Saturday 15 October 2016

ईश्वर वाणी-१५४, मानव जीवन, युग

ईश्वर कहते है, "हे मनुष्यों यध्धपि ये जीवन पहली बार तुम्हे नही मिला है किंतु ये मानव जीवन तुमने अपने अनेक जन्मों के पुन्यों से पाया है,

हे मनुष्यों ये मानव जीवन तुम्हें अपने पिछले जन्मों के पाप कर्मो का पायश्चित कर, सत्कर्म करते हुये मोछ प्राप्त करने के लिये ही मिला है,

हे मनुष्यों इसलिये इस जीवन को मोहवश केवल सुख पाने के लिये उपयोग मत कर, बल्की हर मोह और स्वार्थ त्याग कर प्राणी कल्याण के हित के लिये कार्य कर,

यघ्पी तू मेरा नाम न ले, मुझे किसी भी रूप मैं न मान् किंतु तेरे सत्कर्म तुझे मेरा प्रिये बनाते है और तू मोझ का भागी बनता है"


आगे युग के विषय मैं ईश्वर कहते है, "हे मनुष्यों तुमने यध्धपि युग के विषय मैं सुना है, ये युग और कुछ नही समय है, समय के साथ मानव और अन्य जीवों मैं अनेक परिवर्तन हुये उन्ह् ही युग का नाम दिया गया,

हे मनुष्यों ये युग भौतिक ही है, तभी प्रलय के साथ ये युग अर्थात समय भी नष्ट हो जायेगा, फिर नयी श्रष्टी और नये युग का निर्माण होगा,

हे मनुषयों जो आत्माये (इच्छा पूर्ति से एक लाख साल तक) भटक रही हैं जिन्है मोझ नही मिला है उन्है भी मोझ इस प्रलय के बाद मिलेगा उसके बाद एक नये युग मैं य् आत्मायें फिर कर्म अनुसार जन्म लेंगी,

हे मनुष्यों ये न समझना प्रलय सब कुछ नष्ट कर तबाह कर देती है, प्रलय इसलिये होती है ताकी नाशवान समस्त भौतिकता का अंत हो साथ ही अपने सूछ्म शरीर मै भटक रहे जीवों को मुक्ती प्राप्त हो और फिर एक नये समय नये युग का आगमन हो,
हे मनुष्यों ये न समझना ऐसा प्रथम बार होगा अपितु ऐसा अनंत बार हो चुका है और अनंत बार होगा"

कल्याण हो

Friday 14 October 2016

कविता

हर दिन फिर बात पुरानी याद आती है
मीठी को खुशी की याद बहुत सताती है,

गर्मी हो या बरसात दिन या हो ये रात
मीठी तुझे ही बस पल पल बुलाती है,

तेरा ठुकराकर दिल तोड़ जख्म देना
खुशी से किस्मत इसे मीठी कहती है,

दर्द बेवफाई का दिया इस कदर मुझे
वफाई पर मीठी खुशी आज रोती है,

गम छिपा कर जहॉ से अक्सर मीठी
मुस्कान खुशी की बस ये दिखाती है,

हर दिन फिर बात पुरानी याद आती है
मीठी को खुशी की याद बहुत सताती  है"

Friday 7 October 2016

song-ek jawab pakistan ko

aisi zameen aur aasmaan
in ke siwa jaana kahaan
barhti rahe yeh roshni
chalta rahe yeh kaarwaan
Dil Dil hindustan
Jaan Jaan hindustan

dil dil se milte hain to pyar ka chehra banta hai
chehra banta hai
phool ek larri mein proey to phir sehra banta hai
chehra banta hai

Dil Dil hindustan
Jaan Jaan hindustan

aisi zameen aur aasmaan
in ke siwa jaana kahaan
barhti rahe yeh roshni
chalta rahe yeh kaarwaan

Dil Dil hindustan
Jaan Jaan hindustan
Dil Dil hindustan

Kashmir hai hamara hamko pyara lagta hai,
Chaaro dishao mein bas ye hi nara lagta hai,

Naara lagta haihai

Dil Dil hindustan
Jaan Jaan hindustan



Thursday 6 October 2016

ईश्वर वाणी-प्राणी कल्याण १५३

 ईश्वर कहते है "हे मनुष्यों तुमने मुझे अनेक नाम और रूप मैं बाँट रखा है किन्तु मेरा वास्तविक रूप निराकार है, हे मनुष्यों मैं सम्पूर्ण स्रष्टि मैं समस्त जीवों मैं हर स्थान मैं मोज़ूद हूँ,
हे मनुष्यों मेरे लिये कोई सीमा नही है, मै ही सभी जीवों का मालिक एवं समस्त स्रष्टी को बनाने वाला उसका मालिक हूँ,

एक सच्चा साधू/संत/सन्यासी जो मेरी उपासना करता है वो भी किसी भी सीमा (जाती, धर्म, सम्प्रदाय, भाषा, रंग-रूप, देश-प्रदेश, जीव-जन्तु) मै न बंध कर पूरी प्राणी जाती के हित बारे मैं सोचते है उनका कल्याण करते है,

किंतु पाखण्डी जो संत, सन्यासी, साधू के भेष मै होते है वो न सिर्फ जीवों मैं अपितु मानव मैं भेद कर मुझे भी अपने स्वार्थ के लिये अनेक नाम और रूप मैं बॉट देते है,

हे मनुष्यो विश्व शाँति एवं कल्याण हेतु मेरी शरण मैं आओ या उन संतो के पास जो विश्व एकता और कल्याण मैं सलग्न है तभी तुम्हारा हित हो सकेगा अन्यथा मानव खुद ही अपने विनास का उत्तरदायी होगा




