आध्यात्म एक ऐसा विषय जिसके बारे में हम सभी ने सुना है, बहुत से लोग धार्मिक किताबों को पढ़ना, अपने धार्मिक स्थानों पर भ्रमण करना, अपने रीति-रिवाज़ों को मानना ही आध्यात्म समझते व कहते हैं किंतु आध्यात्म है क्या वास्तव में ये कोई नही बता सकता सिर्फ एक योग्य आध्यत्मिक गुरु के, लेकिन वो गुरु सिर्फ एक ही मत को सर्वश्रेष्ठ व उसका ही अनुसरण करने पर जोर देने वाला नही होना चाहिए, क्योंकि जो व्यक्ति एक ही धर्म, जाती, भाषा, वेश-भूषा रीति-रिवाज़ को ही श्रेष्ठ बताते हुए अन्य की निंदा करते हैं वो कभी आध्यात्मिक हो ही नही सकते क्योंकि आध्यात्म जोड़ता है न कि तोड़ता है।
एक योग्य आध्यात्मिक गुरु ही हमे आत्म मन्थन की विद्या देता है, ये तो सभी ने सुना है कि हर जीव के अंदर ही ईश्वर रहते हैं, अपने अंदर छिपी दिव्य शक्तियों को पहचान कर उनका प्रयोग जगत के कल्याण में करने हेतु यही कार्य है आध्यात्म का जो पहले खुद को खुद से जोड़ता है।
हर जीवात्मा व मनुष्य में अलौकिक शक्तियां होती है जो एक योग्य गुरु के मार्गदर्शन में जाग्रत हो सकती है, जिससे हम मानुष को पता चलेगा कि उसका ये जीवन इस धरती पर क्यो है, उसका उद्देश्य वास्तव में क्या है, वो जो गलत व्यवहार,गलत चाल चलन, झूठ फरेब व्याभिचार आदि गलत कार्य कर रहा था क्या वो इसके लिए आया है।
लेकिन दुविधा इस बात की है कि आखिर ऐसा गुरु कहाँ ढूंढे, गुरु वो नही जो कोई धार्मिक पुस्तक का पाठ अथवा कथा सुनादे या रटे रटाये मन्त्र बड़बड़ा दे अथवा 4/6 प्रवचन सुनादे, एक सही गुरु इन सबसे ऊपर तुम्हे तुम्हारे समुचित व्यक्त्वि व आने वाले जीवन का साथ ही वर्तमान जीवन को सवार सकता है, और इसके लिए जरूरत है पहले खुद को जानना, खुद के अंदर छिपी शक्तियों को जानना,अपने उद्देश्यों को जानना।
यदि किसी को ऐसा योग्य व्यक्ति गुरु के रूप में नही मिला है तब भी वो एक योग्य गुरु बना सकता है और वो है उसके अपने इष्ट देव जिन पर उसकी आस्था है, व्यक्ति को उन्हें ही गुरु की उपाधि दे कर प्रार्थना करनी चाहिए कि मुझे वो ज्ञान दे जो परम् सत्य है, मुझे मेरी शक्तियों का बोध कराए, मेरे जीवन मे उद्देश्य बताये, मेरे यहाँ होने का कारण बताए, मुझे मुझसे मिलाएं साथ ही उस परम को हर स्थान पर महसूस करे, निःसंदेह एक समय बाद जब तुम्हारा तपोबल बड़ जागेगा और तुम्हारे इस जन्म व पिछले जन्म के पाप जैसे जैसे कम होते जाएंगे तुम्हें आध्यात्म का बोध होता जाएगा क्योंकि तुम खुदको खुदसे ढूंढ लोगे जोकि न किसी सत्संग न प्रवचन और न धार्मिक पुस्तक से हासिल कर सकते हो।
जय माता दी
जय गुरु जी
No comments:
Post a Comment