ईश्वर कहते है आज तुम्हें बताता हूँ, "
शब्दिक अर्थ परमात्मा का
प-प्रथम र-रहस्य/रस/रास्ता म-मुख्य, अ-आदि, त-तत्व, म- मैं अ-अनन्त = परमात्मा भाव- संसार का प्रथम रस्ता रहस्य और रस मैं ही हूं, मैं ही मुख्य और अनादि हूँ, और मैं हीअनंत हूं क्योंकि मैं परमात्मा हूं..
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