Friday 15 June 2018

ईश्वर वाणी-256, व्यक्ति का व्यवहार व उसके कर्म

ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों यु तो तुम्हें ये मानव रूपी भौतिक देह प्राप्त हुई है किंतु केवल ये देह तुम्हें भौतिक संसाधनों का उपभोग करने के लिए नही मिला अपितु मोक्ष प्राप्त कर अनन्त जीवन पाने हेतु मिला है।

किंतु तुम मोक्ष को प्राप्त कर अनन्त जीवन पाओगे या फिर जन्म-मरण के चक्र में फसे रहोगे ये तुम्हारे कर्म तय करेंगे। यद्दपि मैंने सभी मनुष्यों को ये बुद्धि अवश्य दी है कि वो खुद तय कर सकता है कि क्या गलत है क्या सही किंतु उसके मस्तिष्क पर स्वार्थ इस कदर हावी होता है कि सब कुछ जान और समझ कर भी मनुष्य बुरे कर्म करता है और इस तरह जन्म मरन के चक्र में फसा रहता है।

किंतु मनुष्य जो जैसा भी व्यवहार करता है ये व्यवहार उसके पिछले कई जन्मों के अनुभव के आधार पर होता है, यद्धपि उसे पता होता है गलत सही किंतु फिर भी वो गलत रास्ता चुनता है चोरी करता है झूठ बोलता है व्याभिचार करता है दूसरों की संपत्ति धन छिनता है कटु व्यवहार करता है हत्या करता है परमात्मा अर्थात मेरे नाम पर भी लोगो को छलता है अज्ञान का प्रसार करता है आलोचना करता है कभी भौतिक आवश्यकताओं के लिए संतुष्ट नही होता दूसरो की तरक्की से ईर्ष्या करता है निरीहों की निम्न नामो से हत्या करता है, ये व्यवहार मनुष्य के कई पिछले जन्मों का फल है, सब कुछ जानते और समझते हुए उसका ऐसा व्यवहार उसे कभी मोक्ष पाने नही देता और मनुष्य निन्म रूपों में इस जन्म मरण के चक्र में फसा रहता है।

हे मनुष्यों यद्धपि तुमने सुना होगा कि कई पशु-पक्षी जिनमे से कई तो हिंसक और मासाहारी भी होते हैं वो नेक कर्म कर जाते हैं, कई जीवो की अथवा मनुष्यों की भी सहायता कर जाते हैं, उनका ये व्यवहार उनके पिछले अच्छे कर्म से शुरू हो कर मोक्ष की ओर ले जाता है, मोक्ष प्राप्त केवल मनुष्य देह से हो ये आवश्यक नही क्योंकि मोक्ष रूपी अनन्त जीवन भौतिक देह के आधार पर नही मिलता अपितु कर्म के आधार पर मिलता है और कर्म व्यवहार से तय होते है और व्यवहार पिछले कई जन्मों के आचरण से।

हे मनुष्यों मैं तुमसे फिर कहता हूँ भौतिक सुखों के पीछे मत भागों अपितु अपने कर्म सुधारो ताकि तुम्हें मोक्ष रूपी अनन्त जीवन मिल सके, अनन्त सुख मिल सके, वो तुम्हे मै दूँगा क्योंकि मैं ईश्वर हूँ।"

कल्याण हो

Copyright@Archana Mishra

Thursday 7 June 2018

2 lines

"तेरे हुश्न ने मुझे शायर बना दिया
तेरी मोहब्बत ने मुझे कायर बना दिया"

Wednesday 6 June 2018

कविता-आज लिख दु मैं👌👌👍👍

"दिल के सब ज़ज़्बात आज लिख दु मैं
है जो दिल मे बात उसे आज कह दु मैं

थी दफन मोहब्बत दिल की गहराई में
इस कागज़ पर लहू से आज लिख दु मैं

डरता रहा मैं इस जहाँ से अब तलक जो
है मोहब्बत कितनी उनसे आज कह दु मैं

इश्क में तेरे हुआ कैसा दीवाना ऐ ह्मनशीं
हर बात कागज़ पर ऐसे आज लिख दु में

दिल के सब ज़ज़्बात आज लिख दु मैं
है जो दिल मे बात उसे आज कह दु मैं-2"👍

Copyright@Archana Mishra

Thursday 24 May 2018

कविता-एक नई ज़मीन और आसमान ढूंढता हूँ मैं



"सदियों से यू प्यासा हूँ बस एक कुआ ढूंढता हूँ
फिर से एक नई ज़मीन और आसमान ढूंढता हूँ

शायद मिल जाये जहाँ में मोहब्बत के निशां
ऐ ज़िन्दगी ऐसा हमनसी और यार ढूंढता हूँ

कम पड़ जाती है ज़िन्दगी बस वफ़ा के लिये
मिले उमर भर वफ़ा  बस वो प्यार ढूंढता हूँ

इश्क में खेलने वाले इन ज़ज़्बातों से मिले बहुत
जो समझे इन ज़ज़्बातों को वो संसार ढूंढता हूँ

मज़हब के नाम पर लड़ ज़ख्म देते हर रोज़ यहाँ
इंसां को इंसा बनादे वो गीता-कुरान ढूंढता हूँ

सदियों से यू प्यासा हूँ बस एक कुआ ढूंढता हूँ
फिर से एक नई ज़मीन और आसमान ढूंढता हूँ-२"

