"दर्द
कितना है इस दिल मेँ फिर भी उम्मीदोँ का दिया जला रखा है, है अश्क मेँ
भीगी आँखे मेरी फिर जिन्दगी का दामन थामे रखा है, टूट कर जो बिखर गये है
ख्वाब मेरे उन्हेँ समेट फिर बढ कर आगे एक नयी सुबह को गले लगाने का
होसला मन में सजों मेने रखा है, दर्द कितना भी दे नसीब मुझे मेने उम्मीदोँ का दिया जला
रखा है "
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Wednesday 4 December 2013
Monday 2 December 2013
मेरे घर आया एक नन्हा शैतान (our new pupy, he's too naughty and these lynz for him)
मेरे घर आया
एक नन्हा शैतान
ओ ओ मेरे
घर आया एक
नन्हा शैतान, गोरी
है सूरत काली
है नाक ओ
ओ गोरी है
सूरत और काली
है नाक, सर
पे खड़े दिखते
है दो कान,
ओ ओ मेरे
घर आया एक
नन्हा शैतान,
भोली है सूरत
पर है करता
सबको है परेशान,
ओ ओ भोली
है सूरत पर
है करता सबको
है परेशान, ओ
ओ मेरे घर
आया एक नन्हा
शैतान,
ठुमुक ठुमुक चल कर
वो खीचता कभी
कपडे तो कभी
कान, ओ ओ
ठुमुक ठुमुक चल
कर वो खीचता
कभी कपडे तो
कभी कान, ओ
ओ मेरे घर
आया एक नन्हा
शैतान,
सुबह उठ कर
कभी वो चाटता
आँखे तो कभी
काट खाता वो
नाक, कभी खीच
कर जगाता वो
हमारे कान ओ
ओ मेरे घर
आया एक नन्हा
शैतान,
काट कर हमे
दिन और रात
करता है जो
परेशान ओ ओ
मेरे घर आया
एक नन्हा शैतान,
है भले वो
काटने वाला, है
भले वो सबको
डराने वाला पर
है तो आखिर
सबकी आँखों का
तार, जिसकी एक
अदा पे लुटा
दे दोनों जहाँ
वो है मेरा
नन्हा नन्हा शैतान
ओ वो तो
है मेरा नन्हा
शैतान,
Saturday 23 November 2013
ईश्वर वाणी(अच्छाई और बुराई)- 52
ईश्वर कहते हैं "अच्छाई और बुराई एक दुसरे के पूरक हैं, बिना बुराई के
अच्छाई का कोई वज़ूद ही नहीं है, हमे अच्छाई भी तभी नज़र आती है जब बुराई कही
दिखाई देती है, यदि हमे कही बुराई दिखाई न दे तो हम अच्छाई और बुराई में
फर्क कैसे जान सकते हैं, प्रभु कहते हैं उन्होंने प्रतयेक व्यक्ति को
बुद्धि दी है ताकि वो अपनी समझ के अनुसार सही और गलत का निर्णय कर सके और
उसके लिए जो उपर्युक्त हो उस रास्ते को चुने किन्तु इसके साथ गलत रास्ते पर
चल कर भविष्य में होने वाली परेशानियो के विषय में भी मैंने उसे बताया है
और बाकी फैसला उस पर छोड़ दिया है कि वो क्या चुनता है, मनुष्य यदि लालच के
वशीभूत हो कर गलत राह चुनता है तो हो सकता है कुछ दिन सुकून के बिताये
किन्तु भविष्य में अनंत दुःख भोगता है किन्तु जो मनुष्य दुःख एवं सुख में
संयम से काम ले कर सदा नेक कर्म करता रहता है उसे भविष्य में एवं देह
त्यागने के पश्चात अनन्य सुखों को प्राप्त करता है,
ईश्वर कहते हैं अच्छाई और बुराई दोनों मेरे ही रूप है किन्तु मैं चाहता हूँ कि मनुष्य मेरे अच्छे रूपो का अनुसरण करे ना कि बुरे स्वरुप का, ईश्वर कहते हैं अच्छे और बुरे स्वरुप मैंने इसलिए रखे हैं ताकि मनुष्य अच्छाई और बुराई में भेद जान सके और इसके साथ ही इनके परिणाम और दुष परिणामों के विषय में जान कर अपने लिए सही मार्ग को चुनने का फैसला कर उसका अनुसरण करे… "
Thursday 21 November 2013
प्यार-वफ़ा और पुरुष- कहानी (ek sawal)
दिशा कि सबसे अच्छी सहेली निशा कि शादी है और वो उसकी शादी में जाने
कि तैयारी में जुटी है, शादी दिल्ली से लगभग २०० किलोमीटर दूर आगरा में है
और दिशा शादी में शामिल होने के बहाने आगरा घूमने जाने के मूड से वहाँ जा
रही है,
यु तो दिशा अपनी सबसे अच्छी सहेली कि शादी में
शामिल होने आगरा जा रही है लेकिन मन ही मन में उसके अनेक सवाल उठ रहे हैं,
आखिर उसकी सहेली जो इतनी आधुनिक थी आखिर क्या सोच कर अरेंज्ड मैरिज के लिए
कैसे मान गयी, पहले तो कहती थी कि लव-मैरिज ही करेगी लेकिन अचानक क्या हुआ
जो वो घर वालों कि पसंद के लड़के से शादी करने के लिए मान गयी, आखिर उसे और उसके प्रेमी आकाश के बीच ऐसा क्या हुआ जो निशा अपने घर वालों कि पसंद के लड़के से शादी कर रही है, आखिर निशा के घर वाले तो आकाश से उसकी शादी के लिए तैयार थे लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ जो वो एक अजनबी लड़के से शादी करने जा रही है फिर दिशा ने
सोचा चलो अब तो वो उसके यहाँ जा ही रही है शादी में अगर मौका मिला तो वो
उससे इस सवाल को जरूर पुछेगि।
दिशा अपनी सबसे अच्छी सहेली निशा के यहाँ उसकी शादी में शामिल होने ४ दिन
पहले ही पहुच गयी है, हर तरफ शादी कि धूम है, निशा भी बहुत ही खुश है और
शादी कि ख़ुशी ने तो उसे और भी खूबसूरत बना दिया है, लेकिन मेहमानो कि
खातिरदारी और तमाम तरह के काम कि वज़ह से दिशा को दिन में निशा से ज्यादा
बात करने का मौका नहीं मिला, लेकिन रात में लगभग ११ बजे दोनों सखियाँ कुछ
फ्री हुई तो बाते करने लगी,
दिशा: " हमारे होने वाले जीजा जी करते क्या है??"
