Wednesday, 18 January 2012

तकरार


छोटी छोटी तकरार से रिश्तो में नजदीकी आती है, छोटी छोटी तकरार से रिश्तो में मजबूती आती है, छोटी छोटी तकरार से रिश्तो में गहरायी आती है ,पर ना करो कभी ऐसी भी तकरार अपनों से जिसमे अक्सर तन्हाई और फिर दूरी आती है, मिल जाए आंसू उनसे ज़िन्दगी भर जुदाई के ,ऐसे भी तकरार ना करो की कभी फिर बिछड़ यु ही यार से।

tumhare dil ne h pukara muje abi kahi.....

Halki c hawa lagi abi abi, kya tumne mud kar dekha yahi kahi, ek mithi c dhun suni abi abi, kya tumne kuch kaha abi yahi, ye fizao me aaj ek ajab nasha h, kya tumhare laboon pe b mera naam aaya h, h aaj mausam kuch badla badla sa, kya tumhare dil ne h pukara muje abi kahi.....

एक कश्ती हूँ मैं


 तुफानो से घिरी एक कश्ती हूँ मैं ,अपनों के दिल में क्यों चुभती हूँ मैं ,टूटे हुए अरमानो की एक अजब तश्वीर हूँ मैं ,जाने कैसे यु मजबूर हूँ मैं, मुझे नहीं पता की जाना है मुझे कहाँ ,
बस अपने सीने में बुझे हुए चिरागों के साथ अपना हमसफर ढूँढती हूँ मैं ,मिल जाए कही जो ले चले इन तूफानों से पार मुझे ,चाहे वो मुझे इस कदर जो तोड़ कर हर बंधन बना ले मुझे वो अपना हमसफ़र बस उसी दिलबर की तलाश में हूँ मैं।

good morning

Suraj ne fir chehra chamkaya, kirno k saath h dharti pe aaya, dekho ye savera laya, chidiyo ne h raag sunaya, raag suna k muje jagaya, chhod aalas aur nindiya tyaag ye keh kar maa ne uthaya, thandi thandi hawao ne subah subah h pyaar jataya, foolo ne bikheri khushboo, khushboo ne angna mehkaya, soyi raat me har kali, soyi raat me har gali, soya tha ye aasman, aur soya tha jo ye jahan, chhipa chand jo suraj aaya, usne fir sabko jagaya, jaag savere kaam sabko jo h yaad aaya, chhod nidiya jage wo, jaag k fir bhaage wo, soye raat nind ki godd, suraj ne unko jagaya, kirno k saath ye sandesha gaya, dekho ye savera aaya....

Sunday, 15 January 2012

तेरा इंतजार है - स्टोरी


हेल्लो दोस्तों मेरा नाम  अभिषेक मित्तल है, मेरी उम्र ३५ साल है और मैं भोपाल में रहता हूँ ,  पेशे से मैं एक इतिहास कार हूँ, मुझे अक्सर काम के सिलसिले में ऐसी ऐसी जगह पे जाना पड़ता है जो काफी डरावनी पर हमारे इतिहास से जुडी होती है और वहां  की सभ्यता वहा के रहन सहन आदि की जानकारी इकठा कर के हमे एक रिपोर्ट बना के सरकार  को भेजनी पड़ती है, आज मैं अपनी ज़िन्दगी की एक ऐसी कहानी आपको बताने जा रहा हूँ जिस पर शायद ही आप यकीं कर सके, एक ऐसी दास्ताँ जिसे सिर्फ और सिर्फ मैंने ही सहा है, मेरे लिए वो  मेरी जिंदगी की एक सच्चाई है और आपके लिए एक कहानी,


