Sunday 4 February 2018

फिर एक प्रेम कहानी पार्ट-4(स्टोरी)

शाम को खाने की टेबल पर आसिफ अली साहब रिया से फिर मिलते है, हालांकि वहा
पर संजय और उसकी पत्नी भी मौजूद होते हैं।

उसी रात 8 बजे
संजय अपनी पत्नी और आसिफ साहब बाहर घूमने जाते है, लेकिन अपनी तबियत कुछ
खराब का बहाना कर जल्दी घर लौट आते हैं साथ ही संजय और उसकी पत्नी मीना
को एन्जॉय करने को कहते हैं।
रिया ड्रयिंग रूम में किताब पढ़ रही है, तभी आसिफ अली घर मे प्रवेश करते
हैं। उन्हें देख रिया कहती है-

रिया- “काफी जल्दी घूम आये बाहर से, भईया भाभी कहाँ हैं”
आसिफ- “वो अभी एन्जॉय कर रहे हैं पर में तुम्हारे लिए वापस आ गया”
रिया- “ओह रियली”
आसिफ- “यस”
रिया- “पर क्यों”
आसिफ- “रिया तुम बहुत खूबसूरत हो, मैंने तुम जैसी लड़की अपनी ज़िंदगी मे
नही देखी, तुम लाजवाब हो, और लड़कियों से अलग हो”
रिया-“थैंक्स”

इतने में संजय और मीना भी घर लौट आते हैं, पर आसिफ को रिया के पास
ड्राईंग रूम में बैठे देख टोकते की तुम यहाँ क्या कर रहे हो, तुम्हारी
तबियत खराब थी तुम्हे अपने कमरे में आराम करना चाहिए।
इस पर रिया कहती है- रिया-“में ही अकेले बोर हो रही थी, आसिफ साहब अपने
कमरे में ही जा रहे थे पर मैंने ही उन्हें रोक लिया अपने पास”।

इसके बाद आसिफ अली सभी को शुभ रात्रि कह अपने कमरे में सोने चले जाते हैं।

अगली सुबह नाश्ते के लिए सभी 8:30 सभी टेबल पर मिलते हैं और शिमला घूमने
की बात करते हैं, नाश्ते के बाद सभी तय्यार हो कर घूमने चले जाते हैं।
काफी स्थानों पर वो घूमते हैं और शाम के समय वापस लौटने लगते किन्तू रिया
शॉपिंग की बात कह कर थोड़ी देर में घर आने की बात कह कर अपने भाई संजय को
घर जाने को कहती है, संजय घर जाने लगता है लेकिन तभी आसिफ उनसे कहता है-
आसिफ- “संजय मेरे एक दोस्त ने बताया था वो यही रह रहा है आज कल, अभी शाम
के 5 ही बज रहे हैं तो मैं उससे मिल कर थोड़ी देर में घर पहुचता हू तुम
जाओ तब तक”
संजय- “कोन सा दोस्त तुमने नही कभी बताया कि शिमला में कोई दोस्त भी है
तुम्हारा, चलो में भी चलता हूँ तुम्हारे साथ, मैं  भी मिल लूंगा उससे”
आसिफ अली- “जैसे तुमने रिया के बारे में नही बताया वैसे ही मैंने उस
दोस्त के बारे में नही बताया, और उसका घर मुझे ठीक से नही पता कि कहाँ
है, तो ढूंढना होगा,तुम घर जाओ तक गए होंगे, मैं भी जल्दी ही लौटता हूँ”।

ये कह कर आसिफ वहाँ से चल देता है, और वहाँ पहुँच जाता है जहाँ रिया
खरदारी कर रही होती है, रिया को खरीदारी करा शाम 6 बजे घर लौटते समय वो
रिया से कहता है-
आसिफ- “रिया मुझे तुम बहुत पसंद हो, में तुम्हें चाहने लगा हूँ, तुमसे
शादी करना चाहता हूँ, हालांकि हमारी उमर, मज़हब सब अलग और बहुत फर्क है पर
इश्क ये सब नही देखता, में नही जानता तुम मेरे बारे में क्या सोचती हो,
पर सचमुच मैं तुम्हे चाहने लगा हूँ और पूरी ज़िन्दगी तुम्हारे साथ बिताना
चाहता हूँ”।

