Thursday 21 November 2013

i love you beta(तू ही थी हसी मेरी,)

तू ही थी हसी मेरी, तू थी हर ख़ुशी मेरी, तू ही तो थी ज़िन्दगी मेरी, रूठ कर मुझसे आज मेरी ऐ हसी कहाँ तू चली गयी , 
दिल मेरा तोड़ कर  ऐ मेरी ख़ुशी जाने कहाँ चली गयी, 
पल-पल साथ निभाया मेरा जिसने ऐ मेरी ज़िन्दगी जाने क्यों मुझसे दूर तू चली गयी,
 कभी आँखे नम न होने दी जिसने  आज नम आँखों के साथ ऐ बंदगी तू रोता क्यों छोड़ गयी  ,
 रखा हर दर्द से अनजान जिसने हर दर्द खुद सह  कर आज दर्द भरी ये ज़िन्दगी मुझे दे कर ऐ  मेरी ख़ुशी कहाँ  तू चली गयी , तुझे ढूंढ़ती है आज भी  मेरी आँखे, 
तुझे ही पुकारती है मेरी साँसे, मेरी हर धड़कन में समायी है सिर्फ तेरी ही वो बीती बातें , 
तुझे पुकारती है ये मीठी-ख़ुशी बार-बार, मुझे तड़पता छोड़ कर ऐ मेरी हसी कहाँ तू चली गयी, 
कैसे समझाऊ तुझे मैं, कैसे बताऊ तुझे मैं कि  है कितनी अकेली तेरी ये मीठी-ख़ुशी दुनिया के बाज़ार में, है कितनी तनहा तेरी ये मीठी-ख़ुशी लाखों -हज़ार में,
कहती है तेरी ये चाहने वाली आज भी बार-बार जो तुझसे आज भी करती है प्यारी बेशुमार 
 तू ही तो थी हसी मेरी, 
तू ही तो थी हर ख़ुशी मेरी, तू ही तो थी ज़िन्दगी मेरी ।

दिल में गम और आँखे नम है

दिल में गम और आँखे नम है, दूर सबसे आज हम है, है जवां है  ये शाम आज भी पर जाने क्यों इस तरह तनहा हम हैं, कभी होती थी रंगीन ये ज़िन्दगी और आज अधूरी सी लगती है हर ख़ुशी, थे कभी अनजान हर दर्द से आज दर्द भरे अफ़साने के साथ जीने पर मज़बूर हम हैं, मुस्कुराते थे हर पल  कभी पर  आज पल पल  रोते हम हैं, सोते थे चेन से रातों में कभी आज पूरी रात जागते हम हैं, अपनी वफ़ा पे गुमान था कभी आज अपनी इस वफ़ा पे अश्क  बहाते  हम हैं, और क्या बताऊ तुम्हे ऐ मेरे यारों कि इस दिल में कितना गम है और इसलिए ही मेरी ये आँखे नाम है… 

Saturday 9 November 2013

ये जि़न्दगी क्योँ उसके बिन ही लिखी है

ये जि़न्दगी क्योँ उसके बिन ही लिखी है जिसके बिन न तो कोई आरजू और न ही कोई खुशी है, अधूरे है जिसके बिन अरमान मेरे, न होँगे ख्वाब भी जिसके बिन मेरे पूरे, क्या बताऊ किसे मेँ, क्या समझाऊ तुम्हेँ मेँ जो है मेरी बन्दगी ये जिन्दगी क्योँ उसके बिन ही लिखी है

Monday 21 October 2013

ईश्वर वाणी(भौतिक सुख )-51



ईश्वर कहते हैं " हे मनुष्यों तुम्हे इस संसार के इन भोतिक सुखो के पीछे नहीं भागना चाहिए, ये नहीं सोचना चाहिए की जो भी सुख है अभी यही इन विलासिताओ से भरी वस्तुओ की उपभोग में ही है, जो भी आत्मिक शान्ति है वो केवल इन सुखो को एकत्रत्रित करने और उनका उपभोग करने में ही है,

