Saturday, 28 July 2012

दर्द भरी शायरी

संसार बना लिया
 
अपने दिल के दर्द को हमने शब्दों का जाम पिला दिया , आँख से बहते अश्को को हमने नदिया के नाम से पुकार लिया ,ख़ुशी तो कभी हमे मिली नहीं पर जो दर्द मिला हमे उसी को अपना संसार बना लिया।
 
 
जिंदगी की इस भागमभाग में
 
जिंदगी की इस भागमभाग में कौन अपना है और कौन पराया मुझे अभी तक ये समझ ही नहीं आया , क्या वो अपने है जो सदा दुःख मुझे देते हैं या वो जो मेरे दुखों का मज़ा लेते हैं ,कोई शख्स इस भागमभाग में मुझे ऐसा न मिला जो पोंछ कर अश्क मेरी आँखों से मुझसे एक बार पूछ सके क्या गम है तुम्हे जो अस्कों को बहाए जाते हो ,क्या बात है जो सबसे छिपाए जाते हो, क्या दर्द है तुम्हे जो  किसी को नहीं  बताते  हो ,क्या बात है जो तुम सबसे छिपाते हो ,इस दुनिया में कोई न मिला मुझे मेरा जिसे मैं अपना कह सकू ,जो है रिश्ते मेरे साथ यहाँ वो हैं सब अपना मतलब साधे हुए , हूँ तनहा यहाँ इस दुनिया में बस एक उम्मीद  के साथ जीने पे मजबूर, कभी तो कोई मिलेगा मुझे जो कहेगा मैं तो सिर्फ तेरा हूँ और हमेशा तेरे साथ हूँ मैं।
 
 
 

कभी न सोचा कुछ अपने लिए
 
कभी न सोचा कुछ अपने लिए , था जो सोचा वो  सबके लिए ,कभी न चाहि ख़ुशी कोई अपने लिए जो थी मांगी ख़ुशी उस रब से वो थी सबके लिए , औरों की तरह सिर्फ अपने लिए जीने का कोई अरमान ना था ,जो था अरमान मेरी ज़िन्दगी का वो था सबके साथ रहने का ,पर मेरा नसीबा ही बड़ा बैमान निकला , मैंने तो सबके साथ ख़ुशी बांटने की चाहत की थी  पर मुझे ही इस ज़िन्दगी में किसी का साथ ना मिला ,कसूर किसी का नहीं मेरे नसीब का है , इसी में लिखा था अकेले रहना , इसी में लिखा था  तनहा जीना  , जो था लिखा किस्मत की रेखा में आखिर नसीब से मुझे केवल ये ही तोहफा ही तो मिलना था आज ज़िन्दगी की इस जुस्तजू में मुझे वो ही मिला जो नसीबा ने चाहा  था ,मुझे किसी का साथ नहीं बस ज़िन्दगी का खालीपन मिला, मुझे किसी का प्यार नहीं बस तनहाइयों का साथ मिला ,पर न शिकायत है किसी से और ना कोई गिला है खुद से , खुश  हूँ मैं अपने ग़मों के साथ  क्योंकि खाली नहीं मैं आखिर  किस्मत से मुझे कुछ तो मिला है।
 

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