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Wednesday, 23 November 2011
Monday, 21 November 2011
Maanga tha sirf
Maanga tha sirf zindgi bhar ka saath unka, chaaha tha kabi na kam ho pyaar unka, rahte the mere dil me wo iss kadar ki har dhadkan me sirf naam hi sunai deta tha sirf unka, ek waade ki hasrat liye jane kahan jaa rhe h hm, kaash ab to wo b kah de hmse teri tarah mujhse bhi h ab na dur ho kar jiya jaata, karta hu main bhi tujhe ab pyar beintha.......
Sunday, 20 November 2011
Kyon karke tanha muje
Kyon karke tanha muje chale gaye tum, kyon de kar gam judai ka dur ho gye tum, kyon rula kar mujhe kis jahan me kho gaye ho tum, tumhari yaad aati h har muje, bhig jaati h palke tujhe yaad kar k, mujhe bas itna bata do kya apni uss duniya me kabi muje b yaad karte ho tum.....
har lamha yaad aata h
Tere saath bita har lamha yaad aata h, tere saath khushi wo har pal yaad aata h, mere hontho pe kis kadar laate the tum hassi aaj tumse juda ho kar aansu k saath wo waqt bahut yaad aata h...
Kyon milti h judai
Kyon milti h judai unse hi jo rahte h dil me har pal hi , kyon diya h dard unhone hi jinhe di khushi har pal hi, kyon diye aansu usne hi jinhe di muskuraht har pal hi, mili kyon unse hi wafa k badle bewai jinpe har pal h jaan lutai......
Friday, 18 November 2011
A True Love Story ( part !! )
प्यारे दोस्तों तो आपने मेरी कहानी का पहला भाग पड़ा, मुझे उम्मीद है की आपको अच्छा लगा होगा, दोस्तों अब हम आपको अपनी कहानी का दूसरा भाग लिखने जा रहे हैं, और उम्मीद करते हैं की ये भी आपको बहुत पसंद आएगा,
समीरा शुभम का साथ प् कर बहुत ही ज्यादा खुश थी, उससे तो जैसे जन्नत ही मिल गयी थी, समीरा को उसका पहला प्यार जो उससे मिल गया था, उसे वो पल मिल ही गया था आखिर जिसका वो न जाने कब से इंतज़ार कर रही थी, पर शायद ये ख़ुशी ज्यादा दिन की नही थी,
समीरा की मासूमियत यहाँ भी उसकी ख़ुशी में बाधा बन्ने लगी, अनजान सी,भोली सी, दुनिया के बनावटीपन से दूर समीरा को शुभम का व्यवहार कुछ अजीब सा लगता था, पहला प्यार था उसका, अनजान थी हर रिस्ते से वो, पर शुभम उसको ठीक से नही समझता था, उसकी मासूमियत की वज़ह से बहुत बार उसकी हर मोड़ पर बेईज्ज़ती करने लगा, उसमे खामिया गिनने लगा, समीरा को कुछ समझ नही आता था की वो क्या करे, आखिअर वो उससे रिश्ता ख़त्म करना चाहती थी, उसे लगने लगा था की वो शुभम के लायक नही है बल्कि किसी के भी लायक नही है, हर रोज़ लड़ाई से अच्छा है रिश्ता ही ख़त्म कर दिया जाए,
शुभम भी शायद ये ही चाहता था, दोनों ने अलग होने का फैसला ले लिया, पर कुछ दिन बाद फिर एक हो गए, दूर होने पे इन्हें अपने प्यार का अहसास हुआ, पर शुबम का वयवहार अब भी नही बदला था, बात बात पे लड़ता, उसे दुःख पहुचता, उसने कभी उसके दिल को जान्ने की कोशिश नही की, नहीं जाने को कोशिश की वो उससे कितना चाहती है, और न ही ये की उसे उसके प्यार की कितनी जरूरत है, बचपन से ही जिसने सिर्फ आंसू देखे हो उससे पैसे नही सिर्फ सच्चा प्यार चाहिए, जो उससे हमेशा खुश रखे, ये ही वो सिर्फ शुभम से चाहती थी, पर वो इन् से अनजान सिर्फ समीरा हो गमो के सागर में डुबो कर रखता था,
