Friday 30 August 2013

अपनी किस्मत से शायद कुछ ज्यादा ही हमने मांग लिया




अपनी किस्मत से शायद कुछ ज्यादा ही हमने मांग लिया, अपने हाथों की लकीरों पर शायद कुछ ज्यादा ही हमने ऐतबार कर लिया, ख्वाब देखे जो ज़िन्दगी के हमने शायद बेवज़ह उन्हें हमने सच जान लिया, बिखरे तो पहले से थे ज़मीं पे हम  और इसी बिखरी हुई ज़िन्दगी को ही अपना मान लिया, मिले गम मुझे दुनिया से बहुत पर अपने ग़मों के साथ आँखों से बहते इन अश्कों को ही अपनी ख़ुशी मान लिया 

Sunday 25 August 2013

ऐ मेरी तकदीर


यकीं नहीं होता ऐ मेरी तकदीर तुझपे आखिर कोई तुझसे भी इतनी मोहब्बत कैसे कर सकता है, तोड़ते रहते हो अक्सर दिल जिसका आखिर वो क्यों तुझपे ही मरता है, जुदा होने का तुझसे उसने जरा नाम क्या लिए और तूने तो उसे खुद से  मिटा  तक दिया, ऐ मेरी तकदीर यकीं नहीं होता तुझपे की आखिर कोई तुझसे इतनी मोहब्बत भी कर सकता है। 

Saturday 24 August 2013

chaahate


"khwaab dikhati hai chahate, dil dhadkati hai chahate, arman jagati hai chahate, khushi dikhati hai chahate, gerron ko karib lati hain chahate, ajnabi ko apna banati hai chahte,

          Fir ek din tod ke wo hasin khwaab tanha chhod jati hai chahate, dil mei gam aankhe nam kar juda ho jati hai chahate, jo bante hai kabhi apne usse hi begana bana jati hai chahate, apno ko apno se juada kar apno se dur le jati hai chahate ,ek khushhaal zindagi ko ujaad kar barbad kar jati hai chahate, aur kya kahe archu inke bare mein zinda laash bana kar thokare khaane duniya mein akela chhod jati hai ye chahate, zinda rahte huye maut ke intezaar mein pal pal tadapte huye duniya mein akela chhod jaati hai ye chahate

zinda rahte huye maut ke intezaar mein pal pal tadapte huye duniya mein akela chhod jaati hai ye chahate
zinda rahte huye maut ke intezaar mein pal pal tadapte huye duniya mein akela chhod jaati hai ye chahate ,  "

Wednesday 14 August 2013

अलविदा- a heart toching and educational Hindi storyyyyyy

अपनी माँ और अपने भाई बहनों  से सदा के लिए विदा होने का मोनू भेड़  का वक्त आ गया है, उसके मालिक ने उसका सौदा तय कर दिया है १०००० रपये में, अब से मोनू को एक नया मालिक मिल गया है जो कुछ दिन उसकी खिदमत करेगा उसके बाद उसकी बलि चड़ा देगा, अपनों से विदा होने से पहले मोनू अपनी माँ और अपने सभी भाई बहन से मिल कर उन्हें गले लगाना चाहता है ताकि अब से जितने  भी दिन उसकी साँसे हैं वो इन लम्हों को याद कर के जी ले, उसे पता है की आज के बाद न तो वो और न ही उसके परिवार वाले कभी उसे देख पायंगे…  



मोनू अपने छोटी बहन शीतल और छोटे भाई छुटके रजा से मिलता है, आँखों  से उसकी आंसू गिरते है और वो उनसे कहता है  मुझसे अगर कोई खता हो गयी हो तो माफ़ कर देना मेरे प्यारो, कहा सुना माफ़ करना मेरे अज़ीज़ मेरे प्यारो, बहुत याद आएगी तुम्हारी जब तक मेरी साँसे रहेंगी,  मैं हर पल और हर दिन तुम्हे याद करुगा, तुम सब अपना और माँ का ख्याल  रखना ये कह कर उन्हें गले लगा कर किसी तरह  खुद  को संभालते हुए और अपने अश्क छिपाते हुए अपने रोते हुए छोटे भाई बहन को सांत्वना देता है और उन्हें हिम्मत देता है। 



