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Saturday, 30 May 2020

तन्हा शायरी



1-"हाथों की लकीरों को खूब बदलते देखा है
वक्त को हर पल यू खूब मचकते देखा है
कभी धूप कभी छाँव जैसे होते हैं ये रिश्ते
हर निखरे रिश्ते को भी खूब ढलते देखा है"

2-"रेत पर लिखे शब्दो की तरह हो गए रिश्ते दिलके
कब मोहब्बत लिखी और कब मिटा भी गए दिलसे"

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