            ये बात करीब आज से १ साल पहले की है, मैं अपने परिवार के साथ झाँसी घूमने गया, मेरे साथ मेरी बीवी अविन्त्का मेरा बेटा  राहुल और बेटी मिनी थे, हमने झाँसी के एक अच्छे  होटल में कमरा लिया, वैसे तो हम वह पर सिर्फ ३ दिनों के लिए ही गए थे पर वहाँ पे सब कुछ इतना जल्दी से बीता की मैं कुछ जान भी नही पाया की आखिर हो क्या रहा है और इस वज़ह से मुझे वह पर एक हफ्ता रुकना पड़ा, मैं माफ़ी चाहता हूँ अपनी बीवी अविन्त्का से और अपने बच्चो से जिन्होंने मेरी वज़ह से उस नयी जगह पर इतनी परेशानी सही,

         जिस दिन हम झाँसी पहुचे उस दिन से ही मुझे वहां बड़ा अजीब से लग लग रहा था, वैसे तो मैं एक इतीहस्कर हूँ, और ऐसी जगह पर इससे पहले कई बार गया हूँ  हाँ ये बात और है की झाँसी मैं पहली बार ही आया था, पर एक अजीब सी फीलिंग मुझे वहा हो रही थी, जैसे मैं वह पहले भी आया हूँ, यहाँ से मेरा कोई ना कोई रिश्ता है, पहले मैंने सोचा शायद मेरा ये वहम है क्यों की हमारा काम ही ऐसा है की ऐसे जगहों पे हमे जाना पड़ता है, इसलिए मुझे ऐसा लग रहा है, पर सच तो ये है की सच्चाई  इससे बिलकुल अलग थी,


          जिस दिन हम झाँसी पहुचे उस दिन बहुत थके हुए थे इसलिए कही घूमने नही गए और होटल में ही रुक कर रेस्ट किया, पर दुसरे दिन घूमने गए, वहा पे हमने झाँसी की रानी का किला देखा, वहा की कलाकृतियाँ देखि, सब कुछ देख कर एक अजीब सी फीलिंग आ रही रही जैसे ये सब मुझसे कुछ कह रही हो, मुझे कुछ याद दिलाने की कोशिश कर रही हो, वो याद दिलाने की कोशिश जो मैं भूल गया हूँ पर मेरी जिंदगी का एक अहम् हिस्सा है वो बाते पर क्या मुझे याद नहीं आ रहा है, ये सब सोच सोच कर मेरे सर में दर्द होने लगा और मैंने अवंतिका से कहा की तुम घूम लो बच्चो के साथ मैं होटल जा रहा हूँ मेरी तबियत ठीक नहीं है, पहले तो उसने कहा की वो भी चलती है मेरे साथ पर मैंने कहा की बच्चे यहाँ एन्जॉय करने आये  है उन्हें अच्छा नही लगेगा तुम और बच्चे घूम लो मेरी फिक्र मत करो मैं ठीक हूँ, फिर उन्हें छोड़ कर मैं होटल में आ गया,

          होटल में आ कर मेरी आँख  लग गयी और मैं सो गया, सपने में एक ऐसी जगह गया जहाँ पे सन १८५७ के वक़्त गरीब सेनिको के घर हुआ करते थे, वो सेनिक गरीब होते हुए भी बड़े ही देश भक्त थे, हिन्दुस्तान को आज़ाद करने का उनका मात्र एक मकसद था, ख्वाब में देखा मैंने कुछ अँगरेज़ उन्हें पैसे का लालच दे कर उन्हें अपने में मिलाने की कोशिश कर रहे हैं पर वो सेनिक पैसो लालच से दूर अपने देश और अपनी झाँसी के लिए मरने मिटने को तैयार है, उन्हें गम नहीं की वो गरीब है बस जूनून है तो आज़ादी दिलाने का, मैंने देखा की हर तरफ बस आज़ादी के नारे लग रहे है, अंग्रेजो के खिलाफ हर हिन्दुसातानी का खून खुला हुआ है,