अपने भाई बहन से मिलने के बाद मोनू भेड़ अपनी माँ से मिलने आता है और उसकी माँ उसे गले से लगा लेती है और कहती है "मुझे माफ़ करना बेटा  मैं तेरी ज़िन्दगी नहीं बचा सकती, मैंने तुझे जन्म तो दिया है लेकिन तेरी हिफाज़त नहीं कर सकती, मैं बेबस हूँ बेटा और मालिक की गुलाम हूँ, मालिक की आज्ञा को मानने पर मजबूर हूँ, मेरा बस चले तो तुझे बहुत दूर भेज दू जहाँ तू महफूज़ रह सके मेरे बच्चे लेकिन मैं अभागी माँ मजबूर हूँ, मुझमे हिम्मत नहीं की तेरा सामना भी कर सकू, तेरी माँ नहीं तेरी गुनेहार हूँ मैं, तूने अभी देखा ही क्या था दुनिया में की तुझे ये लोग मुझसे दूर कर के अपनी खोखली प्रथाओं के नाम पर तुझे मार डालने वाले हैं",ये सुन कर मोनू भेड़ कहता है माँ तुम  रोती क्यों हो, जो आया है संसार में उसे तो जाना है एक न एक दिन, कोई आज जा रहा है तो तो कोई कल  जाएगा लेकिन जायेंगे सभी माँ, और तुम खुद को दोष मत दो, तुमने मुझे बहुत प्यार दिया है, तुमने मेरी हिफाज़त ही की है तभी तो आज मैं इस काबिल बना हूँ जो  तुम्हारे फ़र्ज़ में आज सहयोग कर रहा हूँ , माँ  भी तुम अपने मालिक की आज्ञा का  पालन कर रही  हो, अपने पुत्र मोह में आ कर उससे गद्दारी नहीं कर रही हो, मुझे तुम पर गर्व है माँ और ईश्वर से प्राथना है मेरी की हर जन्म में तुम ही मेरी माँ बनो, मैं संसार के हर पुत्र के लिए ये कामना करता हूँ की उसे तुम जैसी ही माँ का साथ मिले जो अपने फ़र्ज़ के आगे अपने रिश्तो को कभी बाधा नहीं बन्ने देति। 



अपने बेटे के मुह से ये बात सुन कर मोनू भेड़ की माँ उसे गले लगा लेती है और कहती है तेरे और भी भाइयों को हमारे मालिक ने कसाइयों को बेच दिया और उन कसाइयों ने उन्हें मार डाला  चंद पैसों की खातिर, ये इंसान चंद पैसों की खातिर इंसान का ही लहू बहा देते है, ये इंसान चंद पैसों के लिए और अपने स्वार्थ के लिए इंसान की ही बलि दे देते हैं, जाती, धर्म, लिंग, अमीर, गरीब, गोरा ,काला, छेत्रता  और ना जाने कितनी ही मानव द्वारा बनायीं गयी ही दीवारों  के आधार पर आपस में ही मार काट करते हैं, धोखा, फरेब, स्वार्थ सिध्ही ही इनकी नीति होती है, ये अपनों के ही कभी नहीं होते तो भला ये हम निरीह पशु पक्छियो के कैसे हो सकते हैं, ये हमे भी अपने पास रखते हैं केवल अपने स्वार्थ को पूरा करने हेतु, जब तक हम इनके काम आते है ये हमे अपने पास रखते हैं और जब उन्हें लगता है की हम अब उनके काम के लायक नहीं रहे वो हमे अपने घर और अपनी ज़िन्दगी से निकाल फेकते हैं, वो ये नहीं सोचते की हमने कभी उनके लिए क्या कुछ नहीं किया, उनके सुख दुःख में उनका साथ दिया, जहाँ इंसान ही उनका साथ छोड़ गए हमने उनका साथ दिया और कभी अकेला नहीं छोड़ा, क्या हम नहीं छोड़ सकते थे, लेकिन ये इंसान ये नहीं समझते,


