Friday 11 July 2014

मेरी रचनाये

१ * 
जीवन की इस डगर पे  चलते-चलते  हुए जाने कितने से मुलाकात होती है,
कोई देता है साथ ज़िन्दगी भर तो किसी से रुस्वाई ही मिलती है  है,
यु तो कहते हैं सब  साथ न छोड़ेंगे कभी तुम्हारा जब तक ये  जीवन है हमारा,
जो कहते हैं ऐसा अक्सर उन्ही से ही ज़िन्दगी में बेवफाई मिलती है। 






२* 
उमर   भर  साथ निभाने का नाम है दोस्ती,

     प्यार भरे रिश्ते का नाम है दोस्ती,
    
    देख कर जो अश्क आँखों में दोस्त के 

हँसा के उसे खुद रो पड़े इस अहसास का नाम है दोस्ती,




३* 

बस एक नगमा  सिर्फ तेरे नाम लिखा है,
उसमे हाल-ऐ-दिल बयां लिखा है,
पसंद आये तो कुबूल उसे तुम करना,
और न आये तो यार किसी और से सेटिंग करा देना।।। हाहाहा 


४*

मैं तेरे भरोसे ही तो इस  दुनिया में आई हूँ,
मैं तेरे लिए ही इस दुनिया में आई हूँ,
न भूल जाना माँ मुझे भाई के पैदा होने पर,
मैं भी तो प्यार तेरा पाने के लिए ही दुनिया में आई हूँ,






इनसान हूँ बस इन्सान मुझे रहने दो,

"ना में हिन्दू हूँ ना मुसलमान हूँ, 

ना है कोई मज़सब मेरा, हर धर्म से अन्जान हूँ,

इनसान हूँ बस इन्सान मुझे रहने दो,

ऐक है अल्लाह मेरा, एक ही है बस रब मेरा,

ना बाँटो तुम उसे तो युं इन्सान की तरह,

एक है भगवान मेरा उसे तुम 

भगवान रहने दो,

छोड़ दो अब तो तुम युं झगडना, हर बात पे युं बिगडना छोड़ दो, 
समझकर सबको एक समान तुम जीने दो,खुद छुओ गगन को औरों को भी छूने दो,
 इन्सान हूँ बस इन्सान मुझे रहने दो-2"

Monday 7 July 2014

मेह्गाई मार डालेगी

मुझको तो आये दिन बढ़ती ये मेह्गाई मार डालेगी,
हर दिन सामानो की बढ़ती ये  उचाई मार  डालेगी,
शहज़ादी -ऐ सब्जी प्याज की रुलाई मार  डालेगी,
हर दिन घटती मेरी जेब की ये हल्काई मार  डालेगी।। 


हर सुबह में बस ये ही बात होती है,


"हर सुबह में बस ये ही बात होती है,


हर दिन इस दिल को  तेरी ही आस  रहती है, 

तू भूल गया है आज मुझे भले 

पर मेरी हर धड़कन में तेरी ही याद रहती है !! "

Saturday 5 July 2014

meri ye rachna betiyo ko samarpit hai

"दीप है बेटे तो ज्योती है बेटियाँ,
पुष्प हैं बेटे तो सुगन्ध हैँ बेटियाँ
दिल है बेटे तो धडकन हैं बेटियाँ,
अभिमान है बेटे तो स्वाभिमान है बेटियाँ, 
रक्त है बेटे तो स्वांस है बेटियाँ,
जीवन है बेटे तो आत्भा है बेटियाँ, 
आस है बेटे तो विस्वाष है बेटियाँ, 
भविष्य है बेटे तो युगों से साथ है बेटियाँ"

बेटियाँ।।







लाखो दुआओ से जन्म लेते हैं बेटे बेटियां तो ऐसे ही आ जाती हैं,
शेह्ज़ादों से पलते हैं बेटे बेटियां तो ऐसे ही पल जाती हैं,
झुकती जब कमर और हो जाती है उमर छोड़ जाते हैं बेटे एक दिन 
बन कर दूजे के घर की शोभा फिर भी गले लगाती है बेटियाँ।।

Tuesday 1 July 2014

बस एक पहेली हूँ मैं

"दुनिया में कितनी अकेली हूँ मैं, 
तन्हाइयों की एक सहेली हूँ मैं, 
रहती हूँ चुप-चुप क्यों, 
च्चिपाती हूँ मुश्कान के पीछे अपने ये अश्क क्यों, 
बस दुनिया के लिए एक अनकही और अनसुलझी पहेली हूँ मैं, 
बस एक पहेली हूँ मैं, 
दुनिया में बहुत अकेली हूँ मैं,
 बहुत अकेली हूँ मैं "