           फिर मैंने देखा सेनिको ने ऐलान कर दिया है की अंग्रजो पर इस दिन वो हमला कर देंगे और उन्हें यहाँ से उखाड़ फेंकेंगे,  समस्त सेनिक और उनके परिवार इसमें इसकी तयारी में जुट गए,  फिर मैंने देखा एक लड़की जिसकी उम्र लगभग १५, १६ साल की होगी  दौड़ते हुई और चिल्लाती हुई  आ रही है, वो क्या कह रही है वो मुझे समझ में नही आया मैं समझने की कोशिश करने लगा पर इतने में मुझे लगा की कोई मेरे ऊपर चढ़ आया है और मुझे जोर जोर से हिला रहा है, मेरी आँख खुली और देखा की मेरी ३ साल की बेटी मेरे पेट पे बैठ कर मुझे हिला हिला कर जगाने की कोशिश कर रही है और सामने मेरी बीवी और मेरा बेटा खड़े हैं, उन्हें देख कर मैंने कहा की आ गए तुम लोग, देख लिया किला, कैसा लगा और फिर वो भी मेरे पास बैठ कर किले की बातें बताने लगे, पर मेरा ध्यान तो उस सपने में था, ऐसा लग रहा था जैसे ये सपना ना हो कर मेरी जिंदगी की कोई घटना है जिससे मैं अब तक अनजान हूँ,


              अब आया तीसरा और आखिरी दिन, अगले दिन हमे वापस अपने घर भोपाल के लिए निकलना था, और मेरी बीवी  और  बच्चे चाहते थे की वो यहाँ का मार्केट घूमे और शोपिंग करे ताकि घर पे सब को  दिखाए  की वो यहाँ से क्या क्या ले कर और खरीद कर आये हैं, पर कभी  कभी जो हम नहीं चाहते वो हो जाता है, मेरी अचानक तबियत ख़राब हो गयी, वो इतनी बिगड़ गयी की मुझे झाँसी में एक हॉस्पिटल में admit  करवाना पड़ा, मुझे ठीक होने में २ दिन और लग गए, ठीक हो गए जैसे ही मैं अपने होटल में आया और बेड लेता मुझे नींद आने लगी, मेरी बीवी ने कहा की हमे अब कल रात तक निकलना है तुम रेस्ट करो  बच्चे बहुत जिद कर रहे थे तुम्हारे हस्पताल में ही एडमिट होने के दौरान ही शोपिंग की  लेकिन तब मैंने उन्हें मना कर दिया लेकिन अगर तुम कुछ अच्छा महसूस कर रहे हो तो मैं और बच्चे जरा  नज़दीक के ही मार्केट से कुछ शोपिंग कर लाते हैं, मैंने  उससे कहा मैं अब ठीक हूँ और तरह उन्हें जाने की इजाजत दे दी, और उनके जाने के बाद  मैं  भी सो गया, पर जैसे ही मैं गहरी नींद में गया वो ही सपना मुझे फिर से दिखाई दिया जो पहले दिन दिखा था,वो ही लड़की चिल्लाती हुई आ रही है फिर वो एक लड़के के पास आ कर रुक जाती है जिसकी उम्र लगभग १८ साल की होगी, उससे बोली तुम्हे पता है है हम लोगों ने अंग्रेजो पे हमले का वक़्त तय कर लिया है, सब कुछ पूरी तरह से तैयार है, क्या तुम इसके लिए तैयार हो पूरी तरह, वो लड़का बोला हाँ मैं भी तैयार हूँ, इतना कह कर वो लड़की उसके गले लग गे और बोली पता नही हम जीतेंगे या नही, वो लड़का बोला हम जरूर जीतेंगे, वक़्त के साथ वो पल आखिर आ ही गया जब अंग्रेजो पे हिदुसातानी हमला करने वाले थे, वो लड़की फिर उस लड़के से मिली और कहा जल्दी ही घर वापस आना, वो लड़का बोला तुम फिक्र मत करो मैं जल्दी ही वापस आऊंगा और साथ में विजयी ध्वज हाथ में ले कर आऊंगा, उसके बाद हम शादी कर के अपना घर बसा लेंगे, हमारी संताने एक गुलाम की ज़िन्दगी नहीं जियेंगी जैसे हमने जी है, वो लड़की बोली मुझे इस दिन का इंतज़ार रहेगा, तुम जल्दी आना मैं तुम्हरा हर पल इंतज़ार करुँगी पर तुम जरूर आना, ये कह कर वो उस लड़के के गले लग गयी उसके बाद वो लड़का इस युद्ध के लिए निकल पड़ा,

