Tuesday, 12 November 2024

ईश्वर वाणी- युग क्या है??

 हमने अक्सर चार युगों के बारे मे सुना है, ये चार युग है क्या? आज इसके बारे में जानते हैं, ये चार युग ब्रह्मांड की वो चार अवस्थाएँ खासकर हमारे सौर मंडल की चार अवस्थाएँ है, प्रथम अवस्था शिशु अवस्था जिसे सतयुग कहा जाता है, शिशु के समान तब वहा लोगों का जीवन और स्वभाव था, तभी आज भी शिशु को भगवान् स्वरूप कहते हैं, दूसरी अवस्था त्रेता युग, जो बालक समान व्यवहार था उस काल के मनुष्यों का, कुछ बालक झूठे मक्कार स्वार्थी चोरी करने वाले क्रोधी और तमाम गलत कृत्यो मे विलीन हो जाते हैं किंतु कुछ अच्छे कर्म और सौम्य रूप से बाल्यावस्था को जीते हैं, द्वापर युग, ek युवा युग, जिसमे एक वयस्क व्यक्ति के समान स्वार्थ, छल कपट, द्वेष, व तमाम बुराइयाँ है, तो वही कुछ लोग अछाइयों के साथ जी तो रहे हैं पर कठिनता से, कलियुग अर्थात वृथावस्था, अर्थात सब कुछ देख लिया जी लिया, अब खत्म होने की कगार पर है पर उतना ही अहंकार, मोह छल कपट व बुराइयाँ है, जो युवा अवस्था मे नही हासिल कर सके वो वृधावस्था मे हासिल करने की अंधी दौड़। 


सत्य तो ये है, हर व्यक्ति आज भी इन चार युगो को जी रहा है, जब उसका जन्म होता है तब वो शिशु अवस्था मे सतयुग मे जीता है, उसके अंदर कोई छल कपट बुराई नही होती, वही बाल्यावस्था मे वो त्रेता युग मे जीता है जहाँ वो झूठ बोलना चोरी करना पाप करना और तमाम काम सीखता है, कुछ अच्छे कर्म भी सीखता है वही गलत भी और जो सीखता है उसका अनुसरण करता है, वही द्वापर युग मे आकर यानी युवा अवस्था मे आकर जो अब तक सीखा उसमें पूरी तरह perfect हो जाता है और वैसा व्यवहार करता है, अच्छे व्यक्ति अच्छा करते हैं पर कितना भी अच्छा कर ले कही न कही मलिनता उनके व्यवहार मे रहती ही है और जिन्होंने गलत सीखा है वो पूर्ण रूप से उसका पालन करते हैं और कभी सुधारते नही और न अपने गलत कर्म पे कोई पछतावा करते हैं, वही कलियुग यानी वृधावस्था इस अवस्था मे मे भी इनका व्यवहार वैसा ही होता है जैसे युवा अवस्था मे था, अच्छे कर्म के व्यक्ति गरीब दुःखी अकेले और जीवन को ढोते है वही धूर्त व्यभिचारी तुच्छ सोच के व्यक्ति जो पहले कर रहे थे वही करते हैं और जो युवा अवस्था मे न कर सके वो करने मे लगे रहते हैं। 


इसलिए आज भी हर व्यक्ति ये चार युग जीता है

Sunday, 27 October 2024

दर्द भरी शायरी

 तेरे बिन जीना सीख लिया

तेरे बिन रहना सीख लिया

तू रहे खुश जहाँ मे सदा

बिन तेरे खुश होना सीख लिया

Wednesday, 23 October 2024

Romantic shayri



"जाने कब कोई दिल को भाने लगा

एक अजनबी दिलमें आने लगा

न देखा न जाना जिसे कभी हमने

पर ये दिल उसे अपना बनाने लगा"


"मोहब्बत उनसे ही क्यों होती है, जिन्हे पा नही सकते, 

दूर उनसे हुआ नही जाता, किसी और के हो नही सकते

रूह में बस जाते हैं जो अक्सर, हर साँस के साथ उन्हें

दिल से मिटा नही सकते , किसी और को समा नही सकते"

Wednesday, 16 October 2024

रोमांटिक शायरी

 तेरे जैसा कोई न होगा

दिल तेरे सिवा किसीका न होगा

मोहब्बत हुई है रूह से तेरी

ये ईश्क अब किसी और से न होगा

Tuesday, 15 October 2024

Romanctic shayri

 "तेरे लिए हद से गुज़र जायेंगे

तेरे लिए क्या कुछ कर जायेंगे

न छोड़ना साथ तुम मेरा कभी

बिन तेरे जीते जी मर जायेंगे"



"कोई शिकवा गिला करते हैं

दिन रात तेरे लिए दुआ करते हैं

रहे सलामत सदा चाहें जहाँ रहे

रब से बस यही फरियाद करते हैं"

Wednesday, 25 September 2024

दर्द भरी शायरी

 बहुत  कुछ  कहना  है पर ज़ुबाँ खामोश है

है दिलमे  बहुत  कुछ पर  ज़ुबाँ खामोश है

जी  चाहता  है  बयाँ कर  दू जो है  दिल मे मेरे

कैसे करू बयाँ सुनने वाला ही खुदमें मदमोश है

Friday, 16 August 2024

दर्द भरी शायरी

 अब  हकीकत  से, हसीं  ये ख्वाब लगने लगे हैं

भूले  बिसरे  अपने, वहा हर दिन मिलने लगे हैं

जी चाहता है, एक गहरी नींद मे अब सो जाऊ

ख्वाबो मे सही,मोहब्बत के फूल वहा खिलने लगे हैं