मोनू भेड़ की माँ कहती है बेटा भले ये इंसान हमारे साथ ऐसा व्यवहार करे, सिर्फ स्वार्थ हेतु ही हमे अपने पास रखे और स्वार्थ पूरा होने के बाद हमे बेसहारा छोड़ दे लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते, भले ये ईश्वर के बनाये नियमो को  अपने स्वार्थ में आ कर भूल गए हो लेकिन हम नहीं भूले हैं, बेटा  इन्हें लगता है की हम जानवर है और हम उनकी चाल को नहीं समझते जो चुप चाप उनकी बात मान लेते हैं पर सच तो ये है की सब कुछ जानते हुए भी हम कुछ नहीं कहते क्योंकि हमे उस रब पर विश्वाश है और उन्हें के बताये गए मार्ग पर हम चल रहे हैं, उस रब ने ही कहा था अपने मालिक के कहे अनुसार ही कार्य करना यदि वो तुम्हारा अहित करेगा तो उसे  दण्डित भी सिर्फ मैं ही करूँगा लेकिन तुम अपने कर्तव्यों से विमुख न होना, और इसलिए हम सभी पशु-पक्छी अपने मालिक द्वारा किये गए अछे बुरे  व्यवहार सहते हैं और बदले में कभी भी उसके खिलाफ नहीं जाते क्योंकि हमे उस रब पे इन इंसानों से ज्यादा यकीं है। 


मोनू भेड़ की माँ ये बात ही कर रही थी की इतने में मोनू भेड़ के नए मालिक आ गए और उसे अपने साथ ले जाने लगे, उसे पता चल गया की अब समय आ गया है अपनों से सदा के लिए विदा होने का, अपनों को फिर से  एक बार गले लगाते हुए और अपनी माँ की आँखों से अश्कों को  पोंछते हुए मोनू भेड़ कहता है मैं तुम्हारी बात याद रखूँगा माँ तुम अपना और मेरे सभी भाई बहन का ख्याल रखना और साथ ही अपने फ़र्ज़ का सदा ऐसे ही पालन रहना वो रब हम सभी पशु-पक्छियों के साथ है माँ,  अच्छा अब अलविदा , अब हम शायद इस जन्म में फिर कभी न मिले, अलविदा इस घर को, अलविदा मेरे अपनों को, अलविदा मेरे इस मालिक को, अलविदा है मेरी इन खुशियों को जो मुझे यहाँ मिली थी, अलविदा माँ और ये कह कर मोनू भेड़ अपने नए मालिक के साथ चल दिया और उसकी माँ और भाई बहनों ने बहते अश्को के साथ उसे विदाई दी ।


  इधर उसका नया मालिक बहुत अमीर आदमी था, बलि के दिन से पूर्व जबसे मोनू भेड़ उनके यहाँ आया था पूरे घर ने उनका बहुत ही आव भगत किया, उसे तरह तरह के और स्वादिष्ट भोजन दिए गए, उसकी हर जरूरत का पूरा ध्यान रखा गया, मोनू भेड़ जानता था की ये सब प्यार इन इंसानों का बस नाटक है, सच क्या है उसे पता है लेकिन फिर भी वो ऐसे व्यवहार करता की की उसे कुछ भी पता नहीं है। 


धीरे धीरे बलि का दिन नजदीक आ गया, और जब एक दिन ही शेष था तब मोनू भेड़ की तबियत अचानक बिगड़ गयी, जगह जगह उलटी और दस्त करने लगा, मालिक के घर के सब लोग कहने लगे कुछ ज्यादा ही आव भगत कर दी इसकी, आनन् फानन में उसे डोक्टर के पास ले जाया गया, इलाज़ के बाद उसकी तबियत कुछ ठीक हुई, उसके नए मालिक ने डोक्टर से पूछा कल तक ये ठीक तो हो जाएगा न क्योंकि कल इसके बलि है और अगर ये ठीक न हुआ तो इसकी बलि न दे सकेंगे हम, उनकी बात सुन कर डोक्टर ने कहा हाँ कल तक ये ठीक हो जाएगा, आप निश्चिन्त रहे। 