        उस लड़ाई में हिन्दुस्तानियों की जीत हुई पर वो लड़का घर वापस नहीं आया, पर वो लड़की उसका इंतज़ार करती रही, उसे विश्वास था की एक दिन वो जरूर आयगा उसने वादा  किया था, वो अपना वादा  नही तोड़ सकता वो आयगा, दिन बीते, बीते महीने और बीते साल और फिर सालो साल, वो लड़का नहीं लौटा, वो लड़की भी उसका इतंजार करते करते थक गयी और उसका शरीर जो वक़्त की मार से बूडा हो गया था उसका अब साथ छोड़ने को बैचेन था, और एक दिन साथ छोड़ गया वो भी उसका, पर इसके बाद भी उसकी आत्मा उस लड़के का इंतज़ार करती रही, उसे भरोसा था की एक दिन वो जरूर आयगा और अपना अधूरा वादा पूरा करेगा,

             

          इस ख्वाब के बाद मेरी नींद टूट गयी और एक अजीब सी फीलिंग होने लगी मन में, सोचने लगा मैं क्या सपना है, बार बार मुझे ये सपना अकेले में क्यों आता है, आखिर सच क्या है, क्यों मुझे यहाँ पे आ कर कुछ जाना पहचाना सा लगता है, क्यों लगता है की मेरी कोई कहानी यहाँ से जुडी है, मेरे मनन में सच जाने की ख्वाइश हुई, कुछ देर बाद मेरी बीवी और बच्चे भी आ गए वो लोग अगले दिन जाने की तयारी में लगे थे और मैं सोच रहा है की कैसे कुछ दिन और मैं यहाँ पर रुकू, पर समय की गोद में क्या छिपा है  कोई नही जानता,  रात को जब सब सो रहे थे तो मुझे किसी लड़की के पुकारने की आवाज़ आई, मैं भी सो रहा था पर मेरी नींद खुल गयी, मैं देखा मेरी बीवी और बच्चे तो आराम से सो रहे हैं, कोई लड़की मुझे पुकार रही है और बहार आने को कह रही है, मैंने इधर उधर देखा पर कोई नज़र नहीं आया, फिर मैंने अपने कमरे का दरवाज़ा खोला और आवज़ की दिशा में चलने लगा, चलते चलते मुझे एक खंडर दिखाई दिया, जो देखने में लग रहा था की कभी किसी की यहाँ पे बस्ती रही होगी, उन खंडरो में एक लड़की खड़ी  हुई थी, उसने अपना मुह दूसरी तरफ किया हुआ था मुझे पुकार रही थी, उसके पास आ कर मैंने कहा क्या तुम ही मुझे बुला रही हो, क्या तुम मुझे जानती हो, और इतनी रात क्यों तुमने मुझे यहाँ बुलाया, वो लकड़ी मुड़ी और मेरी तरफ  तरफ आई, मैं देख कर हेरान रह गया,ये तो वो ही लड़की है जो अक्सर मुझे उस सपने में दिखती थी, मैंने कहा तुम, उसने कहा तुमने मुझे पहचान लिया, मैंने कहा नहीं पर तुम मुझे सपने में दिखाई दी थी, वो बोली वो सपना मैंने ही तुम्हे दिखाया था ताकि तुम्हे वो सब कुछ  कुछ याद आ सके जिसे वक्त के साथ और बदलते रिश्तो के साथ तुम भूल चुके हो, मैंने कहा मतलब तो वो  मेरे माथे पर हाथ रख कर कुछ बुदबुदाई, मुझे सब कुछ याद आ गया, वो लड़का मैं ही था, मेरा नाम विजय था और उस लड़की का नाम आभा था, याद आया मुझे