आजकल भारत पाकिस्तान का मसला मीडिया पर खूब छाया हुआ है, इस साल 14 फरबरी 2019 में जब हमारे वीर सेनिको पर आतंकवादियों ने हमला कर मौत की नींद सुला दिया था तब भारत के लोगों में यकायक देश भक्ति देखने को मिली, ठीक वैसा ही मैंने महसूस किया जैसे 16 दिसम्बर 2012 को निर्भया गैंगरेप के बाद अचानक लोगों का ज़मीर जाग उठा था कि अब ये और नही, लेकिन हुआ क्या?? हालत आज भी वैसे ही है जैसे पहले थे, वही हाल मैंने ऐसे देश भक्तो का देखा।
भारत हो या पाकिस्तान जब भी इन देशों में बात एक दूसरे की आती है तो हर तरफ देशभक्ति देखने को मिलती जैसे सिर्फ इसी नामसे लोगो का ज़मीर जागता है बाकी तो सोता रहता है, इसी का फायदा हमारे राजनीतिक लोग 70 साल से फायदा लेते आये हैं और कोई शक नही लेते रहेंगे, लेकिन आज बात राजनीतिक लोगो की नही हमारे देशभक्त लोगो की है और जो भारत-पाकिस्तान दोनों के नागरिकों के लिए बराबर है।
मेरी एक मित्र है पाकिस्तानी, जब 14 फरबरी 2019 को आतंकियों द्वारा वीर सेनिको को शहीद कर दिया तो मेरी एक हिंदुस्तानी मित्र ने कहा कि किसी पाकिस्तानी से कोई रिश्ता नही रखना है, अपने पाकिस्तानी मित्र का फोन नंबर ब्लॉक कर दो, मैंने उसको कहा कि मुझे ये पता ही मुझे क्या करना है और किसी की सलाह नही चाहिये, करने वाले गलत काम तो दूसरे है इसमें सभी को एक सी नज़रो से नही देखना चाहिए, इस पे मेरी भारतीय मित्र ने मुझे गद्दार बोल कर ब्लॉक कर दिया व्हाट्सएप पर, फिर 28 फरबरी 2019 को मेरे बड़े भाई की अचानक मौत हो गयी, मैंने अपनी इसी हिंदुस्तानी मित्र को फ़ोन करके बताया,मेरे घर पर मेरे अतिरिक्त कोई नही था, माता-पिता और छोटा भाई अस्पताल में थे बड़े भाई साहब के पास, तब मेरी इस हिंदुस्तानी हिन्दू मित्र जिसका नाम "रजनी मुंद्रा" है इसने कहा कि अब पता चला?? मुझे हैरानी हुई ये सुन कर और मतलब क्या था इस शब्द का आप खुद सोच सकते हैं, ये वही महिला है जिसके परिवार ने इसका साथ नही दिया था जब इसको उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी क्योंकि इसने घर वालो के खिलाफ जा कर आशीष मुंद्रा से शादी की थी, और वो शख्स भी शादी के बाद इसको टॉर्चर करता था, मेरे भाई ने कहा था जिसकी मौत हुई कि मैं उसको अपने घर ले आऊंगा क्योंकि वो मेरी बहन है अगर उसके ससुराल वालो ने टॉर्चर जारी रखा तो, साथही जब वो माँ बनी एक लड़के की तब भी मेरे माता पिता ने उसके माता बन कर सारी रस्मे निभाई जबकि उसके सगे माता पिता आये तक नही।
मुझे याद है जब मेरी उससे दोस्ती हुई थी तब उसके पास खाने को भी नही होता था,न ठीक से पहनने को कपड़े थे, और हमारे पास सब कुछ था, बावजूद इसके सिर्फ इंसानियत के आधार पर बिना भौतिक वस्तुओं को तवज़्ज़ो देते हुए उससे दोस्ती निभाई, लेकिन आखिर में उसके शब्दो ने दिल पर उस बम से भी ज्यादा घाव दिए जिसमे बेगुनाह लोग मर जाते हैं।
