawa ke jhonkon mein kahi, dhundta hai jise mera ye pagal man chhipa hoga wo is fiza mein kahi, 
  jaate jaate yaha se, lete huye vida is jahan se kahta hai aaj bhi ye dil mera kaash ab to mil jaaye kahi mujhe wo mera dilbar mera hamnasin.... 

 

Thanks & Regards
Archu