फिर एक दिन उसने ऐसा झगडा कर के ऐसा उसका दिल तोडा की समीरा को अपने एक सहेली के साथ दिल्ली से दूर किसी और शहर जाना पड़ा, वह उससे भुलाने की बहुत कोशिश की उसने पर न कर सकी वो, वहां जब भी घूमने वो जाती तो मन्नतो में सिर्फ शुभम को ही मांगती थी की वो उसकी ज़िन्दगी में वापस आ जाए, उससे पाने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार थी, कांटो पे चलने को भी तो तैयार थी, बहुत कष्ट सहा उसके लिए और उस नादान ने कभी जाहिर भी नही होने दिया उसे कुछ सिवाए अपने प्यार के,
वक़्त ने एक बार उसे शुभम को दिया, पर शुभम की आदतों में अब भी कोई सुधर नही था, दिल दुखता था बार उसका, किस्मत ने एक बार करवट बदली, समीरा अपने परिवार के साथ उसके शहर जो की एक तीर्थ स्थल था वह आई, उसने सोचा इतने सालो से जो उससे नही मिली हूँ अब उससे मुलाक़ात हो जायगी, पर नसीब में उसे मिलने नही था लिखा, वो उसके पास से निकल गयी पर उसे न देख पायी,
वापस दिल्ली आने में पे उसकी आँखों में सिर्फ आंसू थे, पता नही कब मिलूंगी उससे ये सोच सोच कर आंसू गिराए जा रही थी वो, कोई न देख ले उसके आंसू इसलिए बार बार वाशरूम रा रही थी वो,
भगवन ने फिर एक बार उसके साथ मजाक किया कुछ दिन बाद शुभम दिल्ली आया, उसने उससे वहां आ कर संपर्क किया पर उस दिन समीरा मंदिर गयी थी, और अपना फ़ोन घर पे छोड़ गयी थी, जब वापस आई और उसने शुभम की छूटती कॉल देखि तो उसने फोन पे उससे संपर्क किया पर तब तक वो दिल्ली से जा चूका था,
धीरे धीरे वक़्त फिर ऐसे ही बीतता रहा, कुछ दिन बाद फिर शुभम दिल्ली आया पर समीरा फिर उससे न मिल सकी किसी वज़ह से, कुछ दिन बाद शुभम ने समीरा से फिर झगडा किया और उससे बात करनी बंद कर दी, प्यार की प्यासी समीरा को लगा की उसकी वज़ह से शुभम को दुःख पंहुचा है, वो मथुरा ब्रिन्दावन दर्शन के लिए गयी, वह अपनी गलती जो उसने की थी नहीं थी भगवन से माफ़ी मांगी सिर्फ शुभम के लिए और तपती ज़मीन पे पूरा ब्रिन्दावन घूमी, ये सोच कर की उसकी वज़ह से शुभम को दुःख पंहुचा है तो ये उसकी सजा है, उसने शुभम को दुःख कैसे दे दिया...... ज़िन्दगी के हर मोड़ पर वो सिर्फ उसकी ख़ुशी चाहती थी और बदले में सिर्फ उसका प्यार....
ज़िन्दगी चल रही थी फिर एक दिन अचानक ऐसा मोड़ आया जिसने बहुत कुछ बदल के रख दिया, शुभम ने फिर से बुरी तरह समीरा का दिल तोड़ दिया, इस बार समीरा फैसला किया की अब वो इस रिश्ते को ख़त्म कर के किसी और का हाथ थाम लेगी जिससे वो नही वो उसे बेहद चाहेगा, अपनी इस्सी चाहत को तलासने लगी, कोई उससे ऐसा नही मिला जो उसे सच्चा लगे, फिर एक दिन उसकी एक नेट फ्रेंड ने एक लड़के से उसका परिचय करवाया,धीरे धीरे उनकी बात चीत होती गयी, कुछ दिन बाद उस लड़के ने समीरा को प्रस्ताव दिया, समीरा प्यार की भूखी थी ऊपर से शुभम द्वारा बार बार उसका दिल तोडना, परेशान हो कर समीरा ने उस लड़के प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और उसे कुछ अपने ख़ास दोस्तों से मिलवाया, दोस्तों को भी उसने प्रभावित कर दिया, समीरा को लगा की दोस्तों को जिसने इतना प्रभावित किया है जरूर वो एक अच्छा इंसान होगा, समीरा की नादानी ने एक बार फिर उसे धोखा दिया,
उस लड़के ने भी सिर्फ समीरा और उसके जज्बातों के साथ खिलवाड़ कर के छोड़ दिया, वक़्त और हालत से हारी हुई समीरा टूट सी गयी, पर ये क्या हुआ फिर से उसकी जिंदगी में शुभम आने लगा था, सोचा समीरा ने शायद भगवाने ने उसे ही मेरी किस्मत में लिखा है, अब मैं इसे छोड़ कर कही नही जाउंगी, जो कुछ भी उसके साथ हुआ वो सब कुछ उसने शुभम को बता दिया, सोचा उसने शुभम उससे प्यार करता है ये तो सब जान कर भी उसे चाहेगा,
पर सब कुछ जान्ने के बाद शुभम उसे शादी नही करना चाहता, वो सिर्फ उसे अपनी प्रेमिका चाहता है पर जीवन साथी नहीं, पर सच तो ये समीरा के साथ जो कुछ भी हुआ इसका काफी हद तक ज़िम्मेदार शुभम भी है......
