Thursday, 6 July 2017

कविता-एक बार कहा था


"हम तो आज भी वही है ठहरे
जहाँ तुमने कहा था जरा रुको

हम बस अभी थोड़ी देर में आते है
दिन, सप्ताह, बीतेे माह और साल

गुज़र गयी उमर बीत गयी ज़िन्दगी
तुम्हारे इंतज़ार में बैठे यहाँ आज भी

जहाँ तुमने लौटने का वादा किया था
वफ़ा के बदले बेवफाई निभाई तुमने

करते रहे है फिर भी ऐतबार तुम्हारा ही
तुमने फिर मिलने को एक बार कहा था'😢😢😢😢😢

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