हम दोनों एक दुसरे से कितना प्यार करते थे  और शादी करना चाहते थे किन्तु  दोनों ने तब तक शादी ना करने का फैसला किया था जब तक देश इन अंग्रेजो की गुलामी से मुक्त नही हो जाता, आभा ने कहा मुझसे  मिलने आने में तुमने कितना वक़्त लगा दिया , अपनी आभा के वापस आने में क्यों इतना वक्त तुमने लगा दिया , मैंने कितना तुम्हारा इंतज़ार किया, मैंने कहा मुझे माफ़ कर दो आभा, उस लड़ाई में हमने जीत तो हासिल की पर मैं खुद को बचा नही पाया, लड़ते लड़ते मेरी जान मेरा साथ छोड़ गयी, पर तुमसे वादा किया था मैंने  लौट आने का देर से ही सही अब मैं आ गया हूँ और अब मैं तुम्हे छोड़ कर कभी कही नहीं जाऊँगा, इसके बाद मैं आभा के साथ रहा, उसके साथ ख़ुशी के कुछ पल  बिताये, पर फिर मेरी पत्नी अविन्त्का वहा पे पुलिश  को ले कर मुझे ढूँढती  हुई वहा पहुची, उसे देख कर मेरा दिल सहम गया, पर आभा बोली इससे देख कर डरो मत विजय, इसे मैंने ही रात ख्वाब में यहाँ आने को कहा था, तुम्हे अब इसके साथ जाना होगा, मैं तुम्हारा अतीत थी  और ये तुम्हारा आज है, एक वादा तुमने मुझसे किया था मुझसे मिलने का और लौट आने का बस उसका ही मुझे इंतज़ार था, इसके लिए ही मैंने अब तक सिर्फ तुम्हारी राह देखि थी, अब तुम जाओ अविन्त्का के साथ और एक खुशहाल जिंदगी जियो और मैंने जो उस प्रभु से तुमसे मिल कर उनके घर आने का समय माँगा था जो उन्होंने मुझे दिया वो पूरा हो गया है, अब मैं चलती हूँ, तुम अपना और अपने परिवार का ध्यार रखना और इस बात को एक ख्वाब मान कर भूल जाना की तुम कभी किसी ज़माने में विजय थे और किसी आभा से प्यार करते थे, अलविदा, ये कह वो जाने कहा गायब हो गयी और उसे  जाते हुए न सिर्फ मैंने बल्कि मेरी पत्नी और उस पुलिश वाले ने भी देखा, सब लोग हेरान थे और सोच में डूबे थे की जो वो देख रहे हैं वो एक ख्वाब है या हकीकत, किन्तु इसके बाद  मैं अपनी पत्नी और बच्चों  के साथ घर लौट आया, पर जो कुछ मेरे साथ हुआ जो सपना नहीं था, और ना ही उन् पलो को मैं आज तक भुला पाया हूँ..........






Saturday, 14 January 2012

Romantic Song-जो नसीब में नहीं था वो मेरे रब ने मुझे दिया,

जो नसीब में नहीं था वो मेरे रब ने मुझे दिया, तू था मुझसे दूर मेरे दिलबर मेरे करीब किया ,जो नसीब में नहीं था वो मेरे रब ने मुझे दिया, तू था मुझसे दूर मेरे दिलबर मेरे करीब किया ,

तेरी चाहत को दिल में सजाए बैठे थे, पर ये तुझसे ही कहने से हम डरते थे ,इसलिए तुझसे यु दूरी बनाये रहते थे ,जान ले तू मेरे दिल की बात ये ही चाहता था दिल ये मेरा पर जुबान से कुछ भी कहने से हम तो डरते थे , ओ ओ ओ ओ
 

