"ऐ ज़िन्दगी थोडा रुक, वक्त तो दे मुझे
माना नहीं मैं रहा काबिल जहाँ के
अपनो के ये अश्क तो पोछने दे मुझे
रह जायेंगी यादें मेरी इस महफ़िल में
थोडा इस महफ़िलमें और रहने दे मुझे
ये माना दर्द से तड़प रहा हूँ कितना में
अधूरा हूँ 'मीठी' बिन तेरे, कहने दे मुझे
पल पल करीब आ रही मौत 'ख़ुशी' के
दर्द आज 'मीठी-ख़ुशी' से सहने दे मुझे
हाँ माना भुला देंगे ये अपने मुझे कल
अपनों कीही मोहब्बत में बहने दे मुझे
यु न तू ऎसे, अपनों से जुदा कर मुझे
अपनो के ये अश्क तो पोछने दे मुझे
रह जायेंगी यादें मेरी इस महफ़िल में
थोडा इस महफ़िलमें और रहने दे मुझे
ये माना दर्द से तड़प रहा हूँ कितना में
अधूरा हूँ 'मीठी' बिन तेरे, कहने दे मुझे
पल पल करीब आ रही मौत 'ख़ुशी' के
दर्द आज 'मीठी-ख़ुशी' से सहने दे मुझे
हाँ माना भुला देंगे ये अपने मुझे कल
अपनों कीही मोहब्बत में बहने दे मुझे
ऐ ज़िन्दगी थोडा रुक, वक्त तो दे मुझे
यु न तू ऎसे, अपनों से जुदा कर मुझे-2"
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