मेरे प्यारे दोस्तों मेरी कहानी पड़ कृपया मुझे बताये की शुभम को समीरा से शादी करनी चाहिए या नही, क्या साड़ी गलती सिर्फ समीरा की है या फिर दोनों की, अगर सजा दी जाए तो किसे दी जाए...
धन्यवाद दोस्तों
समीरा शुभम का साथ प् कर बहुत ही ज्यादा खुश थी, उससे तो जैसे जन्नत ही मिल गयी थी, समीरा को उसका पहला प्यार जो उससे मिल गया था, उसे वो पल मिल ही गया था आखिर जिसका वो न जाने कब से इंतज़ार कर रही थी, पर शायद ये ख़ुशी ज्यादा दिन की नही थी,
समीरा की मासूमियत यहाँ भी उसकी ख़ुशी में बाधा बन्ने लगी, अनजान सी,भोली सी, दुनिया के बनावटीपन से दूर समीरा को शुभम का व्यवहार कुछ अजीब सा लगता था, पहला प्यार था उसका, अनजान थी हर रिस्ते से वो, पर शुभम उसको ठीक से नही समझता था, उसकी मासूमियत की वज़ह से बहुत बार उसकी हर मोड़ पर बेईज्ज़ती करने लगा, उसमे खामिया गिनने लगा, समीरा को कुछ समझ नही आता था की वो क्या करे, आखिअर वो उससे रिश्ता ख़त्म करना चाहती थी, उसे लगने लगा था की वो शुभम के लायक नही है बल्कि किसी के भी लायक नही है, हर रोज़ लड़ाई से अच्छा है रिश्ता ही ख़त्म कर दिया जाए,
शुभम भी शायद ये ही चाहता था, दोनों ने अलग होने का फैसला ले लिया, पर कुछ दिन बाद फिर एक हो गए, दूर होने पे इन्हें अपने प्यार का अहसास हुआ, पर शुबम का वयवहार अब भी नही बदला था, बात बात पे लड़ता, उसे दुःख पहुचता, उसने कभी उसके दिल को जान्ने की कोशिश नही की, नहीं जाने को कोशिश की वो उससे कितना चाहती है, और न ही ये की उसे उसके प्यार की कितनी जरूरत है, बचपन से ही जिसने सिर्फ आंसू देखे हो उससे पैसे नही सिर्फ सच्चा प्यार चाहिए, जो उससे हमेशा खुश रखे, ये ही वो सिर्फ शुभम से चाहती थी, पर वो इन् से अनजान सिर्फ समीरा हो गमो के सागर में डुबो कर रखता था,
फिर एक दिन उसने ऐसा झगडा कर के ऐसा उसका दिल तोडा की समीरा को अपने एक सहेली के साथ दिल्ली से दूर किसी और शहर जाना पड़ा, वह उससे भुलाने की बहुत कोशिश की उसने पर न कर सकी वो, वहां जब भी घूमने वो जाती तो मन्नतो में सिर्फ शुभम को ही मांगती थी की वो उसकी ज़िन्दगी में वापस आ जाए, उससे पाने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार थी, कांटो पे चलने को भी तो तैयार थी, बहुत कष्ट सहा उसके लिए और उस नादान ने कभी जाहिर भी नही होने दिया उसे कुछ सिवाए अपने प्यार के,
वक़्त ने एक बार उसे शुभम को दिया, पर शुभम की आदतों में अब भी कोई सुधर नही था, दिल दुखता था बार उसका, किस्मत ने एक बार करवट बदली, समीरा अपने परिवार के साथ उसके शहर जो की एक तीर्थ स्थल था वह आई, उसने सोचा इतने सालो से जो उससे नही मिली हूँ अब उससे मुलाक़ात हो जायगी, पर नसीब में उसे मिलने नही था लिखा, वो उसके पास से निकल गयी पर उसे न देख पायी,