तेरी आहट का हर वक़्त इंतज़ार हम तो करते थे , तुझे देखने के सौ बहाने हम  ढूंडा करते  थे ,किस तरह ऐसे छिप छिप तुम्हे हम देखा करते थे बस न देख मुझे कुछ ना पूछ ले तू मुझसे बस इसी बात से हम तो  डरते थे,
तेरी ही  खुशबू से महकता था मन ये मेरा, तेरी हर बात  से मचलता  था दिल ये मेरा, तेरी ही आवाज़ पे हम तो   फ़िदा थे ,बस  जुबां से कुछ भी कहने से हम तो  डरते थे, 

हो न जाए तू मुझसे  जुदा  इस कदर ,दूर न चला जाए मुझसे कभी मुझे अकेला छोड़ कर ,ना मोड़ ले  मुह  मुझसे  अपना किसी बात पर तू ,बस इसी अहसास से हम तो डरते थे, इसलिए न कह सके हम तुमसे की हम तो तुमपे कितना मरते थे,

तेरी ही राह देखती थी हर पल अंखिया मेरी , तेरी ही आवाज़ सुनने के लिए रहती थी हर वक़्त दिल में बेचैनिया  ओ ओ ओ, तेरी ही राह देखती थी हर पल अंखिया मेरी , तेरी ही आवाज़ सुनने के लिए रहती थी हर वक़्त दिल में बेचैनिया  ,

तेरी ही चाहत का है रंग मुझपे छाया , तेरे प्यार ने मुझे आज है शायर बनाया , ढाल दिया अपने ज़ज्बातों को अल्फाजों में हमने  ये सब तेरे ही इश्क के असर से ही है हो पाया ,

होती है मेरी सुबह सिर्फ तेरी बात से , रात को भी सिर्फ तू ही सीने में मेरे दिल बन कर धडकता है ,मैं सो भी जाऊ अगर तू जागता है  मुझमे मेरी साँसे बन कर , सपनो की हसीं दुनिया में भी तू ही आता है मुझे नज़र अक्सर , तू ही तो हर पल मेरे करीब होता है ऐ मेरे दिलबर ,

है  नही शायद तुझे खबर ऐ मेरे हमसफ़र, मेरा हर दिन तुम बिन अधूरा है , मेरा हर कदम तुम बिन ना पूरा है ,जिस ख्वाब में न आओ तुम वो ख्वाब भी मेरे लिए अधूरा है ,

मेरी हर धड़कन में सिर्फ तुम ही तो हो रहते ,दूर जाओगे हमसे फिर तुम भला कभी कैसे ,जब धड्केगा ये दिल मेरा अपने पास हर पल हम तुम्ही को पायंगे ,करते हो तुम भी हमसे इतनी मोहब्बत की बिन हमारे तुम भी ना अब कही चैन पाओगे , अपनी साँसों में तुम भी हर वक़्त हमारा ही अहसास ही हर पल पाओगे, तुम भी अब बिन हमारे ना अकेले कही रह पाओगे, 

ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म 
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ 
ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ



 जो नसीब में नहीं था वो मेरे रब ने मुझे दिया, तू था मुझसे दूर मेरे दिलबर मेरे करीब किया ,जो नसीब में नहीं था वो मेरे रब ने मुझे दिया, तू था मुझसे दूर मेरे दिलबर मेरे करीब किया ,

 
  


ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म 
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ 
ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ



  जो नसीब में नहीं था वो मेरे रब ने मुझे दिया, तू था मुझसे दूर मेरे दिलबर मेरे करीब किया ,जो नसीब में नहीं था वो मेरे रब ने मुझे दिया, तू था मुझसे दूर मेरे दिलबर मेरे करीब किया

 


Happy Sardi

dekho fir ye hai sardi ka mausam aaya, mausam k badle mizaaz, aaya sardi ka mausam khaas, milti hai mauj masti isme, milti hai chhutii  fir isme, naye naye tyohaaro k saath naye saal ka tohfa laaya, ye dekho fir ye hai sardi ka mausam aaya................