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Friday, 27 January 2017

मुक्तक

मिलता नही यहाँ यूँ कुछ भी आसानी से
खो जाता है सब कुछ बस एक नादानी से
अपना कहने वाले मिलते बहुत हे लोग यहाँ
ज़ख्म गहरा वही दे जाते है अपनी बेमानी से

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