Wednesday 21 May 2014

दो शब्द मेरी रचनाओ के

1*"खुशी की जगह गम क्यू बार-बार मिलते है, वफ़ा के नाम पर ये धोखे हज़ार मिलते है, मैं तो एक चिराग हू बुझा हुआ, क्यू मुझे जला के बुझाने वाले हर बार मिलते हैं"



2*"मुझे ज़िंदगी में ये सहारे मिले, कुछ दिन चले लोग दोस्त बन के साथ मेरे, फिर एक दिन अचानक दूर मुझसे जाने वालेये  सारे मिले"

ईश्वर वाणी-56


ईश्वर कहते है ईश्वर्िय ज्ञान एवं ईश्वरिया बाते केवल धार्मिक पुस्तको तक ही सीमित नही है, ये तो केवल उनकी समस्त बातो एवं ग्यान के सार के सार का ब एक अति लघु रूप है, ईश्वर कहते हैं यदि मानव इनका ही पालन करले तब भी मानव का कल्याण होगा क्यू की मानव क लिए इनका पालन करना ही मुश्किल है तो ईश्वर की विस्तृत बातो पर अमल करना  तो असंभव है, ईश्वर कहते है मानव ने अपनी इच्छा अनुसार उनकी बातो एवं शिक्षाओ मे बदलाओ करके अपनी सुविधाओ के अनुसार नियम और परंपराए बनाई जिनमे फस कर खुद मानव मानव का शोषण कर रहा है, मानव समस्त प्रथवी एवम प्राणी जगत को नुकसान पहुचा रहा है, ईश्वर कहते है उनकी बाते कभी किसी को नुकसान पहुचने वाली नही हो सकती, उनकी दृष्टि  मे सभी प्राणी एक समान है"

उनके लिए ये गीत लिखा है,

"उनके लिए ये गीत लिखा है,
 लाखो हज़ारो में मुझे मेरा मीत मिला है, 
था कभी अंजान जो मुझसे आज वो मेरे पास खड़ा है, 
दुनिया की भीड़ में मेरा मनमीत मिला,
 जिसके लिए मैने ये संगीत लिखा है, 
लाखो हज़ारो में मुझे मेरा मेरा मीत मिला है,
 उनके लिए ये गीत लिखा है, 
उनके लिए ये गीत लिखा है, 
उनके लिए ये गीत लिखा है"

Sunday 18 May 2014

हास्य प्रस्तुति

1*उनके आने से ये रात नई कट ती, करते है परेशन पर उनकी ये आदत नई बदलती, दिन में तो रहते छिपे जाने किस दर से पर रात को सोने नई देते वो जब तक कमरे में गुड नाइट नई जलती(°§°)हाहाहा



2*वो कहते कहते थे तेरी ज़ुल्फो मे सोने का दिल करता है, हमने  उन्हे सर से उतार ये विग ही दे दिया, तबसे जाने क्यू वो खफा-खफा रहते है, नई कहते अब की तेरी ज़ुल्फो मे सोने का दिल करता  है.....




3*मखी  चूस सुना था मैने पर वो मच्छरो को चूस लेते थे, एक कतरा भी अगर ले जाए वो तो उसकी सारी पुश्तों से जंग लड़ लेते थे




4*उनकी यादो में हम अश्क बहाते हैं, वो ज़ालिम इसे समंदर समझ कर   इसमे नहा कर चले जाते हैं,





5*तुमसे बात करते करते ये रात गुज़ार दूँ, तुमसे मुलाकात के लिए इन दूरियो को मिटा दू, मर् भी रहे हो अगर तू जो पुकारे मुझे अपनी जगह तेरे बाप को कफ़न में सुला दू(°_°)हहेहहे मॉडर्न लवर

मेरी कवितायें

1*"उनके लिए ये पेगाम भेजा है, कागज कलाम से नई अश्को की स्याही से दिल की दीवारो पे उनका नाम लिखा है"

 
2*"आए खुदा मुझे ज़्यादा कुछ तुम ना देना, है फरियाद  बस इतनी सी, मेरे जाने के बाद ज़हां से मेरे मुल्क के किसी कोने में मेरी कबर के लिए बस दो गज़ ज़मीन दिला देना"



3*""ज़िंदगी गुज़ार दी हमने शोहरट बटोरते-बटोरते, ज़िंदगी गुज़र दी हमने दौलत के पिछे, ज़मीन से फलक तक चमता था बस एक सितारा जिस पर लिखा होता था सिर्फ़ नाम हमारा,
बड़ी बहराम ये दुनिया, कहते हैं जीते जी नही मिलता एक आशियाना इस जहाँ में पर इस जहाँ ने  जीते जी तो मुझे पॅल्को पे बिताया मरने पर दो गज़ ज़मीन भी किसी ने ना हमे दी"



4*तू जो हाँ करे तो इंतेहा-ए-मोहब्बत कर दू, ये दिन और रात तेरे नाम कर दू, ज़मीन क्या चीज़ है ये फलक तेरे नाम कर दू, यकीन ना आए तुझे तो तेरी आँखो के काजल से ये ग़ज़ल लिख दू, तू जो हाँ करे तो इंतेहाँ-ए -मोहब्बत कर दू..



5*"मैं एक खुली किताब हूँ, मैं ही खुद में ही एक सवाल और जवाब हूँ, कोशिश करते है लोग  पड़ने की मुझे हर दफ़ा, कोशिश करते है लोग मुझे समझने की हर दफ़ा, पर सबके लिए एक अनसुलझी पहेली हूँ, है मुझमे अनेको पन्ने पर कितनी खुदमे बहुत अकेली हूँ, अपने ही सवालो के साथ किसी और की नही अपनी ही सहेली हूँ, मैं एक खुली किताब हूँ"







एक बंद कली थी

"एक बंद कली थी वो पेरो तले कुचल गया कोई, 
अभी-अभी दिखी थी किसी टहनी पर तोड़ कर कही फैंक गया कोई, 
ज़िंदगी होती है क्या उसने जाना भी ना था, 
जीना होता है क्या उसने पहचाना भी ना था, 
देख उस डाली पे लगी नयी काली ज़िंदगी की आस दिल में आने पे पहले ही मौत की नींद सुला गया कोई, 
ज़िंदगी मिलने से पहले ही मौत के साथ सुला गया कोई"

शब्दो से खेलना

शब्दो से खेलना तुम्हे खूब आता है, 
ज़रा हमे  भी बताओ आख़िर ये खिलोना तुम्हे कौन दे जाता है, 
हम तो तक चुके हर दुकान पे जा कर पर नही मिला ऐसा खिलोना,
 अब तुम्ही मिलवओ हमे उसी से जो ला कर ये खिलोना हर बार तुम्हे दे जाता है, 
शब्दो से खेलना तुम्हे खूब आता है "