तू ही थी हसी मेरी, तू थी हर ख़ुशी मेरी, तू ही तो थी ज़िन्दगी मेरी, रूठ कर मुझसे आज मेरी ऐ हसी कहाँ तू चली गयी ,
दिल मेरा तोड़ कर ऐ मेरी ख़ुशी जाने कहाँ चली गयी,
पल-पल साथ निभाया मेरा जिसने ऐ मेरी ज़िन्दगी जाने क्यों मुझसे दूर तू चली गयी,
कभी आँखे नम न होने दी जिसने आज नम आँखों के साथ ऐ बंदगी तू रोता क्यों छोड़ गयी ,
रखा हर दर्द से अनजान जिसने हर दर्द खुद सह कर आज दर्द भरी ये ज़िन्दगी मुझे दे कर ऐ मेरी ख़ुशी कहाँ तू चली गयी , तुझे ढूंढ़ती है आज भी मेरी आँखे,
तुझे ही पुकारती है मेरी साँसे, मेरी हर धड़कन में समायी है सिर्फ तेरी ही वो बीती बातें ,
तुझे पुकारती है ये मीठी-ख़ुशी बार-बार, मुझे तड़पता छोड़ कर ऐ मेरी हसी कहाँ तू चली गयी,
कैसे समझाऊ तुझे मैं, कैसे बताऊ तुझे मैं कि है कितनी अकेली तेरी ये मीठी-ख़ुशी दुनिया के बाज़ार में, है कितनी तनहा तेरी ये मीठी-ख़ुशी लाखों -हज़ार में,
कहती है तेरी ये चाहने वाली आज भी बार-बार जो तुझसे आज भी करती है प्यारी बेशुमार
तू ही तो थी हसी मेरी,
कहती है तेरी ये चाहने वाली आज भी बार-बार जो तुझसे आज भी करती है प्यारी बेशुमार
तू ही तो थी हसी मेरी,
तू ही तो थी हर ख़ुशी मेरी, तू ही तो थी ज़िन्दगी मेरी ।
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