निशा शरमाते हुए : "वो डॉ. है और मुम्बई में रहते हैं "
दिशा: " यार तू तो हमेशा कहती थी कि लव मैरिज ही करेगी लेकिन अचानक अरेंज्ड मैरिज का भूत कैसे सवार हो गया तुझपे?"और तेरे आकाश का क्या हुआ??"
निशा:
" यार प्यार कर के देख लिया और महसूस किया कि मैं उन खुशनसीब लड़कियों में
से नहीं हूँ जिन्हे उनका मनचाहा प्यार मिल जाता है, और फिर शादी तो करनी ही
है चाहे लव हो या अरेंज्ड, और फिर प्यार तो शादी के बाद अपने पति से हो ही
जाएगा, आखिर कोई चीज़ काफी समय तक साथ रहे तो भले हम उसे कितना भी न पसंद
करे आखिर एक दिन हमे वो अज़ीज़ लगने ही लगती है, ठीक वैसे ही मेरे लिए मेरी
ये शादी है"
दिशा: " लगता है तू इस शादी से
खुश नहीं है, सच बता क्या तू खुश है इस शादी से, अगर नहीं है तो तोड़ दे ये
रिश्ता और अपनी ज़िन्दगी के दुसरे पहलुओं पर विचार कर क्योंकि एक लड़की के
लिए सिर्फ शादी ही सब कुछ नहीं है आज कल, हाँ पहले कि बात और थी लेकिन आज
नही है, तू किसी के दबाब में आकर कोई फैसला मत ले"
निशा: "
दिशा मैं खुश हूँ अपनी शादी से लेकिन अतीत के कड़वे अनुभव जब मुझे याद आते
है तब अपनी ये शादी बेईमानी लगने लगती है, तू तो जानती ही है मेरी ज़िन्दगी
के बारे में, मैं आकाश को कितना प्यार करती थी, उसकी हर ज्यादती सहती थी
सिर्फ उसके प्यार को पाने के लिए और एक दिन वो मुझे छोड़ कर चला गया और अपने
घर वालों कि पसंद कि लड़की से शादी कर ली, मैं सोचती हूँ आज जिस लड़के से
मेरी शादी हो रही है वो भी किसी लड़की का ऐसे ही दिल तोड़ कर आज मुझसे शादी
कर रहा होगा, क्या सच्चा प्यार आज सिर्फ इसी को कहा जाता है, दिशा बस ये ही
बात मुझे बार-बार परेशान कर रही है, मैं जानती हूँ हर इंसान का अपना अतीत
होता है और हमे उसे भुला कर अपने साथी को अपनाना चाहिए लेकिन इसके साथ
प्यार में इन धोखेबाज़ लोगों के लिए भी कोई कार्यवाही होनी चाहिए ताकि हम
जैसी भोली भाली लड़कियों के साथ फिर कोई पुरुष खिलवाड़ करके अपने लिए खुशियों
का संसार ना खड़ा कर सके"
उस दिन
निशा कि बात सुन कर दिशा को भी अपने अतीत के उन कड़वे अनुभवो कि याद ताज़ा हो
गयी जिन्हे भुला कर वो ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के सपने देख रही थी, अपने
इन्ही अनुभवों के कारण ही उसने कभी शादी ना करने का फैसला जो लिया था, दिशा
सोच रही थी कि निशा फिर भी इतनी हिम्मत वाली है जो वो शादी तो कर रही है
भले वो लड़का उसके घर वालों कि पसंद का है लेकिन दिशा में तो वो हिम्मत भी
नहीं रही कि अपनी न सही अपने घर वालों कि पसंद के किसी लड़के से वो शादी कर
के घर बसा सके,
उसे याद
आ रहा है २ मार्च सन २००७ जब उसने ई-मेल के जरिये आयुष को प्रपोस किया था
और उसने भी दिल्ली से इतना दूर शिमला में रहते हुए उसका ये प्रपोसल
स्वीकार किया था, वादा किया था उसने कि वो उससे ही शादी करेगा,रिश्ते के शुरूआती दिनों में अगर मज़ाक
में भी दिशा उसे किसी और से शादी करने के बारे में कहती तो वो नाराज़ हो
जाता और कहता "ऐसा थोड़े ही होता है कि प्यार किसी और से और शादी किसी और
से ", उसकी ये ही बाते दिशा को और उसके करीब ले आती,
पर
ये ख़ुशी कुछ ही महीनो कि थी, कुछ दिनों बाद जब आयुष ने ये महसूस कर लिया
कि लड़की पूरी तरह से मेरे वश में है तब उसने दिशा के साथ बुरा सलूक शुरू कर
दिया, बात बात पे नीचा दिखाना हलाकि दिशा उससे मिल नहीं पाती थी और दोनों
मोबाइल और इंटरनेट के जरिये ही एक दुसरे के संपर्क में रहते थे आयुष दिशा
को फ़ोन और चैटिंग पर ही बात बात पर नीचा दिखाता था, कई तरह के बेवज़ह के
झगडे कर के उसने दिशा का जीना दूभर कर दिया,
एक
दिन दिशा ने उससे पूछ ही लिया कि तुम मेरे साथ ऐसा व्यवहार क्यों करते हो,
