ईश्वर कहते हैं "अच्छाई और बुराई एक दुसरे के पूरक हैं, बिना बुराई के
अच्छाई का कोई वज़ूद ही नहीं है, हमे अच्छाई भी तभी नज़र आती है जब बुराई कही
दिखाई देती है, यदि हमे कही बुराई दिखाई न दे तो हम अच्छाई और बुराई में
फर्क कैसे जान सकते हैं, प्रभु कहते हैं उन्होंने प्रतयेक व्यक्ति को
बुद्धि दी है ताकि वो अपनी समझ के अनुसार सही और गलत का निर्णय कर सके और
उसके लिए जो उपर्युक्त हो उस रास्ते को चुने किन्तु इसके साथ गलत रास्ते पर
चल कर भविष्य में होने वाली परेशानियो के विषय में भी मैंने उसे बताया है
और बाकी फैसला उस पर छोड़ दिया है कि वो क्या चुनता है, मनुष्य यदि लालच के
वशीभूत हो कर गलत राह चुनता है तो हो सकता है कुछ दिन सुकून के बिताये
किन्तु भविष्य में अनंत दुःख भोगता है किन्तु जो मनुष्य दुःख एवं सुख में
संयम से काम ले कर सदा नेक कर्म करता रहता है उसे भविष्य में एवं देह
त्यागने के पश्चात अनन्य सुखों को प्राप्त करता है,
ईश्वर कहते हैं अच्छाई और बुराई दोनों मेरे ही रूप है किन्तु मैं चाहता हूँ कि मनुष्य मेरे अच्छे रूपो का अनुसरण करे ना कि बुरे स्वरुप का, ईश्वर कहते हैं अच्छे और बुरे स्वरुप मैंने इसलिए रखे हैं ताकि मनुष्य अच्छाई और बुराई में भेद जान सके और इसके साथ ही इनके परिणाम और दुष परिणामों के विषय में जान कर अपने लिए सही मार्ग को चुनने का फैसला कर उसका अनुसरण करे… "
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