घर आ कर रात भर मोनू भेड़ कुछ ठीक रहा लेकिन सुबह जब उसका बलि का दिन था उस दिन फिर से उसकी तबियत बिगड़ गयी, उस दिन छुट्टी होने की वज़ह से मोहल्ले में कोई डोक्टर भी नहीं था,  मालिक के घर सब परेशान हो गए और कहने लगे ये कैसा अपशगुन हो रहा है, आज ये फिर से बीमार पद गया है और ऐसे में इसकी बलि नहीं दी जा सकती, आज तो कोई और भी भेड़ नहीं मिलेगी बलि के लिए, नयी भेड़ की तलाश में उसके इस नए मालिक का पूरा घर लग गया लेकिन उन्हें कही कोई बलि के काबिल भेड़ नहीं मिली, और उस दिन उनके यहाँ किसी की बलि न दी जा सकी और मोनू भेड़ की जान भी बच गयी, लेकिन एक बीमार भेड़ को उसका ये मालिक बोझ और मनहूस मान रहा था और अब इससे यहाँ से कही और बेचने के बारे में सोच रहा था लेकिन एक बीमार और कमजोर भेड़ को अब कौन लेगा ये उसकी समझ में नहीं आ रहा था की तबी उसके मालिक की बीवी ने अपनी अक्ल लगायी और कहा क्यों न इसे कसाई को बेच दे, वो तो हर तरह के जानवर का गोस्त बेच देता है, और कोई उससे पूछता भी नहीं की ये गोस्त बीमार जानवर का है या ठीक जानवर का, बीवी की बात उसके मालिक को भ गयी, और वो उसे ले कर अपने मोहल्ले के कसाई की दूकान पर बेच आया । 


 मोनू भेड़ ने देखा की उस कसाई की दूकान पर कई और जानवर है जिन्हें वो मारने वाला है और कई को वो मार कर उनका गोस्त अपनी दूकान में लगा कर ग्राहकों को लुभाने की कोशिश कर रहा है, मोनू ने सोचा की बलि से तो बच गया शायद रब ऐसा नहीं चाहते थे लेकिन इस कसाई से वो बच नहीं पायेगा, वो सोच ही रहा था की उसने एक बकरे को पकड़ा और उसकी गर्दन पे तेज़ चाक़ू से वार करने ही वाला था की एक औरत ३, ४ पुलिस वालों को ले कर उसकी दूकान में आ धमकी और कहने लगी "इंस्पेक्टर साहब गिरफ्तार कर लो इससे, एक तो ये गेर कानूनी तरीके से जानवरों का गोस्त बेचता है दूसरा बीमार जानवरों को मार कर भी उनका गोस्त बेच देता है अपने फायेदे के लिए, इसके जानवरों को डाक्टर के पास ले जाया जाए और इन जानवरों की जांच कराई जाए, ये इंसानों की सेहत से खिलवाड़ करता है," इससे पहले की वो कसाई कुछ कहता पुलिस वाले उसे गिरफ्तार कर के थाने ले गए और सभी जिंदा जानवरों को डाक्टार के पास चेक उप के लिए भेज दिया गया और बचे हुए गोस्त को भी जांच के लिए भेज दिया गया। 