कॉपीराइट@अर्चना मिश्रा




Tuesday 22 May 2018

चंद अल्फ़ाज़

"मैंने आज इश्क का ये पैगाम लिखा
इस महफ़िल में फिर सरेआम लिखा
कबूल कर न कर मर्ज़ी तेरी हमनशीं
दिल ने धड़कनो पर तेरा नाम लिखा"


"इश्क का दरिया युही बहने दो
दिलकी बात ज़ुबा पर आने दो
न रोको तुम अपने ज़ज़्बातों को
दिल से धड़कन की बात होने दो"



Monday 21 May 2018

ईश्वर वाणी-255, ईश्वर के द्वारपाल

ईश्वर कहते हैं, “हे मनुष्यों जैसे तुम किसी बड़े ओहदे वाले व्यक्ति से मिलने जाते हो और सबसे पहले तुम उसके सेवक व दरबान से मिलते हो, जब उसकी इच्छा व उसके मालिक की आज्ञा होती है तब तुम उक्त व्यक्ति से मिलते हो।

वैसे ही मुझ निराकार ईश्वर से मिलने से पहले तुम्हें मेरे द्वारा नियुक्त निम्न दरवानो से मिलना होगा, यद्धपि ये मेरा ही एक अंश है, इन्हें मैंने ही बनाया और अपना दरबान नियुक्त किया ताकि सही व्यक्ति ही मुझ तक पहुँच सके न कि हर व्यक्ति।
देश, काल, परिस्थिति के अनुरूप तुम मेरे जिन अंशो को मानते व पूजते हो वो तो मुझ तक तुम्हे लाने मात्र का मार्ग प्रशस्त करते हैं, मेरी ही आज्ञा यदि होती है तब तुम्हे मेरे पास लाते है, मेरी ही आज्ञा से तुम्हारे जीवन का दुःख-सुख वो तय करते हैं, यद्धपि मेरे द्वारपाल है वो किंतु पूजनीय प्रत्येक व्यक्ति के लिए उतने ही है जितना मैं हूँ।
 जैसे माता पार्वती से उतपन्न गणेश भगवान को माता ने अपने स्नान ग्रह के बाहर उन्हें द्वारपाल नियुक्त कर ये आदेश दिया कि कोई भी उनकी इच्छा के बिना भीतर प्रवेश न करे, जिसका पालन श्री गणेश ने अपने पिता द्वारा अपना सर कटवा कर भी पूरा किया, ठीक वैसे ही इस संसार के समस्त देवी-देवता देश काल परिस्थिति के अनुरूप मेरी ही आज्ञासे जन्मे व जीव और प्राणी जाती का कल्याण कर मनुष्य को उसके कर्म, उसके जीवन के उद्देश्य, संसार मे उसका पद, उसके कार्य याद दिला कर मुझमे लीन हो गए, किन्तु उनके उस भौतिक स्वरूप और उनके उस भौतिक स्वरूप में दिए वचनों पर चलने व मानने वाले व्यक्ति के लिए उनका वही रूप मेरे द्वारपाल के रूप में उपस्थित हो कर मुझसे मिलने और न मिलने का निर्णय मेरी ही आज्ञा से ले आत्मा को उसके लोक व जन्म का निर्धारण करते हैं।
हे मनुष्यों ये न भूलों मैं ही समस्त जीवों का, समस्त ब्रह्मांड का,कण कण का स्वामी परमेश्वर हूँ, परम*ऐश्वर्य=परमेश्वर। जिसका शाब्दिक अर्थ है
प=प्रथम
र=राजा
म=मैं, महान
ए=एक
श=शक्तिशाली
व=वीर, विशाल अनन्त
र=राज्य
अर्थात संसार का सृष्टि का प्रथम राजा एक इकलौता महानों में महान मैं हूँ, मेरे अतिरिक्त कोई नही, में ही सर्वशक्तिमान शक्तिशाली वीरों में वीर इस सृष्टि रूपी राज्य का स्वामी में ही हूँ।
किंतु अपने समान ही समस्त अधिकार दे कर मैं अपने अंशो को धरती पर देश काल परिस्तिथि के अनुरूप भेजता हूँ, धरती व धरती के समस्त जीवों के कल्याण हेतु, उनके मार्गदर्शन हेतु व सही उद्देश बताने व उनकी ओर अग्रसर करने हेतु। 
तत्पश्चात समस्त जीवों के कल्याण व प्रकति की देखरेख हेतु मनुष्य का जन्म हुआ, मनुष्य को मेरे अंशो द्वारा धरती पर केवल प्राणी व जीव जाती का सेवक अर्थात एक ऐसा राजा नियुक्त किया जो इन पर शाशन नही अपितु इनकी सेवा कर सके, निम्न कार्यो को कर जो मेरे अंशों ने बतलाये उन्हें पूर्ण कर अनन्त जीवन को पाये।

किंतु मनुष्य अपनी शक्ति के मद में सब कुछ भूल बैठा है, और खुद को ईश्वर समझ बैठा है किंतु समय समय पर उसको में याद दिलाता रहता हूँ तुम एक इंसान हो सिर्फ इस धरती व जीवो के सेवक न कि मालिक क्योंकि मैं परमेश्वर हूँ।

कल्याण हो








Wednesday 16 May 2018

चंद अल्फ़ाज़ अपने लिए

"उफ कितना मासूम है ये चेहरा
रह रह कर चुराता है दिल ये मेरा
देख कर जिसे आता है प्यार मुझे
रिश्ता है मीठी का खुशी से गहरा"

"खुदा ने महनत से संसार बनाया
खुदा ने रहमत से मेरा यार बनाया
चाहे उसे दिल दिन रात युही बस
धड़कन ने उसे यु मन मे बसाया"