मेरी कविता
देखो टूट कर कैसे बिखर गए हम
कुछ दूर चले देखे कैसे गिर गए हम
मोहब्बत ढूढ़ने चले थे फिरसे यहाँ
सबकुछ लुटा देखो तन्हा हो गए हम
दे खुशी जहाँ को देखो रोते रह गए हम
अश्क पोछते झूठे मुस्कुराते रह गए हम
शायद यही है तकदीर में तेरी ए मीठी
खुशी की चाहत में हर दर्द सह गए हम
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