हे मनुष्यों ये जान लो अगर तुम जितना भी सुख यहाँ पर पाओगे और ईश्वर द्वारा बताये गए मार्ग पर न चल कर शेतान की राह पर चलोगे तब तुम्हे नरक के उस कष्ट को सहना होगा जो तुम्हे इस धरती पर नेक और भले कार्य करने पर आई मुश्किलों के कारण झेलने पड़ते किन्तु तुमने अपने इस भोतिक शरीर को हर दुःख से बचने हेतु उस कष्ट को न सहा और इश्वरिये आज्ञा के विरुद्ध हुए इसलिए तुम्हे इस शरीर में कैद आत्मा के उस कष्ट से अधिक कष्ट सहने होंगे ताकि इन कष्टों को सहने के बाद ये आत्मा शुद्ध हो कर अपने पापो के प्रायश्चित के काबिल हो  सके,



किन्तु हे मनुष्यों इश्वारिये कार्य को करते हुए तुम्हे यदि गलती से किये किसी कार्य की वज़ह से नरक भी जाना पड़ता है वो नरक का सुख भी तुम्हे इस संसार में व्याप्त समस्त भोतिक सुख सम्रधि  और विलासिता पूर्ण इस भोतिक शरीर के सुख से भी अधिक सुख देने वाला होगा, किन्तु यदि तुमने इश्वर की आगया की अवहेलना की केवल अपने स्वार्थ और अपनी विलासिता पूर्ण आगामी ज़िन्दगी के लिए तो तुम्हे इस शरीर के त्यागे जाने के पश्चात घोर दंड का भागी होते हुए कठोर नाराकिये जीवन जीना पड़ता है ताकि फिर से मनुष्य इस जन्म की गयी भूल को ना दोहराए अपितु अपनी गलतियों को प्रयाश्चित कर इश्वरिये लोक प्राप्ति का भागी बने "








ईश्वर वाणी- 50................ishwar waani-50





ईश्वर कहते हैं "यदि हमे दुनिया से बुराई का अंत करना है  सबसे पहले अपने अन्दर की बुराई को पहचान कर उसका अंत करो, दुनिया में सभी मनुष्यों को केवल दूसरो की बुराई ही सबसे पहले नज़र आती है किन्तु अपने अन्दर छिपी बुराई को वो देख नहीं पाता या फिर देख कर भी अनजान बन जाता है और सदा दूसरो में कमिया  निकलना शुरू कर देता है, दूसरो को दोष देना शुरू कर देता है किन्तु सच तो ये है की यदि हर मनुष्य अपनी सोच को बदल कर अपने अन्दर छिपी बुराई नामक  राक्षशनी का यदि अंत कर दे तो ये कलियुग भी सतयुग की तरह ही पावन हो जाएगा,


किन्तु मानव आज स्वार्थ में इतना अँधा हो चूका है जो ईश्वर पर ही भ्रम रखता है, उसके अस्तित्व को ही चुनोती देता है, जबकि उसे पता है की संसार का निर्माण करता और संहारकर्ता केवल मैं ही हूँ, मैं ही समस्त हूँ, आदि और अंत मैं ही हूँ किन्तु फिर भी वो अपनी शक्ति और सामर्थ में स्वार्थवश इनता अँधा हो चूका है की मेरी ही सत्ता को चुनोती देता है", 



ईश्वर कहते है "आज के मानव को अलग से कोई दानव परेशान नहीं करता अपितु उसके अन्दर ही छिपी बुराई ही उसे परेशान करती है जिसे वो नाना प्रकार के नाम देता है जैसे कभी - भूत-प्रेत तो कभी टोना-टोटका तो कभी नज़र का लग जाना तो कभी किसी का शाप, किन्तु सच तो ये है की मनुष्य को केवल उसके अन्दर ही बुराई ही परेशान करती है और यदि वो दूसरो की आलोचना करना उनसे इर्ष्या रखना छोड़ कर निःस्वार्थ भाव से अपनी सोच को सही दिशा प्रदान कर के ईश्वर के द्वारा बताये मार्ग पर चलने लगता  है तब  उसे निश्चित है इश्वारिये लोक की प्राप्ति होती है… 