रिया उसकी बात ध्यान से सुन रही होती है, एक जगह रुक आसिफ को गले लगा कहती है-
रिया- “मुझे भी तुमसे मोहब्बत है, तुम भईया से हमारी शादी की बात करो,
तुम्हारे अच्छे दोस्त हैं वो, उम्मीद है जरूर मान जायँगे”
फिर दोनों घर पहुचते है, दोनों को साथ जब संजय देखता है तो आखो से सवालो
की वर्षा कर रहा हो, आसिफ उसके दिलकी बात समझ जाता है और कहता है-
आसिफ-“हम बस अभी अभी घर मे आते आते मिले हैं”
संजय- “कोई नही आसिफ, मैंने कुछ कहा, बस अंधेरा हो गया था इसलिए तुम
दोनों केलिए चिंतित था।“

अगली शाम रात्रि भोज की टेबल पर
इधर उधर की और देश के कई मसलों की बातचीत उन दोनों के बीच हुई, तभी मौका
देख आसिफ ने संजय से कहा-
आसिफ- “संजय तुम अंतरजातीय विवाह के बारे में क्या राये रखते हो”
संजय- “मुझे लगता है देश को एक करने के लिए ये एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
आसिफ- “और अन्तरधर्मीय विवाह के बारे में क्या राय है”
संजय- “इससे भी देश मे एकता और अखंडता आयेगी, ये तो होना ही चाहिये”।

मौका और जवाब सुन कर आसिफ की हिम्मत बड़ी और उसने संजय से कहा-
आसिफ- “में तुम्हारी बहन रिया से शादी करना चाहता हूँ, हम दोनों ही एक
दूसरे को चाहने लगे हैं, वादा करता हूँ उसे हमेशा खुश रखूंगा”

किँतु उसकी बात सुन कर संजय को बहुत गुस्सा आ जाता है और तुरंत ही घर छोड़
कर जाने को कहता है, आसिफ उसे बहुत समझाने का प्रयास करता ह किँतु संजय
नही मानता और अंततः आसिफ को वहाँ से जाना ही पड़ता है।
आसिफ के जाने के बाद संजय अपनी बहन रिया को बुला कर कहता है कि कभी भी वो
आसिफ से नही मिलेगी, साथ ही व्यापार की सारी साझेदारी आसिफ के साथ कि
खत्म करने का फैसला करता है।

संजय को लगता है अगर उसने अब रिया को अकेले हॉस्टल में छोड़ा तो जरूर वो
आसिफ से मिलेगी, इसलिए वो उसकी पढ़ाई बीच मे ही रुकवा कर दिल्ली ले आता
है।
किँतु दिल्ली आ कर भी रिया और आसिफ की प्रेम कहानी का अंत नही होता, और
चुपके चुपके दोनों मिलते रहते हैं।
आसिफ रिया से कहता है,
 आसिफ- “तुम अभी 17 साल की हो, कानून तुम्हे एक साल और संजय के साथ रहना
पड़ेगा, 18 साल की होने पर में तुमसे शादी कर लूँगा, संजय तब कुछ भी नही
कर पायेगा, तब तक इस रिश्ते को छिपाना होगा”।
रिया भी उसकी बात से सहमत होती है।
किँतु एक दिन डाइनिंग टेबल के पास खड़े हो कर आसिफ का लिखा खत पड़ रही होती
है तभी संजय आ जाता है और कहता है-
संजय- “ये जरूर उस आसिफ का खत होगा, तुम अब भी उससे मिलती हो, मैं उस पर
मुकदमा दर्ज कराऊंगा, ये खत मुझे दो”
ये कह कर वो खत छीनने की कोशिश करते हैं पर रिया ऐसा नही करने देती, वो
रिया से खत छीनने के लिए दौड़ते है पर रिया टेबल के गोल गोल चक्कर लगा
उन्हें थका देती और खत की बोल बना खा जाती है।
नाराज संजय अदालत से ये परमिसन ले आते है कि जब तक रिया 18 साल की नही
होती तब तक किसी बाहरी आदमी से वो मिल नही सकती, किँतु बावजूद इसके वो
आसिफ से मिलती रहती है।
20 फरबरी 1921 को उसके 18 साल की होने पर उसके जन्मदिन पर संजय एक बहुत
बड़ी पार्टी का आयोजन करता है, रिया इसके लिए संजय को शुक्रिया भईया कहती
है।

21 फरबरी 1921 की सुबह 7 बजे डाइनिंग टेबल पर एक खत संजय को मिलता है
जिसमे लिखा होता है-
“आपने मेरे लिये इतना कुछ किया इसका शुक्रिया पर में आसिफ के बगैर नही रह
सकती, इसलिए सदा के लिए उसके पास जा रही हूँ, हो सके तो माफ कर देना,
आपकी छोटी बहन रिया”।