वापस दिल्ली आने में पे उसकी आँखों में सिर्फ आंसू थे, पता नही कब मिलूंगी उससे ये सोच सोच कर आंसू गिराए जा रही थी वो, कोई न देख ले उसके आंसू इसलिए बार बार वाशरूम रा रही थी वो,
भगवन ने फिर एक बार उसके साथ मजाक किया कुछ दिन बाद शुभम दिल्ली आया, उसने उससे वहां आ कर संपर्क किया पर उस दिन समीरा मंदिर गयी थी, और अपना फ़ोन घर पे छोड़ गयी थी, जब वापस आई और उसने शुभम की छूटती कॉल देखि तो उसने फोन पे उससे संपर्क किया पर तब तक वो दिल्ली से जा चूका था,
धीरे धीरे वक़्त फिर ऐसे ही बीतता रहा, कुछ दिन बाद फिर शुभम दिल्ली आया पर समीरा फिर उससे न मिल सकी किसी वज़ह से, कुछ दिन बाद शुभम ने समीरा से फिर झगडा किया और उससे बात करनी बंद कर दी, प्यार की प्यासी समीरा को लगा की उसकी वज़ह से शुभम को दुःख पंहुचा है, वो मथुरा ब्रिन्दावन दर्शन के लिए गयी, वह अपनी गलती जो उसने की थी नहीं थी भगवन से माफ़ी मांगी सिर्फ शुभम के लिए और तपती ज़मीन पे पूरा ब्रिन्दावन घूमी, ये सोच कर की उसकी वज़ह से शुभम को दुःख पंहुचा है तो ये उसकी सजा है, उसने शुभम को दुःख कैसे दे दिया...... ज़िन्दगी के हर मोड़ पर वो सिर्फ उसकी ख़ुशी चाहती थी और बदले में सिर्फ उसका प्यार....
ज़िन्दगी चल रही थी फिर एक दिन अचानक ऐसा मोड़ आया जिसने बहुत कुछ बदल के रख दिया, शुभम ने फिर से बुरी तरह समीरा का दिल तोड़ दिया, इस बार समीरा फैसला किया की अब वो इस रिश्ते को ख़त्म कर के किसी और का हाथ थाम लेगी जिससे वो नही वो उसे बेहद चाहेगा, अपनी इस्सी चाहत को तलासने लगी, कोई उससे ऐसा नही मिला जो उसे सच्चा लगे, फिर एक दिन उसकी एक नेट फ्रेंड ने एक लड़के से उसका परिचय करवाया,धीरे धीरे उनकी बात चीत होती गयी, कुछ दिन बाद उस लड़के ने समीरा को प्रस्ताव दिया, समीरा प्यार की भूखी थी ऊपर से शुभम द्वारा बार बार उसका दिल तोडना, परेशान हो कर समीरा ने उस लड़के प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और उसे कुछ अपने ख़ास दोस्तों से मिलवाया, दोस्तों को भी उसने प्रभावित कर दिया, समीरा को लगा की दोस्तों को जिसने इतना प्रभावित किया है जरूर वो एक अच्छा इंसान होगा, समीरा की नादानी ने एक बार फिर उसे धोखा दिया,
उस लड़के ने भी सिर्फ समीरा और उसके जज्बातों के साथ खिलवाड़ कर के छोड़ दिया, वक़्त और हालत से हारी हुई समीरा टूट सी गयी, पर ये क्या हुआ फिर से उसकी जिंदगी में शुभम आने लगा था, सोचा समीरा ने शायद भगवाने ने उसे ही मेरी किस्मत में लिखा है, अब मैं इसे छोड़ कर कही नही जाउंगी, जो कुछ भी उसके साथ हुआ वो सब कुछ उसने शुभम को बता दिया, सोचा उसने शुभम उससे प्यार करता है ये तो सब जान कर भी उसे चाहेगा,
पर सब कुछ जान्ने के बाद शुभम उसे शादी नही करना चाहता, वो सिर्फ उसे अपनी प्रेमिका चाहता है पर जीवन साथी नहीं, पर सच तो ये समीरा के साथ जो कुछ भी हुआ इसका काफी हद तक ज़िम्मेदार शुभम भी है......