Sunday 20 October 2013

आज फिर मुस्कुराने को दिल चाहता है,


आज फिर मुस्कुराने को दिल चाहता है, आज फिर आसमान छूने को  दिल चाहता है, 
चलते चलते जो  लगी है ठोकर मुझे फिर से उठ कर समभल कर चलने को दिल चाहता है, वक्त के साथ जो बहे है अश्क मेरे आज फिर उन्हें पोछ कर  हँस कर जीने को दिल चाहता है,



बना कर मुझे अपना जो दिए है लोगों ने दोखे हज़ार आज फिर से किसी को अपना बना कर उसका  हो जाने का दिल चाहता है, टूट कर बिखरे  हुए इन दिल के टुकडो को  समेत कर फिर से एक करने को दिल चाहता है, जो दर्द है मेरी रूह में उसे भूला कर फिर से नवजीवन में कदम रखने को दिल चाहता है,


शायद ये खता ही है मेरी की  सब कुछ लुटा कर अपना आज फिर से इस दुनिया में वापस आने को मेरा ये दिल चाहता है, लगाना जो चाहिए मौत को गले मुझे लेकिन ज़िन्दगी जीने को दिल चाहता है, 


है ये हज़ारो शिकवे मुझे इस जहाँ से, क्या किया था गुनाह मैंने सिवा एक वफ़ा के, दी मैंने अपनी ख़ुशी अपनी  ज़िन्दगी जिसकी  हसी के लिए उसी ने लूट ली  मेरी जिंदगी  की हर ख़ुशी  अपनी बेवफाई और बेरुखी के लिए, नहीं है उसे मतलब मेरी जिदंगी से, नहीं मतलब इस जहाँ में किसी को मेरी अच्छाई से, नहीं है कोई मतलब इस जहाँ में किसी को मेरी वफाई के बदले बेवफाई से,


फिर भी  जाने क्यों आज फिर से इस हवा में सांस लेने को दिल चाहता है, है नहीं अब  जिस्म में मेरे   शक्ति  फिर भी  ये जिस्म  दुनिया में ख़ुशी बाटना ही बस  चाहता है, जो नहीं कर सकते है इस जीवन के बाद जाने क्यों उस दुनिया में जाने से  पहले औरों के लिए नहीं बस अपनी ही ख़ुशी के लिए जिंदगी जीने को दिल चाहता है, अपनी इस ज़िन्दगी को दुख में डूबे लोगों के दुःख को दूर कर फिर से एक नयी खुशहाल सुबह उन्हें   दिखाने को दिल चाहता है, जो न मिल सकी कोई ख़ुशी हमे इस  ज़हान  में  बस वो ही ख़ुशी आँखों में अश्क  लिए हर शख्स को देने को मेरा ये दिल चाहता  है,बस और कुछ नहीं इतना सा ही ये मेरा दिल  चाहता है। 

आज फिर मुस्कुराने को दिल चाहता है, आज फिर आसमान छूने को  दिल चाहता है,

चलते चलते जो  लगी है ठोकर मुझे फिर से उठ कर समभल कर चलने को दिल चाहता है, वक्त के साथ जो बहे है अश्क मेरे आज फिर उन्हें पोछ कर  हँस कर जीने को दिल चाहता है,



"अनहोनी घटनाए भाग-4"



राम राम/ प्रणाम/ नमस्कार दोस्तो आज हम फिर हाज़िर है अपने इस लेख जिसका शीर्षक  है "अनहोनी घटनाए भाग-4",


दोस्तो आज जो कहानी ह्म आपको बताने जा रहे हैं वो हमरी पिछलि सभी कहानियो की तरह ही एक दम सच्ची है..