वही मेरी पाकिस्तान की मित्र जिन्होंने सुबह से मेरा साथ दिया जबसे भाई की हालत नाजुक की खबर उन्हें दी, फिर भाई साहब की मौत की खबर उन्हें दी,उन्होंने ही मुझे बताया कि सफेद कपड़े बिछा के रखो आँगन में, घर की साफ सफाई कर लोगो बैठने शोंक दिखाने की जगह बनाओ, फिर मैंने वही किया, मुझे घर पर कोई कुछ बताने वाला नही था कि क्या करना है लेकिन पाकिस्तानी मित्र मुझे फ़ोन पर सब बताती रही साथ ही हौसला देती रही।
भारत हो या पाकिस्तान जब भी इन देशों में बात एक दूसरे की आती है तो हर तरफ देशभक्ति देखने को मिलती जैसे सिर्फ इसी नामसे लोगो का ज़मीर जागता है बाकी तो सोता रहता है, इसी का फायदा हमारे राजनीतिक लोग 70 साल से फायदा लेते आये हैं और कोई शक नही लेते रहेंगे, लेकिन आज बात राजनीतिक लोगो की नही हमारे देशभक्त लोगो की है और जो भारत-पाकिस्तान दोनों के नागरिकों के लिए बराबर है।
मेरी एक मित्र है पाकिस्तानी, जब 14 फरबरी 2019 को आतंकियों द्वारा वीर सेनिको को शहीद कर दिया तो मेरी एक हिंदुस्तानी मित्र ने कहा कि किसी पाकिस्तानी से कोई रिश्ता नही रखना है, अपने पाकिस्तानी मित्र का फोन नंबर ब्लॉक कर दो, मैंने उसको कहा कि मुझे ये पता ही मुझे क्या करना है और किसी की सलाह नही चाहिये, करने वाले गलत काम तो दूसरे है इसमें सभी को एक सी नज़रो से नही देखना चाहिए, इस पे मेरी भारतीय मित्र ने मुझे गद्दार बोल कर ब्लॉक कर दिया व्हाट्सएप पर, फिर 28 फरबरी 2019 को मेरे बड़े भाई की अचानक मौत हो गयी, मैंने अपनी इसी हिंदुस्तानी मित्र को फ़ोन करके बताया,मेरे घर पर मेरे अतिरिक्त कोई नही था, माता-पिता और छोटा भाई अस्पताल में थे बड़े भाई साहब के पास, तब मेरी इस हिंदुस्तानी हिन्दू मित्र जिसका नाम "रजनी मुंद्रा" है इसने कहा कि अब पता चला?? मुझे हैरानी हुई ये सुन कर और मतलब क्या था इस शब्द का आप खुद सोच सकते हैं, ये वही महिला है जिसके परिवार ने इसका साथ नही दिया था जब इसको उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी क्योंकि इसने घर वालो के खिलाफ जा कर आशीष मुंद्रा से शादी की थी, और वो शख्स भी शादी के बाद इसको टॉर्चर करता था, मेरे भाई ने कहा था जिसकी मौत हुई कि मैं उसको अपने घर ले आऊंगा क्योंकि वो मेरी बहन है अगर उसके ससुराल वालो ने टॉर्चर जारी रखा तो, साथही जब वो माँ बनी एक लड़के की तब भी मेरे माता पिता ने उसके माता बन कर सारी रस्मे निभाई जबकि उसके सगे माता पिता आये तक नही।
मुझे याद है जब मेरी उससे दोस्ती हुई थी तब उसके पास खाने को भी नही होता था,न ठीक से पहनने को कपड़े थे, और हमारे पास सब कुछ था, बावजूद इसके सिर्फ इंसानियत के आधार पर बिना भौतिक वस्तुओं को तवज़्ज़ो देते हुए उससे दोस्ती निभाई, लेकिन आखिर में उसके शब्दो ने दिल पर उस बम से भी ज्यादा घाव दिए जिसमे बेगुनाह लोग मर जाते हैं।