मेरे प्यारे दोस्तों मेरी कहानी पड़ कृपया मुझे बताये की शुभम को समीरा से शादी करनी चाहिए या नही, क्या साड़ी गलती सिर्फ समीरा की है या फिर दोनों की, अगर सजा दी जाए तो किसे दी जाए...
धन्यवाद दोस्तों
A True Love Story
हेल्लो दोस्तों आज हम आपको एक सच्ची प्रेम कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिसका अंत क्या होगा हमे नही पता इसके लिए हमे आपके मशवरे की जरूरत पड़ेगी, तो कृपया आप सब लोग मेरी इस कहानी को पड़ कर अपना मशवरा मुझे जरूर दे, धन्यवाद!
समीरा दिल्ली मैं अपने परिवार के साथ रहती थी, ज़िन्दगी में उसने कभी कोई ख़ुशी न मिल पायी थी, अपनी २१ साल की उम्र में उसने सिर्फ दुःख और अकेलापन ही पाया था, घर और बाहर हर जगह उसने खुद को हमेशा तनहा ही पाया था, उसकी मासूमियत ही उसके दुश्मन थी, उसका भोला पन ही था शायद जिसकी वज़ह से उससे हर जगह उपेक्षा ही मिली, अपना हक अगर मांगी थी घर में तो सिर्फ वो लड़की है उससे ज्यादा नही बोलना चाहिए ये कह कर चुप कराने की कोशिश की जाती, कोई और था नही उसका साथ देने वाला मजबूर हो कर वो भी चुप हो बैठ जाती, और सोचती कही तो होगा वो जो उससे बेहद प्यार करेगा, जो उससे ऐसी दुनिया में ले जायगा जहाँ सिर्फ और सिर्फ प्यार ही प्यार होगा, वो उससे इतना प्यार देगा की अब तक की उसकी ज़िन्दगी के सारे दुःख दर्द उसका प्यार कम कर देगा,
वक़्त ऐसे ही बीत रहा था की उसके घर के पास शुभम नाम का लड़का रहने आया, वो समीरा की पहली उससे मुलाक़ात थी, समीरा को उससे देख कर ऐसा लगा जैसे शायद ये वो ही है जिसका उसने अब तक इंतज़ार किया है, वो उससे धीरे धीरे चाहने लगी पर दिल की बात उससे न पता लगने दी,
फिर एक बार उस लड़के का ज़िक्र उसने अपनी एक सहेली नीता से किया, उसने कहा जा एक बार बोल दे उससे अपने दिल की बात क्या पता वो भी तुझे चाहने लगी, पर समीरा ऐसा न कर पायी, वो उसके दिल की बात जाना चाहती थी, वो चाहती थी की कही उसकी ज़िन्दगी में और कोई तो नही है, कही वो ज़बरदस्ती तो उसकी ज़िन्दगी में नही जा रही है,
इससे उधेड़बुन में वो रहती थी, और एक अच्छा सा मौका दे कर उससे अपने दिल की बात बताने की सोचती थी, हर रोज़ सुबह शाम छिप छिप कर उससे देखना जैसे उसकी आदत बन गयी थी, जिस दिन उससे न देख पाती थी उससे रात को नींद भी नही आती थी, सोचती रहती आज उसका दिन कैसा रहा होगा, वो थक गया होगा बहुत, काश मैं उसके लिए कुछ कर सकती,
वक़्त यु ही बीतता गया, एक दिन उससे पता चला की हमेशा के लिए वो कही जा रहा है, समीरा का दिल टूट सा गया क्यों की वो अब तक उससे अपने दिल की बात जो नही बता पायी थी, पर चाहती थी एक बार उसके जाने से पहले उससे बता दे की वो उससे कितना चाहती है, उसने अपनी एक बहुत ही ख़ास सहेली से इस बारे में बात की और उसने कहा की दिल की बात खाली हाथ नही करनी चाहिए कुछ दे कर उससे कहोगी तो उससे अच्छा लगेगा और शायद वो फिर यहाँ से जाए ही नही,