तुम्हा कल्याण हो"

Monday 3 October 2016

किस देश मैं तुम हो(ये रचना उनकी याद मैं लिखी है जो अपने सदा के लिये हमैं छोड़ ईश्वर के पास चले गये"

"ढूँड्ती है मैरी नजर हर दिशा हर कहीं बस तुझे
पुकारता है ये मन हर वक्त हर कहिं बस जिसे,

मुझसे दूर आज जाने किस देश मै तुम हो
है यहॉ अनेक रूप जाने किस भेष मैं तुम हो,

याद है मुझे हर लम्हा संग तेरे जो जिया था
मीठी संग खुशी का आलम कभी यहॉ हुआ था,

साथ मेरा छोड़ आज़ जाने किस देश मै तुम हो
तन्हा हूँ मै बहुत और जाने किस भेष मैं तम हो,

हर खुशी मीठी थी मेरी बस संग तुम्हारे
जीवन मैं कितने रंग थे जब तुम हुये हमारे,

जिन्दगी दे गयी धोखा आज जाने कहॉ तुम हो
मीठी के बिना क्या आज़ खुशी मैं तुम हो,

मुझसे दूर जाने आज़ किस देश मैं तुम हो
हैं यहॉ अनेक रूप जाने किस भेष मैं तुम हो....."

Sunday 2 October 2016

पुरुषवादी व्रत, उपवास एवं त्यौहार(एक लेख)

हमारा देश कितना विशाल है, अनेक रीती रिवाज़ और संस्क्रति का यहॉ समागम है, अपनी अपनी आस्था के अनुसार यहॉ कितने तीज त्यौहार व्रत उपवास यहॉ किये जाते है,

मैंने बहुत समय से ये नोटिस किया है हमारे जितने भी त्यौहार एंव व्रत उपवास है वो सभी पुरूषों के कल्याण और उनकी तरक्की के लिये ही है, एक भी व्रत उपवास या त्यौहार स्त्री के लिये नही है,

यहॉ कुछ लोग कहेंगे नवरात्रै तो पूरी तरह लड़कियों को समर्पित होते है, नारी की पजा होती है और तो और पुरुष खुद भी उसके आगे शीश नवाता है, फिर सभी पुरुष प्रधान व्रत उपवास एंव त्यौहार कैसे हुये??

उन्हें मेरा जवाब केवल इतना ही है नवरात्रौ की पूज व्रत आदि मैं लोग केवल पुरुष की कामना करते है, कोई पुत्र पाने के लिये, कोई पति पाने के लिये, कोई भाई पाने के लिये, पुरुष की तरक्की के लिये, लम्बी आयु के लिये और भी कितनी पुरूषवादी मनोकामना पूर्ति के लिये कर्म कान्ड किये जाते है,

पर स्त्री जो जगत की जननी है उसे इस पुरुषवादी सोच ने धार्मिक क्रत्यो मैं सबसे पिछड़ा दबा कुचला स्थान दिया है, तभी तो कोई पूजा व्रत उपवास मॉ, बहन, पत्नी की लम्बी आयु स्वास्थय तरक्की विकास के लिये नही बनाये गये, कारण नारी को पुरुषो द्वारा दोयम दर्जा देना,

मुझे हेरानी होती है बरसौ से पुरुषवादी इस सोच को महिलायै अपने ऊपर बड़े गर्व से ढोती आयी है और ढो रही है, न अतीत मै न वर्तमान मै महिलायें इसके खिलाफ नही गयी, आजकल की पड़ी लिखी आत्मनिर्भर महिला भी इसके खिलाफ जाने की हिम्मत नही करती कारण प्राचीन काल से चली अंधस्रध्धा, जिसके खिलाफ वो जाने की हिम्मत नही कर सकती,

ये कुछ मूलभूत कारण है वर्तमान मै नारी की इस दुर्दशा के और काफी हद तक नारी भी इसकी जिम्मेदार है जिसने अपने ऊपर हुये इन अत्याचारों के विरूध कोई आवाज़ नही उठाईं और नारी पुरुषों की केवल दासी बन कर रह गयी!!

Copyright@
Archana mishra

Friday 30 September 2016

ishwar vaani-152, sachha sukh

Ishwar kahte hain, "hey manushyo tum aksar bhautik vastuon mein sukh dhoondte ho, kintu sachha sukh in me nahi milta, 

Praniyo ki ichhaye nirantar badalti rahti hai, jis ke kaaran manav sada atrapt rahta hai jisse usse santushti nahi milti aur WO dukh ko prapt karta hai,

Hey manavo sachha sukh kewal aatm santushti se milta hai, aur aatm santushti bhakti se,  evam bhautik sukh ko tyaag kar hi milti hai,

Yadhapi tum bhautik sukho ko hi sachha sukh maano lekin tumne dekha hoga jis bhautik vastu ko tum paana chahte ho aur prapt bhi kar lete ho tumhe sukh milta hai kintu agle hi pal koi vastu kisi ke pass  dekhte ho Jo tumhare pass nahi hai to tum usse paane ki chahat rakhte ho aur yadi na mile WO vastu tumhe to tum dukhi ho jaate ho,

Kintu yadi aatm santushti ki bhaawana tum viksit kar kar lo aur Jo tumhare pass hai usme khush rahne ki aadat viksit kar lo to kabhi dukhi nahi hoge,

Sachha sukh kewal bhakti aur aatm santushti se hi prapt kiya ja sakta hai"


Kalyan ho