चिकात्सकिये जांच के बाद सभी जानवरों को एक जानवरों की एक मंडी में भेज दिया गया जहाँ उनके खरीदार आते थे उन्हें खरीदने, मोनू भेड़ भी अपने साथी जानवरों के साथ एक बार फिर बिकने के लिए उस मंडी में आ पंहुचा और सोचने लगा की उसकी माँ और भाई बहन सोच रहे होंगे की मैं तो अब इस दुनिया में होऊंगा भी नहीं, मेरी तो कब की बलि चढ़ चुकी होगी लेकिन मैं जिंदा हूँ और ज़िन्दगी के लिए जंग लड़ रहा हूँ, जाने कौन सी शक्ति है जो मुझे बार बार बचा लेती है, जाने वो कौन सी शक्ति है जो मौत के मुह से मुझे हर बार बचा लाती है, मैं तो कब का दुनिया से विदा ले चुका होता, मैं तो कब से इस दुनिया को अलविदा कह चूका होता जाने किसकी मोहब्बत है जो मुझे मरने के लिए नहीं बल्कि जीने के लिए कहती है। 


मोनू भेड़ इसी उधेड़बुन में था की एक आदमी उसके पास आया और उसे बोचने वाले से बोल की वो इसे खरीदना चाहता है कित्नेमें दोगे, बेचने वाले उस सरकारी आदमी ने कहा १५००० में, वो आदमी तैयार हो गया और मोनू भेड़ को ले कर अपने घर चला आया, घर आ कर वो हेरान हो गया, उसने देखा की उसके सामने उसकी माँ और दोनों भाई बहन वह मौजूद है, उससे एक पल के लिए तो यकीं नहीं हुआ, उसे देख कर उसकी माँ और उसके भाई बहन उसके पास आ कर बोले तुम ठीक तो हो न, मोनू ने कहा हाँ मैं ठीक हूँ और करिश्माई तरीके से जिंदा भी हूँ, मुझे ऐसा लगा की कोई शक्ति मुझे बार बार मौत के मुह से बचा रही है, मैंने तो जीने की उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन एक चमत्कार के द्वारा हर बार बाख जाता, कुछ न कुछ ऐसा होता की मैं बच जाता । उसकी बात सुन कर मोनू भेड़ की माँ ने कहा "ऐ मेरे खुदा मुझे तुझ पर ऐतबार था, तूने मेरे इस ऐतबार को कायम रखा, तू सच में बहुत दयालु है और हम निरीह प्राणियों की सच में सुनता और रक्छा करता है, तू महान है सच में, मैं रिणी रहूंगी सदा तेरी, तूने न सिर्फ मेरे बेटे की को ज़िन्दगी बक्षी बल्कि हम बिछड़े हुए प्राणियों को मिलवाया भी, तेरी जगत में जय हो", अपनी माँ की बात सुन कर मोनू भेड़ बोल माँ तुम क्या कह रही हो मुझे समझ नहीं आ रहा है, उसकी बात सुन कर माँ बोली बीटा तेरे जाने के बाद मैंने रब से लगातार दुआ की और तेरी खेरियत की लिए मन्नते मांगी, मैंने कहा की ऐ मेरे रब अगर तू है कही तो मेरे निर्दोष बेटे के जीवन की सदा रक्छा करना, उसे मौत के मुह से सदा बचाते रहना, और रब ने मेरी सुन ली, तू कह रहा था न की कोई शक्ति तुझे बचा रही थी तो वो रब ही था जो तुझे बचा रहा था मेरी दुआ सुन कर, उसने कबूल की मेरी दुआ सच में वो बहुत दयालु है, उसने न सिर्फ सुनी बल्कि हमे मिलाया भि। 


