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Tuesday, 3 January 2017

ईश्वर वाणी-१७८, धार्मिक ग्रंथ

ईश्वर कहत् है, "हे मनुष्यों युँ तो तुमने अनेक धार्मिक ग्रंथ पड़े होंगे उनसे बहुत कुछ सीखा होगा, किंतु ये ग्रंथ केवल देश/काल/परिस्तिथीयों में मेरे द्वारा भेजे धरती पर मेरे ही अंश द्वारा कही गयी बातों का सक्षिप्त सारांश मात्र है,

हे मनुष्यों हर एक धार्मिक ग्रंथ मैं केवल मेरे ही अंश विशेष का वर्णन मात्र है जैसे - शिव महापुराण मैं भगवान शिव का, श्रीमदभागवत मै श्री क्रष्ण का, बाईबल मैं जीसस का, किसी भी धार्मिक ग्रंथ का अध्धयन तुम करो केवल तुम्हे विशेष वर्णन ही तुमहें मिलता है,

हे मनुष्यों इसलिये केवल इनका अध्धयन मात्र ही तुम्हे आध्यात्मिक ग्यान दे संभव नही है, आध्यात्मिक ग्यान एक श्रेष्ट गुरू अथवा मैं ही तुम्हें दे सकता हूँ"

कल्याण हो 

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