बरसों बाद आज फिर कुछ लिखने को दिल चाहता है, बरसों बाद आज फिर कुछ करने
को दिल चाहता है, टूट कर बिखर गयी है जो मेरी हर ख़ुशी आज फिर उसे संजो कर
खुश होने का दिल चाहता है, अस्खों में जो बह चुकी थी मुस्कान मेरे होंटो से
आज फिर खुल कर हसने को दिल चाहता है,
है ये सुबह
वही, है ये शाम वही, है सूरज कि रौशनी और चाँद कि चांदी भी वही, टूटे हुए
दिल के टुकड़े गिरे थे जिस जगह पर है ये जमीं भी वही, अस्खों का सैलाब जहाँ
से फूटा था वो आँखे भी है वही, मुस्कुराना जिन लबों ने छोड़ा था ये होंट भी
है वही, परछाइयों से भी मुझे जो लगने लगा था डर वो अक्स भी तो है वही, अकेले जहाँ मैंने खुद को पाया था ये तन्हाई भी तो है वही, छोड़ा जिसने मुझे था बीच मझधार में ये जीवन कि धारा भी तो है वही, मिले मुझे जिन राहों पर चलते हुए इतने दर्द आखिर ये रास्ते भी है वही, मिले जो धोखे मुझे जिन राही से आखिर ये राही भी तो है वही, ख़ुशी का ख्वाब दिखा कर उम्र भर का गम देने वाले, हँसाने कि बात कर कह कर उमर भर रुलाने वाले ये जमानेवाले भी तो है वही,
है
वो दर्द भरी याद इस दिल में बीते कल कि, है रुके मेरे कदम याद में जिसकी
हरदम जाने क्यों आज फिर आगे बढ़ने को दिल चाहता है, बहते हुए इन अस्खों को
पोंछ कर इस दुनिया को देखने को दिल चाहता है, जो छूट चुका अतीत कि गहराई
में भुला कर उसे फिर से जीने को दिल चाहता है,
जो
जी है मैंने ज़िन्दगी अपनी अँधेरे में आज उस अँधेरे से दूर उजाले में जीने
को दिल चाहता है, दर्द भरी शाम से दूर कही प्यार भरी सुबह देखने को दिल
चाहता है,
बस अब बरसों बाद आज फिर कुछ लिखने को दिल चाहता है, बरसों बाद आज फिर कुछ करने को
दिल चाहता है, टूट कर बिखर गयी है जो मेरी हर ख़ुशी आज फिर उसे संजो कर खुश
होने का दिल चाहता है, अस्खों में जो बह चुकी थी मुस्कान मेरे होंटो से आज
फिर खुल कर हसने को दिल चाहता है,
बरसों बाद आज फिर कुछ लिखने को दिल चाहता है, बरसों बाद आज फिर कुछ करने को
दिल चाहता है, टूट कर बिखर गयी है जो मेरी हर ख़ुशी आज फिर उसे संजो कर खुश
होने का दिल चाहता है, अस्खों में जो बह चुकी थी मुस्कान मेरे होंटो से आज
फिर खुल कर हसने को दिल चाहता है,