वही मेरी पाकिस्तान की मित्र जिन्होंने सुबह से मेरा साथ दिया जबसे भाई की हालत नाजुक की खबर उन्हें दी, फिर भाई साहब की मौत की खबर उन्हें दी,उन्होंने ही मुझे बताया कि सफेद कपड़े बिछा के रखो आँगन में, घर की साफ सफाई कर लोगो बैठने शोंक दिखाने की जगह बनाओ, फिर मैंने वही किया, मुझे घर पर कोई कुछ बताने वाला नही था कि क्या करना है लेकिन पाकिस्तानी मित्र मुझे फ़ोन पर सब बताती रही साथ ही हौसला देती रही।
इसके साथ ही मैंने अपने सभी मित्रों को ये खबर दी और वक्त के साथ समझ आया न तो दोस्त होते हैं दुनिया मे न दोस्ती, सब मतलब के लोग हैं, और जो खुद को देशभक्त कहते हैं दरअसल ये देश के तो क्या इंसानियत के दुश्मन है, मैंने महसूस किया कि जो लोग सेनिको की सहादत पर हाय तौबा मचाते है वो कितना डोनेट करते हैं किसी सैनिक के परिवार को उसकी सहादत पर?? क्या किसी शहीद सैनिक के बच्चे की पढ़ाई का खर्चा उठाया है इन्होंने जो बात करते हैं देश भक्ति की।
देश केवल सीमाओं से नही लोगो से बनता है अन्यथा ये सिर्फ एक ज़मीन का टुकड़ा है, कितने लोग हैं जो खुद को देश भक्त कहते हैं और जब किसी को मुश्किल में देखते हैं तब चाहे कितने ही व्यस्त क्यो न हो मदद के लिए दौड़ पड़ते हैं, कहते हैं लोग की देश पहले है और बाकी सब बाद में, लेकिन मेरा सवाल है बिना इंसानों के कौन सा देश होता है, जब तुम इंसान की और अपने देश मे रहने वालों की कद्र नही करोगे, उनके दुख सुख में काम नही आओगे तो कैसा देश कैसी देधभक्ति, असल मे खुद को देशभक्त कहने वाले सब के सब गद्दार है देश के और इंसानियत के।
देश केवल सीमाओं से नही लोगो से बनता है अन्यथा ये सिर्फ एक ज़मीन का टुकड़ा है, कितने लोग हैं जो खुद को देश भक्त कहते हैं और जब किसी को मुश्किल में देखते हैं तब चाहे कितने ही व्यस्त क्यो न हो मदद के लिए दौड़ पड़ते हैं, कहते हैं लोग की देश पहले है और बाकी सब बाद में, लेकिन मेरा सवाल है बिना इंसानों के कौन सा देश होता है, जब तुम इंसान की और अपने देश मे रहने वालों की कद्र नही करोगे, उनके दुख सुख में काम नही आओगे तो कैसा देश कैसी देधभक्ति, असल मे खुद को देशभक्त कहने वाले सब के सब गद्दार है देश के और इंसानियत के।
आज जब भी कोई मुझे देशभक्ति की बात कहता है तो हँसी आती है, मन बस यही सवाल करता है कि देशभक्ति है कहाँ??एक कवि की कविता में ही देशभक्ति है, एक लेखक की कहानी में ही देशभक्ति है, सिर्फ किस्से कहानियों में देशभक्ति है, कल्पना में देशभक्ति है, बाकी तो लोग खुद को ही धोखा देते हैं देशभक्त बोल कर, क्योंकि देश सिर्फ एक ज़मीन का टुकड़ा नही है, देश बना है मुझसे तुमसे हम सबसे, और अगर तुम मेरे काम नही आ सकते, मेरे आंसू नही पोछ सकते तो तुम सब देशद्रोही हो अथवा देश नही सिर्फ उस जमीन के टुकड़े के भूखे हो जहाँ भारतीय सभ्यता जो प्रेम पर आधारित थी इसका जन्म हुआ था
जय भारत
जय भारत
Archana Mishra
No comments:
Post a Comment