इसके बाद आसिफ के फ़ोन की घण्टी बजती है और वो अतीत की याद से बाहर आता है
और फ़ोन उठाता है-
आसिफ- “हेलो कौन”
फ़ोन के दूसरी तरफ से आवाज़ आती है “पापा मैं रेहाना आपकी बेटी, पापा मैंने
रोमित से शादी कर ली है”।

ये सुन आसिफ फ़ोन काट देता है और अतीत की बातों को याद करता है।

फिर एक प्रेम कहानी पार्ट-३(स्टोरी)


पार्ट-३
अगले दिन आसिफ अली संजय के साथ रिया के कॉलेज जाते है, संजय जब प्रिन्सिपल से रिया के बारे में पूछते है तो वो बताती है कि वो तो गार्डन में घुड़सवारी के लिए गयी है। ये सुन दोनों गार्डन की तरफ चल देते है।
गार्डन पहुँच कर देखते हैं एक लड़की बहुत अच्छी घुड़सवारी कर रही है, उन्हें देख कर उनके पास आती है और संजय को देख घोड़े से उतर संजय के गले लग जाती है। और उनके बीच वार्तालाप शुरू होती है-
रिया-“भइया आप, व्हाट अ सरप्राइज, लाइक इट”
संजय-“यस माय स्वीट यंगर सिस्टर”

रिया-“ये कोन है आपके साथ जेंटलमैन”
संजय-“मेरे बिज़नेस पार्टनर और मेरे करीब दोस्त मिस्टर-आसिफ अली साहब”
रिया-“आपसे मिलकर खुशी हुई”
आसिफ-“मुझे भी”

आसिफ अली रिया की खूबसूरती पर पहली नज़र में ही फिदा हो जाते हैं जबकि उनकी आयु रिया से 20 वर्ष अधिक की होती है।

संजय-“रिया अपना सामान पैक कर लो हम लोग जब तक शिमला में है तब तक हम सब साथ रहेंगे, हमने तुम्हारे कॉलेज के प्रिंसिपल और होस्टल की वॉर्डन से बात कर ली है”।

रिया-“अव्व थैंक यू भईया, अब कुछ दिन तो यहाँ की कैद से आज़ाद मिलेगी”।

फिर एक प्रेम कहानी पार्ट-२(स्टोरी)

पार्ट-२
(सन-1920)आसिफ अली के घर पर शाम 4 बजे फ़ोन की घंटी बजती है, आसिफ साहब फ़ोन उठाते हैं “हेलो आसिफ अली स्पीकिंग”
फ़ोन के दूसरे तरफ से आवाज़ आती है “आसिफ साहब में संजय बोल रहा हूँ तुम्हरा बिज़नेस पार्टनर”

आसिफ-“हाँ बोलो में सुन रहा हूं”
संजय- “आसिफ हम इस बार शिमला जा रहे हैं, सुना है काफी बर्फबारी हुई है वहा, क्या तुम भी हमारे साथ चलना पसन्द करोगे, मेरा एक पुराना घर भी है वहा तो रुकने की भी दिक्कत नही होगी”।

आसिफ-“नही संजय तुम जाओ एन्जॉय करो मुझे यहाँ दिल्ली में बहुत काम है, माफ करो चाह कर भी नही चल सकता”।

संजय-“अर्रे यार काम तो चलता ही रहता है, कुछ वक्त अपने लिए भी निकालो, देखो तुम्हारी भाभी भी ज़िद कर रही है बोल रही है आसिफ भइया को साथ नही लाये तो वो भी नही जायँगी, यार प्लीज चलो न, मेरी छुट्टिया क्यों बिगाड़ रहे हो”।

आसिफ-“ठीक है ठीक है चलता हूँ पर एक महीने से ज्यादा नही रुकूँगा वहाँ”।

संजय-“ओके गुड फाइन एंड थैंक यू दोस्त, कल ही निकलते हैं, तुम पैकिंग कर लेना हम तुम्हे पिकअप कर लेंगे”।

अगले दिन वो लोग शिमला के लिए निकल पड़ते हैं और उसके अगले दिन शिमला पहुच जाते हैं, आसिफ अली संजय के साथ उसके ही घर में रुकते हैं।
अगली सुबह संजय-“आसिफ मेरी छोटी बहन रिया यहां के एक कॉलेज में पड़ती है, होस्टल में रहती है, सोच रहा हूं जब तक हम यहाँ है उसे भी यही कुछ दिन के लिए बुला लू, साथ मे वो भी एन्जॉय कर लेगी साथ ही जो शिकायत रहती है उसे की भईया उसे टाइम नही देते वो शिकायत भी दूर हो जाएगी”।