बात आज से लगभग दो साल पहले की है, हमारे घर में हमारी 11 साल की बच्ची बहुत बीमार थी, डॉक्टर्स ने हमे बताया की वो कुछ ही दिन की मेहमान है, दोस्तो शायद आप यकीन ना करे पर जब उसकी मृत्यु होने वाली थी उसके ठीक दो दिन पहले मैने एक अजीब सी काली छाया को उसके पास घूमते हुए देखा जबकि दोस्तो उसके पास मेरे सिवा कोई और नही था, मुझे बहुत ही अजीब सा लगा जैसे मैने यमराज को साक्षात् देख लिया हो, लेकिन वक्त के साथ मैने इस घटना को सिर्फ़ अपने मन का वहम समझ कर भूला देना ही अच्छा समझा पर वक्त के साथ ठीक दो साल दो दिन बाद कुछ ऐसा हुआ की मुझे पिछलि घटना को सच मानने पर मजबूर कर दिया,

इस साल यानी की 18-09-20013 को मैने अपने घर में दक्षिण दिशा (जो भूत प्रेत, आत्मा, पितर, यमराज़ एवम अपने पूर्वाजो का लोक माना जाता है\) से एक काली और बेहद लंबी छाया को हाथ में खड़ाग(किसी भी प्राणी को काटने के लिए प्रयोग में लाने वाला एक हथियार) लिए अपने 13साल के  बीमार बेटे के पास आते देखा, दोस्तो वो बीमार . था पर
ऐसा भी नही था की उसकी जान पर बन आए लेकिन फिर भी उस बेहद डरावने रूप वाली काली छाया को देख कर मुझे बहुत ही डर लगने लगा और अपने बीमार बेटे की चिंता होने लगी, पर दोस्तो मैने महसूस किया की जबसे मैने उस काली छाया को अपने बेटे के पास आते देखा है तब से उसकी तबीयत और भी ज़्यादा बिगड़ने लगी है और रात ही रात मैं उसकी तबीयत इतनी बिगड़ गयी की उसे अगले दिन डॉक्टर के पास ले जाना पड़ा जहाँ डॉक्टर ने उसे महज चंद दिन का ही और मेहमान बताया, दोस्तो चूकि वो हमरी जान था इसलिए हमने उसे डॉकटर की ग़लत नसीहत समझा क्यों की दिल इस बात को स्वीरकर ही नही कर पा रहा था की एक छोटी सी बीमारी उसकी जान भी ले सकती है, हलकी डॉकटर ने हमे बताया था की जिसे हम एक साधारण बीामरी समझ रहे है दरअसल एक लाइलाज़ बीमारी है हा ये और बात है की अभी तक कम थी पर अब पूरी तरह से पूरे शरीर में फेल गयी है और अब कुछ नही किया जा सकता सिवा इन बचे हुए दिन में उसे प्यार करने के,

दोस्तो हम फिर भी यकीन नही कर पा रहे थे और उसके ठीक होने की आस दिल में लिए उस क़ी देखभाल कर रहे थे, किन्तु इसके चार दिन बाद हमारी जान हमारे उस नन्हे से १३ साल के प्यारे से बच्चे की मृत्यु  गयि। 



दोस्तों इस प्रकार हमने महसूस किया की दो साल पहले भी हमने जिसे(काली छाया ) देखा था वो हमारा वहम 
नहीं  बल्कि वो भी  उतना था  सच जितना ठीक उसके २ साल २ दिन बाद की घटना सच थी, मैंने दो बार उस काली डरावनी छाया को देखा  और उसके बाद  मैंने अपने जान से भी प्यार बच्चो को खोया और ये मेरा वहम नहीं बल्कि एक सच्ची घटना है.…