ये कह कर उसकी सहेली उससे मार्केट ले गयी और वह से सबसे खूबसूरत महंगा ग्रीटिंग कार्ड और एक नन्ही सी डोल जैसा कुछ ( जिससे देख कर लगता था की वो किसी का इंतज़ार कर रही है) ले कर आई, और एक मौका देखने लगी उससे इससे दे कर उससे बात करने का और दिल बात कहने को कहा , उसकी सहेलियों ने सलाह दी की चुपके से उसके घर पे रख आओ और एक साथ में चिठी जिसमे तुम अपने मन की बात लिख देना, पर शायद किस्मत का और कुछ फैसला था,
उसके कुछ कहने से पहले ही वो जा चूका था, उसके सही मौके के इन्जार में वो इस शहर से दूर कही जा चूका था, समीरा को न उसके शहर का पता था और न किसी तरह संपर्क का,
उसका दिल बुरी तरह टूट कर बिखर गया, कहाँ जाए कैसे उससे संपर्क करे कुछ पता नही था, वो हर वक़्त भगवान् से प्राथना करती रहती काश एक बार उससे देख लू मैं, वो ठीक तो है ये जान लू मैं फिर चाहे न मिले ज़िन्दगी में वो कोई शिकवा नही, उसकी भगवान् ने आखिर सुन ली, कुछ वक़्त आया वो वह पर समीरा ने उससे फिर भी अपने दिल की बात उससे नही की, देखती रही वो एकटक, भारती रही अपनी नज़रो में उससे क्यों की वो जानती थी शायद ये उसकी आखिरी मुलाक़ात है,
उसके जाने के बाद समीरा ने उससे भुलाने की बहुत कोशिश की, खुद को बहुत ज्यादा व्यस्त रखा, पर दिल से उसका ख्याल नही जाता था, जाने क्या हो गया है उससे ये समझ नही आता था,
किस्मत ने फिर एक खेल खेला, एक दिन वो वह गयी जहाँ शुभम रहता था उसके घर के पास, वह कुछ उसके ऑफिस के पेपर्स मिले, जिनसे उससे उसके घर का फ़ोन नंबर और ईमेल आई दी मिला, समीरा ने उसके घर पर फ़ोन कर के उसका मोबाइल नंबर ले लिया, वो चाहती थी की उससे फ़ोन कर के अब तो अपने दिल बात उससे बता दे, कह दे उससे की वो उसके बिना नही रह सकती है, उसके जाने का इतना वक़्त हो गया दिल से उसकी याद नही जाती है, पर फिर वो डरती थी कही उसकी ज़िन्दगी में अब कोई और न लड़की आ गयी हो, कही वो उससे ठुकरा न दे, वो उससे इतना चाहने लगी थी की उसकी न तो वो सुन ही नही सकती थी, कभी सोचती की अगर वो उससे फ़ोन करेगी तो पता नही वो उससे पचानेगा की नही, क्या सोचेगा उसके बारे में, इस तरह न जाने कितने ख्याल उससे आते, फिर सोचती की उससे मेल कर के उससे सब कुछ बता दू, पर इससे दर से उससे कुछ न कह पाती की वो कही उससे ठुकरा न दे,
फिर उसकी जिंदगी में एक लड़की आई, समीरा को लगा जैसे शायद ये लड़की उसके इस मामले में कोई मदद कर सकती है, उसने उससे अपनी समस्या बताई, उसने उससे समझया इस तरह घुट घुट कर जीने से तो अच्छा है एक बार उससे बात कर के अपने दिल की बात बता दो और सब कुछ साफ़ कर लो, जो भी वो फैसला उससे ख़ुशी ख़ुशी एक्सेप्ट कर लो, अगर वो न कहे तो उससे कभी बात मत करना और अगर हाँ कहे तो ये तुम्हारा लक्क है,
उसकी बात मान कर समीरा ने मेल के द्वारा शुबम को अपने दिल की बात बता दी, शुबम ने भी उससे ख़ुशी ख़ुशी एक्सेप्ट किया साथ ही कंप्लेंट भी की क्यों की उसने इतना वक़्त क्यों लगाया अपनी बात कहने में, अब वो उससे दूर है कैसे उससे मिल पायगा, समीरा ने कहा दिल से दूर नही होना चाहिए जगह की दूरी कोई दूरी नही होती,
सो मेरे प्यारे दोस्तों ये तो था कहानी का एक हिस्सा और अभी बाकी है, आपको कैसा लगा ये मुझे कृपया जरूर बताइयेगा, मुझे आपकी राय चाहिए...........
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