मैंने कभी तुम्हारे साथ जबरदस्ती नहीं और न ही अपना ये रिश्ता तुम पर थोपा
है फिर भी तुम मेरे साथ ऐसा क्यों करते हो, इस पर आयुष ने कहा "अगर तुम
चाहती हो मैं तुम्हारे साथ ऐसा न करू तो तुम अपनी अंतरंग तस्वीरे और
वीडियोस मुझे भेज दो ", प्यार में पागल दिशा ने आयुष का दिल जीतने के लिए
ये भी कर दिया, हालाकि ये सब करने के लिए कितना ही मानसिक कष्ट सहना पड़ा ये
सिर्फ वो ही जानती है, किन्तु इसके बाद भी आयुष कि हरकते बंद नहीं हुई और
बार बार अच्छे वर्ताव करने का झांसा दिशा को दे कर उसकी ऐसी तस्वीरे और
वीडियोस उससे लेने लगा, और प्यार में बावली दिशा ये सब करती रही,
एक
दिन दिशा को अहसास हुआ कि उसने आयुष को प्यार किया और खुद आगे से प्रपोस
तभी उसे उसके प्यार का अहसास नहीं हुआ और शायद इसलिए वो उसके प्यार कि क़द्र नहीं करता है, वो सोचने लगी कि उसे आयुष को छोड़ कर
किसी ऐसे लड़के को अपनी ज़िन्दगी में जगह देनी चाहिए जो उससे प्यार करे और
जो खुद उसे प्रपोस करे, दिशा ऐसा लड़का ढून्ढ ही रही थी कि इंटरनेट पर ही
उसे एक लड़का मिला जिसने उससे प्यार का इज़हार किया, दिशा ने उसकी बात पे यकीं करके उसका ये प्रेम प्रस्ताव स्वीकार कर लिया लेकिन कुछ दिन तो उस लड़के ने दिशा के साथ
अच्छा होने का नाटक किया फिर एक दिन शादी का झांसा दे कर उसके साथ बलात्कार
किया इसके साथ ही वो किसी न किसी बहाने से उससे पैसे भी ऐठने लगा पर नादान दिशा उसकी चाल को न समझ सकी शायद इसलिए क्योंकि उसके दिल में अभी भी उस किस्से-कहानियों वाले राजकुमार कि बात पे विश्वाश था जो एक दिन उसकी ज़िन्दगी में आयगा और हर गम और हर दर्द से दूर ले कर उसे एक खुशियों से भरा संसार संग उसके बसाएगा, लेकिन शादी के झूठ के साथ तो उस लड़के ने दिशा के साथ बलात्कार का ये सिलसिला ही शुरू कर दिया और अलग अलग जगह विभिन्न बहानो से ले जा कर उसके साथ जबरदस्ती करता रहा और झूठ बोलता रहा कि शादी तुमसे ही करूँगा मैं और ये तब तक चलता रहा जब तक उस लड़के का दिल नहीं भर
गया, और एक दिन वो लड़का दिशा को ये कह कर छोड़ गया कि मेरे घर वाले हमारी
शादी के लिए नहीं मानेगे, मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता पर हाँ बतौर बॉय
फ्रेंड और फ्रेंड बनने के लिए तैयार हूँ, और अगर तुम चाहो तो हमारे बीच शारीरिक रिश्ता भी आगे बना रह सकता है,
दिशा टूट कर
बिखर गयी थी और अपने लिए शादी के लिए लड़के देखने लगी थी लेकिन इतने में ही एक दिन नेट सर्फिंग के दौरान उसकी मुलाक़ात
एक दिन फिर से आयुष से हुई और उन दोनों के बीच फिर से प्यार भरी बाते होने
लगी, कुछ दिन तो फिर से आयुष कुछ ठीक रहा लेकिन फिर उसने दिशा के साथ बुरा
व्यवहार शुरू कर दिया, इस बार उसका तर्क था कि अगर तुम अकेली शिमला आ जाओ
तो मैं अच्छा व्यवहार तुम्हारे साथ करूँगा, प्यार में पागल दिशा ने अकेले
शिमला जाने का मूड बना लिया लेकिन अकेले जाने कि हिम्मत नहीं हो पायी उसकी,
उसने अपने नेट पे ही अपनी एक सहेली के दोस्त को अपने साथ चलने को कहा वो
लड़का लखनऊ में रहता था पर फिर भी शिमला उसके साथ चलने को मान गया और
निर्धारित दिन दिल्ली आ गया, उसका ट्रैन का रिज़र्वेशन नहीं था पर दिशा का था पर उसने वेटिंग का टिकट ले कर दिशा के साथ सीट शेयर करने का प्लान बनाया, दिशा ने सोचा
सीट ही तो शेयर करनी है और एक रात का ही तो सफ़र है कट जायगा, भोली भाली
दिशा इन लड़कों कि फितरत से इतना कुछ सहने के बाद अब भी अनजान ही थी, ट्रैन में डिनर के बाद जब
सब यात्री लेट गए तब उस लड़के ने दिशा के साथ छेड़-छड़ शुरू कर दी जिसके कारण
दिशा कि तबियत ट्रैन में बिगड़ गयी और अन्य यात्रियों को कुछ गड़बड़ लगा और
उन्होंने उस लड़के को दूर अलग सीट पे जाने को कहा, शिमला पहुच कर उस लड़के ने