आसिफ-“बिल्कुल सही आईडिया है, पर तुमने बताया नही की तुम्हारी कोई छोटी बहन भी है और इतनी दूर रहती है”।

संजय-“हाँ रिया के बारे में मैंने कम ही लोगो को बताया है, सच तो ये है वो मेरी सौतेली बहन है पर में उससे सगी बहन जैसा ही प्यार करता हू, वो नही जानती की में उसका सौतेला भाई हूँ, मम्मी पापा के बाद अब हम दिनों का एक दूसरे के  सिवा कोई नहीं”।

आसिफ अली-“आई अंडरस्टैंड एंड ब्लेस”

फिर एक प्रेम कहानी (स्टोरी)-पार्ट-१



रेहाना- “पापा मुझे रोमित से मोहब्बत है, में उसी से शादी करना चाहती हूँ, वो बिल्कुल मेरे जैसा है, हम पहली बार पेरिस में मिले थे और पहली ही नज़र में हमे प्यार हो गया।“

आसिफ अली- “रेहाना खबरदार जो उस काफ़िर से शादी की , मेरे रहते में तुम्हे उससे शादी की इजाज़त नही दे सकता, हिंदुस्तान में करोड़ो मुस्लिम है उनमें से किसी को क्यों नही चुन लेती”।

रेहाना- “पर पापा में उससे प्यार करती हूँ,  और वो भी तो एक हिंदुस्तानी है, बहुत बड़ा कारोबार है उसका भारत से ले कर यूरोप तक”।

आसिफ अली- “मैं कुछ नही सुनना चाहता, तुम उस हिन्दू से शादी नही कर सकती और अगर की तो मेरा तुम्हरा रिश्ता खत्म”।

रेहाना- “पापा आप ये कैसे कह सकते हैं, आपने भी तो मोहब्बत की थी मेरी माँ से, आपने भी तो एक हिंदू लड़की से शादी की थी जबकि करोड़ो मुस्लिम लडकिया यहाँ भारत में थी और कितनी ही आप पर मिटती थी लेकिन आपने अपना दिल मेरी माँ को दिया उनसे शादी की आखिर क्यों पापा”।

आसिफ अली- “हाँ मैने तुम्हारी माँ से शादी की पर जब वो मुसलमान बन गयी तब”।

रेहाना- “अगर वो मुसलमान नही बनती तो आप उनसे शादी नही करते?? अफसोस पापा पर मैं रोमित के अलावा किसी से शादी नही कर सकती, मुझे फर्क नही पड़ता कि उसका मज़हब क्या है”। ये कह कर रेहाना वहाँ से चली जाती है, आसिफ अली अकेले अपने कमरे में रह जाता है और अतीत के पलों में खो जाता है

Saturday 3 February 2018

कविता

"ना कर और सितम ऐ ज़िन्दगी
छोड़ देंगे साथ तेरा भी एक दिन"

"दिल का सौदा दिल दे कर किया
एक बेवफा से प्यार हमने था किया

जंजीरे तोड़ दी सारी ज़माने की
हद से ज्यादा तुझसे ही प्यार किया

भुला दी रस्मे जहाँ की सारी हमने
दिल दे कर दिलसे तुझसे प्यार किया

हरजाई है वो पता था मुझे भी ये
इश्क में वफ़ा का गुनाह हमने किया

दिल का सौदा दिल दे कर किया
एक बेवफा से प्यार हमने था किया-२"

"हो अजनबी पर अपने से लगते हो
हो ख्वाब में मगर सच्चे से लगते हो
सपनो से निकल दिलमे आओ तुम
क्यों ऐसे यु मनमे बसने से लगते हो"



