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Saturday, 28 January 2012
Friday, 27 January 2012
Sad Shayri
Zindagi k har modd pe thukrate rahe hm, zindagi k har modd pe dhoke khaate rahe hm, koshish kari muskurane ki jb tab hi aansuo k tohfe paate gaye hm, udne ki chahat thi khule aasman me pankshi ki tarah par aisee lagi thokar hme aasman me udna to dur jamin pe chalne se bhi laachar huye hm, waqt aur haalat se aise huye mazbur aaj ki gam aur dard k saath jeene ko laachar huye hm..
Thursday, 26 January 2012
Romantic Shayari
hai dua hmari, mile tumko khushiya saari, door rahe saare gam zindagi se tumhari, na ho koi dard kabhi raah mein tumhari, mehakta rhe gulistaan tera aur mehakti rahe bas gali tumhari, kabhi kam na ho chehre se muskaan tumhari, ye duaa hai !!!!!!!!!!hmari................
Wednesday, 25 January 2012
Happy repubic day
Purab se pashchim tak, uttar se dakhshin tak, poore desh me ek paigan khushi ka aaya, sabne bhula kr aapas k bair ye madhur geet gaya "aaj hmara gadtantra divas h aaya, taan kar gaurav se apna seena har hindustani ne duniya btaya aaj hmara rashtriya tyohaar h aaya, hmara gadtantra divas h aaya".... Happy repubic day.
दिल के पास हो तुम
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एक मुसाफिर हूँ मैं
एक मुसाफिर हूँ मैं रास्तों से बेखबर हूँ मैं, क्या है मंजिल मेरी और किस ऒर जाना है मुझे इन सबसे अनजान हूँ मै,
वक्त के तूफानों से हार हुआ एक इंसान हूँ मैं, मिली मुझे हर पल बेगुअनाह होने की सजा, आज अपनी ही नज़रों में गुनेहगार हूँ मैं,
वक्त के साथ अपनाया मुझे जहां ने और वक्त के साथ ही ठुकराया मुझे हर इंसान ने , वक्त और इंसान के हाथ का क्या खिलौना हूँ मैं है ये सवाल मेरा खुद मुझसे, एक वक्त था जब हौसला था ज़िन्दगी जीने का,
ज़ज्बा था दुनिया जीत लेने का,और आज फैसला है खुद को खुद से ही जुदा कर लेने का,मंजिलों और रास्ते से अनजान मेरे कदम बड़ते जा रहे हैं,,
काश मिल जाए कोई सही रास्ता मुझे जो ले जा सके मंजिल तक मुझे,आज सागर की उस लहर की तरह हु मैं जो साहिल से टकरा कर वापस सागर में लौट आती है, नहीं मिलती चाह कर भी मंजिल उसे,
उन्ही लहरों की तरह हूँ मैं जो मंजिल तक पहुच कर भी उसे पा न सका
आज भूला हुआ एक किनारा ढूँढता हूँ मैं ,ज़िन्दगी ढूँढ़ते हुए मौत को गले लगाने के ही बस बहाने ढूँढता हूँ मैं, सूनी सूनी राहों पर भटकता हुआ एक राही हूँ मैं, रास्तों से बेखबर एक मुसाफिर हूँ मै।।
वक्त के तूफानों से हार हुआ एक इंसान हूँ मैं, मिली मुझे हर पल बेगुअनाह होने की सजा, आज अपनी ही नज़रों में गुनेहगार हूँ मैं,
वक्त के साथ अपनाया मुझे जहां ने और वक्त के साथ ही ठुकराया मुझे हर इंसान ने , वक्त और इंसान के हाथ का क्या खिलौना हूँ मैं है ये सवाल मेरा खुद मुझसे, एक वक्त था जब हौसला था ज़िन्दगी जीने का,
ज़ज्बा था दुनिया जीत लेने का,और आज फैसला है खुद को खुद से ही जुदा कर लेने का,मंजिलों और रास्ते से अनजान मेरे कदम बड़ते जा रहे हैं,,
काश मिल जाए कोई सही रास्ता मुझे जो ले जा सके मंजिल तक मुझे,आज सागर की उस लहर की तरह हु मैं जो साहिल से टकरा कर वापस सागर में लौट आती है, नहीं मिलती चाह कर भी मंजिल उसे,
उन्ही लहरों की तरह हूँ मैं जो मंजिल तक पहुच कर भी उसे पा न सका
आज भूला हुआ एक किनारा ढूँढता हूँ मैं ,ज़िन्दगी ढूँढ़ते हुए मौत को गले लगाने के ही बस बहाने ढूँढता हूँ मैं, सूनी सूनी राहों पर भटकता हुआ एक राही हूँ मैं, रास्तों से बेखबर एक मुसाफिर हूँ मै।।
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