दिशा से माफ़ी मांगी तो दिशा ने उसे माफ़ कर दिया और फिर दिशा ने आयुष को
कहा कि वो स्टेशन पर है आ कर उसे ले जाये यहाँ से लेकिन आयुष ने उसे वहा ४
घंटे और इंतज़ार करने को कहा, उसने कहा इससे पहले वो नहीं आ सकता, दिशा कि
तबियत कुछ ख़राब थी शायद रात वाली घटना कि वज़ह से, इसका फायदा उठा कर वो
लड़का उसे शिमला के एक होटल में ले गया और वह पर उसके साथ जबर्दस्ती करने
लगा लेकिन दिशा कि तबियत बहुत ख़राब होते देख डर के कारण रुक गया, दिशा ने
आयुष को उसी होटल में बुला लिया,
होटल
आ कर आयुष ने जब दिशा को देखा वो भी साथ में अपनी सहेली के एक दोस्त के
साथ तो उसे गलत समझने लगा, उसने ये जान्ने कि भी कोशिश नहीं कि उसे कितनी
परेशानियों का सामना पड़ा, वो अकेले आने में क्यों डरती थी और डरती है,
अपनी तबियत के अचानक बिगड़ जाने से वो उस लड़के को वह से जाने के लिए ना बोल सकी थी जिसका
फायदा उस लड़के ने उठाने कि कोशिश कि पर आयुष के सामने नाकाम रहा,
दिशा
आयुष के लिए ही शिमला आयी थी वो भी उसके बताये दिनों के अनुरूप, वो चाहती
थी कि कम से कम ३ दिन उसके साथ रहे पर आयुष ने कहा कि मैं सिर्फ शनिवार और
रविवार को हो तुम्हारे साथ रह सकता हूँ और तीन दिन मैं किसी भी तरह से
तुम्हारे साथ नहीं बिता सकता क्योंकि मेरा परिवार मुझसे जवाब तलब करेगा और
उनसे झूठ नहीं बोल सकता, दिशा को थोडा बुरा लगा कि वो अपने घर वालों से झूठ
बोल कर इतनी दूर अकेले आयी जिसके लिए और उसके पास समय नहीं पर फिर भी दिशा
ने आयुष को कुछ नहीं कहा और जैसी उसकी मर्ज़ी कह कर चुप रही,
मौके
का फायदा देख कर आयुष भी उसके साथ जबरदस्ती करना चाहता था लेकिन किसी और
को अपनी प्रेमिका के आस-पास देख कर उसकी हिम्मत नहीं हुई, उधर दिशा भी ज़िद पर
थी कि वो सिर्फ धार्मिक जगह ही शिमला में घूमेगी और बर्फ वाली जगह और ऊँची
पहाड़ी पर वो नहीं जायगी हालाकि आयुष उसे वह ले जाना चाहता था पर दिशा के मना करने पर उसे रुकना पड़ा, पर दिशा ने महसूस किया कि अगर वो चली जाती तो
आयुष ने उसके लिए कुछ और ही इतंजाम कर रखे थे लेकिन वो नहीं गयी जिससे उसके
करे कराये पर पानी फिर गया और आयुष उससे खफा खफा रहने लगा।
फिर
दिशा के दिल्ली वापस आने के बाद कुछ दिन तो ठीक रहा पर फिर एक दिन आयुष ने
उससे कहा "तेरे पास कितना बैंक बैलेंस हैं??", दिशा ने कहा "क्यों तुम
क्यों पूछ रहे हो??", आयुष "अगर मुझे तुमसे शादी करनी पड़ी तो तुम्हारे घर
वाले मुझे एक कार तो दहेज़ में दे ही सकते है, वो देंगे या नहीं इसलिए पूछ
रहा हूँ, आखिर तुम्हारे यहाँ तो बहुत दहेज़ दिया जाता है और फिर तुम ३
भाइयों में अकेली बहन हो तो मोटा दहेज़ तो वो देंगे ही", दिशा आयुष कि बात
को सिर्फ एक मज़ाक समझ कर टाल गयी, पर इसके बाद न जाने कितनी बार आयुष ने
दिशा से ये सवाल पूछा और साथ ही किसी न किसी बहाने से उससे उपहार मांगे,
दिशा ने अपना बैंक बैलेंस तो नहीं बताया (जो कि उसके पास सच में कुछ था भी नहीं ) हाँ उसकी ख़ुशी के लिए उसे एक से एक
उपहार जरूर शिमला भेजती रही, पर एक दिन आयुष के दहेज़ के सवालों से तंग आ
कर उसने कहा "मेरे पास फूटी कौड़ी नहीं है शादी के लिए," इस पर आयुष बोला
"फिर तुम्हरी शादी कैसे होगी", दिशा बोली "ये घर वालों कि समस्या है, मेरी
शादी में पैसा कहाँ से और कैसे लाना है ये उनकी ज़िम्मेदारी है, और रही बात
दहेज़ कि तो जितना हो सकेगा वो देंगे और कितना और क्या देते हैं ये किस्मत
पे निर्भर करता है ", इस बात को सुन कर आयुष बोला "तुम्हारे पास कुछ नहीं
है", दिशा "हाँ",
दिशा कि बात सुन कर आयुष बोला
आयुष: "मैं अपने परिवार से तुम्हारी बात करवाना चाहता था पर "
दिशा : "किस उद्देश्य से तुम बात अपने परिवर से कराना चाहते थे??"
