ईश्वर कहते हैं, " शाब्दिक अर्थ ईश्वर
I- ईष्ट/एक, श -शक्ति, व -विदित/विराजित, र - रहेगी = ईश्वर भाव एक ऐसी ईष्ट की शक्ति वो ईष्ट जो सबका है जो सिर्फ एक है, उसकी शक्ति/ऊर्जा सदा विराजित रहेगी चाहे संसार मे कुछ भी हो .. उस ऊर्जा को कोई कब नुक्सान या नष्ट नही पहुँचा सकता ..
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