Meri nayi rachna
तन्हा सी ज़िंदगी में, एक सहारा ढूँढते है
गमो में डूबे पर "खुशी" का किनारा ढूंढते हैं
दर्द दिल मे छिपा, मुस्कुरा रही है "मीठी"
जो समझ सके दर्द, वो साथी हमारा ढूंढते हैं
किसको बताये गम अपना, किसे समझाए
बिन कहे समझ सके, वो राही प्यारा ढूंढते है
बिखर चुके, अरमानो की माला के ये मोती
फ़िर से पिरो सके, इन्हे वो नजारा ढूंढते है
अकेले मे रोते, तड़पते बेहिसाब हैं जनाब
समझ सके इन, आँसुओ को ,वो द्वारा ढूँढते हैं
खो चुके जीने की, उम्मीद, मौत का इतज़ार है
जो बहा ले जाए ,गमो से दूर, वो धारा ढूँढते हैं
तन्हा सी ज़िंदगी........
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