आयुष: "यार शादी के लिय़े "
दिशा: "ठीक है तो अब करा दो "
आयुष: "मैं तुमसे अब शादी नहीं कर सकता और वज़ह तुम जानती हो "
दिशा
को लगा कि वो मज़ाक कर रहा है और उसकी बात को सिर्फ एक मज़ाक समझ कर वो टाल
गयी, कुछ दिन बाद आयुष नौकरी के लिए कुछ दिन दिल्ली आया और उसने दिशा से
मिलने को कहा दिशा मान गयी और आयुष के बताये समय और दिन के अनुसार उससे
मिलने चली गयी, पर वो जो गलती उससे हुई उसने दिशा का सारा आत्म विश्वाश तोड़
कर रख दिया,
दिशा अपनी पसदीदा ड्रेस पहन कर आयुष से मिलने
गयी, पर उसे देख कर ही आयुष ने अजीब सा मुह बनाया, इसके साथ आयुष ने उससे
एक फ़िल्म देखने को कहा दिशा मान गयी पर फ़िल्म से ले कर लंच तक और फिर घूमने
फिरने का सारा खर्च आयुष ने दिशा से कराया और इतना ही नहीं उसकी इतनी
बेईज़ती कि, आयुष ने दिशा को दुनिया कि सबसे बदसूरत और एक नाकाम लड़की कहा,
पिछड़ी हुई सोच कि लड़की कहा और कहा कि उससे कपडे पहनने का भी ढंग नहीं है,
उसे एक मॉडल जैसा दिखना चाहिए आखिर वो दिल्ली में रहती है, उसे यु सादगी
में नहीं रहना चाहिए, ऐसा दिखना चाहिए जैसा कोई मॉडल हो वो, एक दम हाई फाई ,
आयुष ने कहा मुझे देखो मुझमे क्या कमी है, जबकि आयुष खुद दिखने में दिशा
से भी ज्यादा बदसूरत और एक आँख से काणा था पर दिशा ने कभी उससे या उसके
बारे में ऐसा कुछ नहीं कहा जिससे उसे दुःख हो पर आयुष ने अपने अंदर कि कमी
को नहीं देखा और दिशा में एक एक करके इतनी कमिया गिना दी जिससे दिशा को
लगने लगा कि उसमे केवल कमियों के सिवा और कुछ नहीं है, आयुष ने बहुत ही
बुरा व्यवहार किया उसके साथ ऐसा शायद ही कोई लड़का अपनी टाइम पास वाली
प्रेमिका के साथ भी नहीं करता होगा, उसकी बातों ने दिशा को इतना दुःख
पहुचाया कि वो ख़ुदकुशी करना चाहती थी पर अपने परीवार के खातिर वो रुक गयी,
दिशा ने उससे फिर पूछा -
दिशा: "तुम्हे मुझमे बस कमिया ही दिखती है, क्या कोई एक भी अच्छाई तुम्हे मुझे अभी तक दिखाई नहीं दी ?"
आयुष: "नहीं मुझे तो एक भी नहीं दिखाई दी, अगर देती तो बता देता"
आयुष: "मुझे देखो और खुद को देखो, मेरे अंदर एक भी कमी नहीं है, अगर है तो अभी बता दो, मुझे पता है एक भी कमी नहीं है, मैं एक दम परफेक्ट लड़का हूँ पर तुम नहीं हो, तुम्हारे अंदर सिर्फ और सिर्फ कमिया है और तुम्हे खुद को पूरी तरह बदलने कि जरूरत है, अगर तुमने खुद को नहीं बदला तो जिस लड़के से तुम शादी करोगी वो तुम्हे अपनी उँगलियों के इशारे पर नचाएगा, और ये तो जाहिर है कि मैं तो तुमसे शादी नहीं कर सकता इसलिए खुद को शातिर, चालाक और दिखने में खुद को मॉडल जैसी बनाओ "
दिशा ने उससे फिर पूछा -
दिशा: "तुम्हे मुझमे बस कमिया ही दिखती है, क्या कोई एक भी अच्छाई तुम्हे मुझे अभी तक दिखाई नहीं दी ?"
आयुष: "नहीं मुझे तो एक भी नहीं दिखाई दी, अगर देती तो बता देता"
आयुष: "मुझे देखो और खुद को देखो, मेरे अंदर एक भी कमी नहीं है, अगर है तो अभी बता दो, मुझे पता है एक भी कमी नहीं है, मैं एक दम परफेक्ट लड़का हूँ पर तुम नहीं हो, तुम्हारे अंदर सिर्फ और सिर्फ कमिया है और तुम्हे खुद को पूरी तरह बदलने कि जरूरत है, अगर तुमने खुद को नहीं बदला तो जिस लड़के से तुम शादी करोगी वो तुम्हे अपनी उँगलियों के इशारे पर नचाएगा, और ये तो जाहिर है कि मैं तो तुमसे शादी नहीं कर सकता इसलिए खुद को शातिर, चालाक और दिखने में खुद को मॉडल जैसी बनाओ "
उसकी बात दिशा के दिल को भेद गयी अंदर तक, जो शख्स खुद को परफेक्ट बता रहा था उसके सामने में वो खुद काणा था, दिखने में अजीब सी शक्ल का था फिर भी दिशा ने उससे प्यार किया उसके दिल को देख कर न कि शक्ल को देख कर, दिशा के दोस्त जरूर कहते थे कि "यार दिशा तुम तो इतनी अच्छी दिखती हो आखिर तुमने इस अजीब आदमी में क्या देखा जो इस पर यु फ़िदा हो गयी, ये यार तुम्हारे लायक नहीं है ",
दिशा कहती "उसका दिल जो तुमने नहीं देखा, उसका दिल उसकी शक्ल से कही ज्यादा खूबसूरत है "
पर इसके बाद दिशा को लगा कि उसका दिल भी उसकी शक्ल और उसकी आँख कि तरह ही काणा है जिसने दिशा के अंदर केवल बुराइयों को ही देखा है, ये नहीं देखा कि इस लड़की ने मेरे लिया क्या क्या किया है।
दिशा कहती "उसका दिल जो तुमने नहीं देखा, उसका दिल उसकी शक्ल से कही ज्यादा खूबसूरत है "
पर इसके बाद दिशा को लगा कि उसका दिल भी उसकी शक्ल और उसकी आँख कि तरह ही काणा है जिसने दिशा के अंदर केवल बुराइयों को ही देखा है, ये नहीं देखा कि इस लड़की ने मेरे लिया क्या क्या किया है।