अपनी माँ की बात सुन कर उसने कहा पर माँ तुम यहाँ इस नए मालिक के घर कैसी पहुची और मेरे सभी भाई बहन यहाँ कैसे पहुचे, तो माँ बोली तेरे जाने के बाद हमारे मालिक के काम में बहुत घाटा हो गया, एक एक कर के उसका सब कुछ बिक गया, हम जानवरों की भी बोली लगी तो ये भला मानुष हमे उस बोली से खरीद कर अपने यहाँ ले आया और अछि तरीके से हमारा ख्याल रखने लगा, इस मालिक को देख कर लगता है जैसे रब ही अपना रूप इंसान का बना कर हमारे दुःख दर्द दूर करने के लिए इस धरती पर आ गया है, और देख ये ही मालिक तुझे हमसे मिलाने के लिए ले आया। अपनी माँ के बात सुन कर मोनू बोल क्या माँ सभी इंसान एक जैसे नहीं होते, तोम बोली नहीं बेटा सभी एक से नहीं होते कुछ हमारे इस मालिक जैसे भी होते है, उसकी बात सुन कर मोनू भेड़ बोल रब सभी पशु-पक्छियों को ऐसे ही मालिक दे, अपने बेटे की बात सुन कर उसकी माँ और उसके भाई बहनों ने कहा रब ऐसा ही करे, उन सबकी बात सुन कर मोनू भेड़ की माँ ने कहा बीटा वडा करो की अब कभी नहीं कहोगे अलविदा, अलविदा तभी कहते है जब कभी दुबारा ना मिलना हो, और जब तक जीवन है हमे मिलने की उम्मीद नहीं छोडनी चाहिए और कभी अलविदा नहीं कहना चाहिए, माँ की बात सुन कर मोनू भेड़ और उसके भाई बहन ने माँ से कहा हम वादा करते हैं की जब तक जीवित है कभी अलविदा नहीं कहेंगे। 



और इस प्रकार मोनू भेड़ एक बार फिर इतने दुखों को झेलने के बाद ख़ुशी ख़ुशी अपने परिवार के साथ ज़िन्दगी बिताने लगा। 













Tuesday 13 August 2013

तुही रास्ता है

तुही रास्ता है मेरा तू ही मंजिल है मेरी, तू ही रब है मेरा तू ही दुआ है मेरी, तूही  ज़िन्दगी है मेरी तू ही तो है हर ख़ुशी मेरी, 

कैसे रहू दूर तुझसे ऐ मेरे हम्नासिं तू ही तो है धड़कन मेरी,  है मेरी साँसों में तू ही  है तू ही तो चाहत मेरी, 

 तुही रास्ता है मेरा तू ही मंजिल है मेरी,  


मेरे दिन के उजाले में तू मेरी हर रात के अंधियारे में तू, मेरी हर सुबह में तू मेरी हर शाम में तू, मेरे आज में है तू मेरे कल में भी है तू, कैसे दूर जाऊ तुझसे ऐ मेरे हम्नासिं मेरा ही तो एक अक्स है तू, 


मेरी हर बात में है तू मेरे पल पल साथ में है तू, मेरी नींदों में है तू मेरे ख़्वाबों में है तू, मेरी जीने में है तू मेरी सीने में है तू, मेरी नज़रो में है तू मेरे हर नज़ारे में है तू,

 तुही रास्ता है मेरा तू ही मंजिल है मेरी, तू ही रब है मेरा तू ही दुआ है मेरी, तूही  ज़िन्दगी है मेरी तू ही तो है हर ख़ुशी मेरी, 


मेरा  यार है तू मेरा प्यार है तू, नहीं कोई और है दूजा तेरे सिवा ऐ मेरे दिलबर मुझे अज़ीज़ है कितना तू ,   



 तुही रास्ता है मेरा तू ही मंजिल है मेरी, तू ही रब है मेरा तू ही दुआ है मेरी, तूही  ज़िन्दगी है मेरी तू ही तो है हर ख़ुशी मेरी, 

कैसे रहू दूर तुझसे ऐ मेरे हम्नासिं तू ही तो है धड़कन मेरी,  है मेरी साँसों में तू ही  है तू ही तो चाहत मेरी,
 




 तुही रास्ता है मेरा तू ही मंजिल है मेरी, तू ही रब है मेरा तू ही दुआ है मेरी, तूही  ज़िन्दगी है मेरी तू ही तो है हर ख़ुशी मेरी,  

तुही रास्ता है मेरा तू ही मंजिल है मेरी,
तुही रास्ता है मेरा तू ही मंजिल है मेरी,




 



