"ढूँड्ती है मैरी नजर हर दिशा हर कहीं बस तुझे
पुकारता है ये मन हर वक्त हर कहिं बस जिसे,
मुझसे दूर आज जाने किस देश मै तुम हो
है यहॉ अनेक रूप जाने किस भेष मैं तुम हो,
याद है मुझे हर लम्हा संग तेरे जो जिया था
मीठी संग खुशी का आलम कभी यहॉ हुआ था,
साथ मेरा छोड़ आज़ जाने किस देश मै तुम हो
तन्हा हूँ मै बहुत और जाने किस भेष मैं तम हो,
हर खुशी मीठी थी मेरी बस संग तुम्हारे
जीवन मैं कितने रंग थे जब तुम हुये हमारे,
जिन्दगी दे गयी धोखा आज जाने कहॉ तुम हो
मीठी के बिना क्या आज़ खुशी मैं तुम हो,
मुझसे दूर जाने आज़ किस देश मैं तुम हो
हैं यहॉ अनेक रूप जाने किस भेष मैं तुम हो....."
पुकारता है ये मन हर वक्त हर कहिं बस जिसे,
मुझसे दूर आज जाने किस देश मै तुम हो
है यहॉ अनेक रूप जाने किस भेष मैं तुम हो,
याद है मुझे हर लम्हा संग तेरे जो जिया था
मीठी संग खुशी का आलम कभी यहॉ हुआ था,
साथ मेरा छोड़ आज़ जाने किस देश मै तुम हो
तन्हा हूँ मै बहुत और जाने किस भेष मैं तम हो,
हर खुशी मीठी थी मेरी बस संग तुम्हारे
जीवन मैं कितने रंग थे जब तुम हुये हमारे,
जिन्दगी दे गयी धोखा आज जाने कहॉ तुम हो
मीठी के बिना क्या आज़ खुशी मैं तुम हो,
मुझसे दूर जाने आज़ किस देश मैं तुम हो
हैं यहॉ अनेक रूप जाने किस भेष मैं तुम हो....."
No comments:
Post a Comment