और इसके बाद दिशा
ने फैसला कर लिया था कि वो आयुष से अब कभी बात नहीं करेगी, और इसके बाद
उसने आयुष से ८ महीने तक बात नहीं कि पर एक दिन वो उसके शिमला का नंबर यु हीमिला
रही थी (चूकि वो दिल्ली में था कुछ दिन के लिए इसलिए उसके शिमला का फ़ोन नंबर बंद था)जो उसने उसकी कॉल उठा ली, दिशा समझ गयी कि ये बिना बताये फिर से
शिमला चला गया है, दिशा ने सोच लिया था जो भी इससे बात नहीं करनी, पर इतने
में ही आयुष ने वापस कॉल बेक किया दिशा को पर उसने उसका फ़ोन नहीं उठाया,
आयुष ने दुबारा फ़ोन मिलाया पर इस बार दिशा कि माँ ने फ़ोन उठा लिया, इस पर
आयुष ने दिशा कि माँ से कहा
आयुष: "आपकी बेटी मुझे बार बार
फ़ोन कर रही है, मेरी शादी होने वाली है, अगर वो ऐसा ही करती रही तो मेरी
शादी टूट सकती है, आपनी बेटी को समझा ले ",
ये सुन
कर दिशा कि माँ ने दिशा को बहुत डांटा और भविष्य में उससे किसी भी तरह का
कोई भी रिश्ता न रखने को कहा, पर दिशा एक बार उससे बात करना चाहती थी, और
एक दिन मौका देख कर उसने आयुष को फ़ोन किया और कहा "तुम्हे जो करना है करो
मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन मेरे घर वालों से कुछ भी कहने कि जरूरत नहीं
है," इस पर आयुष बोला "मैं तुमसे आज भी बहुत प्यार करता हूँ पर शादी नहीं
कर सकता, तुम जानती हो न क्यों, क्योंकि हमारे बीच कभी शादी जैसा रिश्ता था
ही नहीं पर हाँ प्यार तुमसे शादी के बाद भी करता रहूँगा और तुम भी एक
अच्छा सा लड़का देख कर शादी कर लो मुझे ख़ुशी होगी,", इसके बाद आयुष ने दिशा
को मीठी मीठी बातों में फिर से फसा लिया, दिशा को लगा शायद ये झूठ
बोल रहा है अपनी शादी को ले कर क्योकि वो ऐसा इससे पहले भी कई बार कर चूका
था, दिशा आयुष से बहुत प्यार करती थी इसलिए बीती सारी कड़वी बाते भुला कर वो
उसके करीब जाने लगी,
पर जैसा उसने सोचा था कि आयुष
झूठ बोल रहा है अपनी शादी को ले कर ये उसका वहम निकलता, आयुष सच मे शादी कर
रहा था और दिशा को अपनी शादी में खुश रहने के लिए ऐसे बोल रहा था जैसे उन
दोनों के बीच कभी कोई ऐसी बात ही न हुई हो या फिर दिशा कोई वेश्या हो और
उसे कोई फर्क ही न पड़ता हो किसी कि शादी से क्योंकि उसे तो कोई और मिल
जायगा, दिशा ने जब अपनी नाराज़गी दिखायी तो आयुष ने उसे फिर बुरा भला सुना
दिया, दिशा बहुत सीधी थी, उसको ज्यादा जवाब न दे सकी और चुप चाप रो धो कर
शांत हो गयी, दिल में पीर लिए जीने कि कोशिश करने लगी पर उसने फिर भी आयुष
को माफ़ कर दिया सिर्फ इस बात पर क्योंकि उनके कहा था "मैं तुमसे आज भी बहुत
प्यार करता हूँ और हमेशा करता रहंगा ", सिर्फ इसी बात पर उसने आयुष को माफ़
कर दिया, और उसकी दोस्त बन कर उसके साथ रहने को मना लिया खुद को,
पर आयुष कि शादी से कुछ दिन पहले दिशा ने
आयुष को कुछ ऐसा कहा जिससे आयुष का असली और घिनोना चेहरा दिशा के सामने ऐसा
आया कि उसे मर्द जात से ही नफरत हो गयी,
दिशा ने आयुष को चैटिंग के दौरान कहा-
दिशा: "आज मैं बहुत खुश हूँ "
आयुष: "वैरी गुड "
दिशा: "तुम पूछोगे नहीं कि क्यों खुश हूँ "
आयुष : "हाँ बताओ "
दिशा: "मैं एक नयी कार ले रही हूँ "
आयुष: "मेडम जी कार के लिए पैसे कौन देगा?? "
दिशा:
"मेरी फिक्स डिपोसिट पूरी हो गयी है और अब मुझे पूरे २ लाख रुपये मिलने
वाले है जिनसे मैं एक नयी कार लुंगी और और कुछ पैसे कम पड़े तो घर वालों से
मांग लुंगी,
दिशा कि कार लेने कि बात सुन कर आयुष आग
बबूला हो गया, और उसे नीचा दिखाने के लिए उससे फिर से उसकी अंतरंग तस्वीरे
मांगने लगा, पर इस बार दिशा ने मना कर दिया तो उसने दिशा को बड़ी कि गन्दी
गालिया दे डाली, न सिर्फ दिशा को बल्कि उसकी माता-पिता भाइयो को सभी को,
दिशा ने कहा क्या तुम वही हो जिससे मैंने किया प्यार किया था इस आयुष ने
कहा "साली चुप कर, कमिनी मुझे नहीं बताया कि कितना पैसा है तेरे पास आज तू
कार लेने जा रही है, साली ……………………न तो अपनी तस्वीरे भेज रही है नाकाम
लड़की और न ही अपने पैसे के बारे में कुछ बताया कमिनी ……………… ",
आयुष
का ये रूप देख कर उसे अहसास हुआ कि मर्दों का असली रूप ये होता है, उसे
दुःख हुआ कि उसने जिसकी भगवन कि तरह पूजा कि, जिसकी हर गलती और पाप को माफ़
करती गयी, जिसकी ज्यादती के बाद भी कभी कोई शिकायत नहीं कि उसका असली चेहरा
ये है....