Saturday 10 August 2013

main khush nahi hoon

"hu tere sath har pal me, 
hu tere sath pal pal main,
lekin mai khush nahi hu,

muskurti hu mai teri har baat pe, 

chalti hu teri hi har rah pe,
 lekin mai khush nhi hu,

ashkon ko chhipa jhuthi khushi tujhe jatati hu, 

hoon kitni tanha aur khud ko akela hi paati hu,
par mai khush nhi hu,

deti nhi ilzaam apne dard-e-dil ka kisi ko, 

na hi kisi se kuch kehti hu,
lekin mai khush  nahi hu,

mile tohfe tujhse aur zamane se muje

 meri wafa ke badle bewafai ke,
 mile hai jo gam muje tujhse aur zamane se
 meri bhalai ke badle burai se, 
hoon khamosh nahi karti shikwa kisi se, 
par main khush nahi hoon,

 dekh meri jhuki hui palke samjta hoga tu
aur ye zamara sara ki khushi mein palke jhukaaye baithi hoon par main khush nahi hoon, 

tere aur zamane k diye inn zakhmo se mile ghaw ko pa kar dil pe lagi iss chot ke dekh kar samajhta hai shayad tu 
 ki bahut khush hu mai har baat ko bhula kar, 
har gam ko dil se mita kar lekin na bhool saki hoon main kuch aur na bhula sakti hoon wo tohafe gam-ae-tanhai ke, 

beeti baaton ki tees dil mein uthti hai har pal 
aur aankhon se behate askhon ki nadiya ke saath dil se bas ye hi aawaz aati hai pal pal ki 
mai khush nahi hu, 
haan main khush nahi hoon.."

Wednesday 24 July 2013

मेरी चाहत को देख कर डरते हैं वो

मेरी चाहत को देख कर डरते हैं वो की कहीं बिन उनके ना मर जाए हम, कहते हैं वो की नहीं हो सकते हम कभी तुम्हारे लेकिन डरते हैं वो की कही कोई गलत कदम ना उठा जाए हम,  नादान है वो जो सोचते हैं ऐसा, वो नहीं जानते की मौत को भी उनके लिए ही गले  लगाया जाता है जिनके साथ कभी ज़िन्दगी जीने का ख्वाब देखा जाता है, उन्होंने तो हमेशा मझधार में ही हमे अकेला छोड़ा है, बन के साथी कुछ दूर तक चले  फिर तनहा छोड़ा है, 


है पता हमे भी की नहीं हो सकते वो कभी हमारे पर हम भी नादान तो नहीं की ये जानते हुए भी एक खुदगर्ज़ से मोहब्बत की है हमने, जिसकी झूठी बातों पर भी ऐतबार किया है हमने, लेकिन इतने भी नादाँ हम भी नहीं की जिसे क़द्र नहीं मेरी मोहब्बत की दे दें जान उस शख्स के लिए, जिसने नहीं समझा कभी हमे अपने काबिल दे दें अपनी ये जान उस आशिक-ऐ-नाकाबिल के लिए, बेवज़ह डरते हैं वो की न मर जाए हम उनके लिए, कभी जीने नहीं दिया जिसने हमे अपने लिए कैसे मर जाए हम उसके लिए, मौत भी सताय्गी हमे जो ऐसा कुछ हम कर गए, जी न सके जिसके  लिए उसके लिए मर गए, मौत भी कहेगी हमसे मरना था  तो उसके लिए मरते जो तुम्ही से मोहब्बत  सिर्फ  करते, और जो करते  सिर्फ मोहब्बत तुमसे वो कभी  तुम्हे यु ही न मरने देते,



देख मेरी चाहत को  वो बेवज़ह यु ही डरते हैं, हाँ ये सच है की जीते जी हम उन्ही पर मरते हैं, नहीं हो सकते किसी और के क्यों की हम तो उनकी रुसवाइयों के बाद भी उन्ही से ही मोहब्बत हैं करते, लेकिन जिसे नहीं परवाह मेरी चाहत की उसके लिए हम भी अपनी जान यु ही  तो नहीं दे हैं सक्ते …