एक सच्ची कहानी-दयाशीलता

 (मित्रों ये कहानी मैंने किसी पाकिस्तानी से सुनी थी जो भारत के लोगों का व्यवहार और दया भाव के बारे में इस कहनी के माध्यम से बता रहा था, ये sachhi कहानी मुझे भी बहुत अच्छी लगी इसलिए यहाँ पोस्ट की, उम्मीद है आपको भी आयेगी और गर्व महसूस करेंगे कि आप भारतीय है) दो अच्छे परिवार की मुस्लिम बहने ईराक घूमने गयी। वहाँ एक 12 साल का लड़का उनके पास आया जो t shirt बेच रहा था, उनसे बोला “मैडम प्लीज ये टी शर्ट ले लीजिए, सिर्फ 2000 में 5 टी शर्ट।“ वो लड़का इराकी में बोल रहा था, उन दोनों बहनों में एक को इराकी आती थी, उस लड़की ने टी शर्ट लेने से मना कर दिया, वो लड़का उदास हो गया फिर बोला “ मैडम प्लीज ले लीजिये”। उन लड़कियों ने फिर आपस मे विचार किया कि चलो ले ही लेते हैं, कपड़ा इतना बुरा भी नही है, फिर उस लड़के से कहती है “2000 तो बहुत ज्यादा है 1500 में दो तो हम ले लेंगे”। ये सुन लड़का कहता है “मैडम इतने में तो मेरा भी पूरा नही होगा, कोई मुनाफा भी नही होगा, पर आपको में 1700 में ये दे दूंगा”, लड़किया आपस मे फिर विचार करती है और आखिर 1700 में ले लेती है टी शर्ट। टी शर्ट बेचने के बाद लड़का बहुत खुश होता है और कहता है अब घर मे खाने की व्यवस्था इस पैसे से हो जायेगी। ये देख लड़कियां कहती है शायद ये दिन की पहली बोनी हुई है तुम्हारी, तो लड़का कहता है “मैडम जी पूरे दिन की नही इस पूरे हफ्ते की ये पहली बोनी है”। ये सुन दोनों बहनें स्तब्ध रह जाती है, वो उससे उसके पिता के बारे में पूछती है तो लड़का कहता है “3, 4 आदमी काले कपड़े में उसके घर आये उसके पिता को आवाज़ लगाई तो उसकी माँ गोदी में उसकी छोटी बहन को ले कर निकली एवंम वो भी अपने पिता का हाथ पकड़ कर निकला इतने में ही उन आदमियों ने पिता के माथे पर बंदूक रखी और गोली चला दी उन्ही के सामने और पिता ने उन्ही के सामने ही प्राण त्याग दिए, तभी से में अपना अपनी बहन और माँ का ये काम कर पेट पालता हूँ।“ ये सुन उन बहनो की आंख से आँसू बहने लगते हैं, वो उस लड़के को वही कुछ देर रुकने को बोलती है और तुरन्त अपने होटल जाती है, वहाँ उनके पास जो भी खाने पीने का सामान होता है सब ले कर बांध देती और वापस उस लड़के के पास आ कर उसे दे देती है, पहले तो लड़का नही लेता पर उन लड़कियों के जोर देने पर ले लेता है और कहता है “या अल्लाह तूने तो पूरे एक हफ्ते के भोजन की व्यवस्था कर दी तेरा शुक्रिया”। लड़के को इतना खुश देख कर वो जाने लगती है तो वो लड़का कहता है “आपकी वजह से आज बहुत दिन बाद मेरे घर मे चूल्हा जलेगा, में अल्लाह से दुआ करूँगा की आपकी सभी दुआ पूरी हो।“ उस छोटे से लड़के के मुख से ये सुन कर वो मुस्कुरा देती हैं और वहाँ से चली जाती हैं।

Thursday 1 February 2018

कविता-ज़िन्दगी की राहों में हमराही बहुत है

"ज़िन्दगी की राहों में हमराही बहुत है
इश्क की महफ़िल में धोखे बहुत है

मोहब्बत में कितने रंग बदलते है लोग
बेवफाई के यहाँ तो ये मौके बहुत है

दूर तलक चलने की बात कहते है जो
अक्सर मझधार में वो छोड़ते बहुत है

दिल तोड़ समझते है बड़ा काम किया
साथियों में जो होती वाहवाही बहुत है

सोचते है रुसवाई दे कर जग जीत गए
एक दिन जग में होती जगहँसाई बहुत है

इश्क खेल समझ कर दिलोसे खेलते हैं
मिलती उन्हें भी फिर रुसवाई बहुत है

मन्ज़िल तक साथ निभाये जो साथी मेरा
पर इस राह में छोड़ने वाले ये राही बहुत है

टूट कर बिखर चुके होते हम कभी यु ऐसे
बस खुदको यु संभाले और रोके बहुत है

ज़िन्दगी की राहों में हमराही बहुत है
इश्क की महफ़िल में धोखे बहुत है-२"