दिशा सोचने लगी आज कि
उसने अपनी ज़िन्दगी में केवल धोके के सिवा और क्या पाया, एक और आयुष था
जिसने उसकी आत्मा को चोट पहुचाई और दूसरी तरफ वो मर्द था जिसने प्यार का
नाटक कर उसका यौन उत्पीड़न किया हलाकि आयुष भी ऐसा ही करना चाहता था पर वो
कर न सका लेकिन दिमागी बलात्कार तो उसने उसका भी कई बार किया,
अपनी
ज़िन्दगी में आये इन लड़को को देख कर और नेट पे मिलने वाले इन दिल फेंक
आशिकों को देख कर दिशा समझ गयी कि आज के समय में सच्चा प्यार सिर्फ किस्से
कहानियो में ही मिलते है और अगर उन किस्से कहानियो को सच मान कर अपने प्यार
को ढूंढ़ने और पाने चले तो वो ही हाल होगा जो उसका हुआ,
इसके
साथ दिशा को ये बात भी समझ में आयी हालाकि काफी कुछ लुटा चुकी थी दिशा और लुटने के बाद उसे ये बात समझ आयी कि प्यार केवल उन्ही लड़कियों को मिलता है
या उन्ही लड़कियों का प्रेम विवाह हो पाता है जो लड़किया लड़को से जायदा तेज़
और चालाक होती है, और अगर कोई सीधी साधी लड़की इस प्यार के चक्कर में पड़ जाए
तो ये मर्द उसे वेश्या से बुरी ज़िंदगी जीने पर मज़बूर कर देते हैं, मर्दों
के लिए ये लड़किया और प्यार सिर्फ अपनी वासना को शांत करने का अपने विवाह से
पूर्व एक सरल और आसान रास्ते के अतिरक्त और कुछ भी नहीं है, शायद ही कोई
मर्द हो जो ऐसा न हो आज के समय में किन्तु आज हर एक मर्द ऐसा ही है,
दिशा
सोचने लगी उसकी सहेली तब भी हिम्मत वाली है जो किसी मर्द को अपने हमसफर के
रूप में अरेंज्ड मैरिज करके अपना रही है किन्तु दिशा में आज वो हिम्मत
नहीं रही कि वो ऐसा भी कर सके, न तो उसे आज प्रेम विवाह पे भरोसा रह गया और
न परिवार कि मर्ज़ी से तय रिश्ते पर, क्योंकि उसकी नज़र में आज हर लड़की कि
खुशियों को हरने वाला ये मर्द ही है और जिससे उसकी शादी होगी न जाने कितनी
लड़कियों कि खुशिया छीन कर अपना घर बसा रहा होगा, और बस इसी बात को दिल में
लगा कर आज दिशा आजीवन अविवाहित रहने का फैसला करती है।
दोस्तों
मेरी ये कहानी पड़ कर आप मुझे बताये कि क्या दिशा को शादी कर लेनी चाहिए या
नहीं, क्या आज के समय में सच में शरीफ पुरुष कोई नहीं है, क्या आज हर मर्द
के रूप में रावण हर कही है, क्या राम आज सिर्फ किस्से-कहानियो में मिलते
है, कृपया अपने विचार हमे कमेंट द्वारा अवशय दें इसके साथ ही हम उन लड़कियों से कहना चाहेंगे कि कभी किसी भी पुरुष पर आँखे बंद करके भरोसा न करे, दिशा खुशनसीब थी जो अपनी आंतरिक तस्वीर भेजने के बाद भी उस मर्द द्वारा ब्लैक मेल नहीं कि गयी किन्तु कुछ मर्द लड़कियों के इसी प्यार और भरोसे का फायदा उठा कर उनकी निजी तस्वीरे ले कर उन्हें ब्लैक मेल करते है और उनकी अच्छी खासी ज़िन्दगी पूरी तरह तबाह कर देते हैं,,
वैसे मुझे लगता है मर्दों कि सोच के बारे में जो इस कहानी से मैंने महसूस कि है कि मर्दों कि महिलाओं के प्रति ऐसी अवधारणा के पीछे पारिवारिक माहोल का एक प्रमुख स्थान है, ऐसे पुरुष अपने घर पर अपने माता-पिता रिश्तदार आदि के यहाँ पुरुष द्वारा नारी का दमन देखते हैं और देखते हैं नारी इसका विरोध न कर के चुपचाप उनके अत्याचार सह रही है इसके साथ परिवार वालों का ये कहना "हमारा तो बेटा है इसका क्या बिगड़ेगा, बिगड़ेगा तो बेटी वालों का ", ऐसे सोच एक विछिप्त पुरुषवादी मानसिकता को जन्म दे कर स्त्री पुरुष में फासले बढ़ाती है और इसके साथ ही बढ़ता है व्याभिचार और स्त्रीयों के प्रति अत्याचार ,
अभिनेत्री जिया खान कि मौत कि वज़ह भी प्यार में धोखा ही रही है, इस प्रकार न जाने कितनी जिया, दिशा और निशा है देश में जो अपने प्यार में धोका मिलने कि वज़ह से मौत को गले लगा लेते है या फिर घुट घुट कर जीने को मज़बूर होते है या फिर रिश्तों से डरने लगते हैं और कभी शादी न करने का फैसला करते हैं।
