"जीवन की नेया पार लगाओ प्रभु
भव-सागर से पार लगाओ प्रभु
भटकता रहा हूँ बिन मन्ज़िल के
जगत में है न मेरा कोई ठिकाना-२
आकर मुझको गले लगाओ प्रभु
और न मुझको तुम सताओ प्रभु
जीवन की नेया.................प्रभु
जीवन है मेरा कितना अधूरा
अँधेरे ने इसको है आज घेरा-२
थाम लो हाथ ले चलो साथ मेरे प्रभु
न छोड़ो तन्हा अपना लो मुझे तुम प्रभु
माना न भक्ति है न है धर्म की शक्ति
पापी हूँ मैं पाप ही बस करता रहा हूँ -२
खुदको दूर तुझसे मैं करता रहा हूँ
मर मर के यूँ तो मैं जीता रहा हूँ
अब न दूर मुझसे और न रहो तुम
आ कर मुझे तुम अपनाओ प्रभु
भला हूँ बुरा हूँ तेरा ही बालक हूँ
मझधार से निकाल दिलसे लगाओ प्रभु
जीवन की नेया.......................प्रभु
वचन न तेरा कभी झूठा बने
आकर हृदय में बस जाओ प्रभु
अकेला रहा हूँ इन रास्तो पर मैं भी कभी
साथी बन कर साथ मेरे तुम भी चलो कभी-२
भव-सागर से पार लगाओ प्रभु
भटकता रहा हूँ बिन मन्ज़िल के
जगत में है न मेरा कोई ठिकाना-२
आकर मुझको गले लगाओ प्रभु
और न मुझको तुम सताओ प्रभु
जीवन की नेया.................प्रभु
जीवन है मेरा कितना अधूरा
अँधेरे ने इसको है आज घेरा-२
थाम लो हाथ ले चलो साथ मेरे प्रभु
न छोड़ो तन्हा अपना लो मुझे तुम प्रभु
माना न भक्ति है न है धर्म की शक्ति
पापी हूँ मैं पाप ही बस करता रहा हूँ -२
खुदको दूर तुझसे मैं करता रहा हूँ
मर मर के यूँ तो मैं जीता रहा हूँ
अब न दूर मुझसे और न रहो तुम
आ कर मुझे तुम अपनाओ प्रभु
भला हूँ बुरा हूँ तेरा ही बालक हूँ
मझधार से निकाल दिलसे लगाओ प्रभु
जीवन की नेया.......................प्रभु
वचन न तेरा कभी झूठा बने
आकर हृदय में बस जाओ प्रभु
अकेला रहा हूँ इन रास्तो पर मैं भी कभी
साथी बन कर साथ मेरे तुम भी चलो कभी-२
जीवन की नेया पार लगाओ प्रभु
भव-सागर से पार लगाओ प्रभु-२"
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