यदि हमे स्त्रीयों के प्रति इन अपराधों को ख़त्म करना है तो अपनी सोच बदलनी पड़ेगी, साथ ही दिशा जैसी लड़किया जो अपना घर बसाने में आज डरती उन्हें उनका डर दूर कर एक बेहतर हमसफ़र तलाश कर घर बसाने में हमारी नयी सोच साथ देगी …
वैसे मुझे लगता है मर्दों कि सोच के बारे में जो इस कहानी से मैंने महसूस कि है कि मर्दों कि महिलाओं के प्रति ऐसी अवधारणा के पीछे पारिवारिक माहोल का एक प्रमुख स्थान है, ऐसे पुरुष अपने घर पर अपने माता-पिता रिश्तदार आदि के यहाँ पुरुष द्वारा नारी का दमन देखते हैं और देखते हैं नारी इसका विरोध न कर के चुपचाप उनके अत्याचार सह रही है इसके साथ परिवार वालों का ये कहना "हमारा तो बेटा है इसका क्या बिगड़ेगा, बिगड़ेगा तो बेटी वालों का ", ऐसे सोच एक विछिप्त पुरुषवादी मानसिकता को जन्म दे कर स्त्री पुरुष में फासले बढ़ाती है और इसके साथ ही बढ़ता है व्याभिचार और स्त्रीयों के प्रति अत्याचार ,
अभिनेत्री जिया खान कि मौत कि वज़ह भी प्यार में धोखा ही रही है, इस प्रकार न जाने कितनी जिया, दिशा और निशा है देश में जो अपने प्यार में धोका मिलने कि वज़ह से मौत को गले लगा लेते है या फिर घुट घुट कर जीने को मज़बूर होते है या फिर रिश्तों से डरने लगते हैं और कभी शादी न करने का फैसला करते हैं।
यदि हमे स्त्रीयों के प्रति इन अपराधों को ख़त्म करना है तो अपनी सोच बदलनी पड़ेगी, साथ ही दिशा जैसी लड़किया जो अपना घर बसाने में आज डरती उन्हें उनका डर दूर कर एक बेहतर हमसफ़र तलाश कर घर बसाने में हमारी नयी सोच साथ देगी …
धन्यवाद
अर्चू
i love you beta(तू ही थी हसी मेरी,)
तू ही थी हसी मेरी, तू थी हर ख़ुशी मेरी, तू ही तो थी ज़िन्दगी मेरी, रूठ कर मुझसे आज मेरी ऐ हसी कहाँ तू चली गयी ,
दिल मेरा तोड़ कर ऐ मेरी ख़ुशी जाने कहाँ चली गयी,
पल-पल साथ निभाया मेरा जिसने ऐ मेरी ज़िन्दगी जाने क्यों मुझसे दूर तू चली गयी,
कभी आँखे नम न होने दी जिसने आज नम आँखों के साथ ऐ बंदगी तू रोता क्यों छोड़ गयी ,
रखा हर दर्द से अनजान जिसने हर दर्द खुद सह कर आज दर्द भरी ये ज़िन्दगी मुझे दे कर ऐ मेरी ख़ुशी कहाँ तू चली गयी , तुझे ढूंढ़ती है आज भी मेरी आँखे,
तुझे ही पुकारती है मेरी साँसे, मेरी हर धड़कन में समायी है सिर्फ तेरी ही वो बीती बातें ,
तुझे पुकारती है ये मीठी-ख़ुशी बार-बार, मुझे तड़पता छोड़ कर ऐ मेरी हसी कहाँ तू चली गयी,
कैसे समझाऊ तुझे मैं, कैसे बताऊ तुझे मैं कि है कितनी अकेली तेरी ये मीठी-ख़ुशी दुनिया के बाज़ार में, है कितनी तनहा तेरी ये मीठी-ख़ुशी लाखों -हज़ार में,
कहती है तेरी ये चाहने वाली आज भी बार-बार जो तुझसे आज भी करती है प्यारी बेशुमार
तू ही तो थी हसी मेरी,
कहती है तेरी ये चाहने वाली आज भी बार-बार जो तुझसे आज भी करती है प्यारी बेशुमार
तू ही तो थी हसी मेरी,
तू ही तो थी हर ख़ुशी मेरी, तू ही तो थी ज़िन्दगी मेरी ।
दिल में गम और आँखे नम है
दिल में गम और आँखे नम है, दूर सबसे आज हम है, है जवां है ये शाम आज भी पर जाने क्यों इस तरह तनहा हम हैं, कभी होती थी रंगीन ये ज़िन्दगी और आज अधूरी सी लगती है हर ख़ुशी, थे कभी अनजान हर दर्द से आज दर्द भरे अफ़साने के साथ जीने पर मज़बूर हम हैं, मुस्कुराते थे हर पल कभी पर आज पल पल रोते हम हैं, सोते थे चेन से रातों में कभी आज पूरी रात जागते हम हैं, अपनी वफ़ा पे गुमान था कभी आज अपनी इस वफ़ा पे अश्क बहाते हम हैं, और क्या बताऊ तुम्हे ऐ मेरे यारों कि इस दिल में कितना गम है और इसलिए ही मेरी ये आँखे नाम है…
Saturday 9 November 2013
ये जि़न्दगी क्योँ उसके बिन ही लिखी है
ये
जि़न्दगी क्योँ उसके बिन ही लिखी है जिसके बिन न तो कोई आरजू और न ही कोई
खुशी है, अधूरे है जिसके बिन अरमान मेरे, न होँगे ख्वाब भी जिसके बिन मेरे
पूरे, क्या बताऊ किसे मेँ, क्या समझाऊ तुम्हेँ मेँ जो है मेरी बन्दगी ये
जिन्दगी क्योँ उसके बिन ही लिखी है
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