फलक से एक तारा आज टूट गया
आज फिर हमराही मेरा रूठ गया
अपना बना पलको पर बैठाया जिसको
आज वही क्यों ऐसे हमसे दूर गया
फलक से एक तारा आज...............
सपनो की दुनिया से लाये थे उसे हम यहाँ
सारे सपने मेरे वो ऐसे क्यों वो तोड़ गया
पल पल जो दिल में रहा,
हर पल जिसे अपना कहा
दिल को खिलौना समझ खेल गया
आज फिर हमराही मुझसे रूठ गया
बहुत की कोशिश उसे मानाने की
फिर कोशिश करी उसे करीब लाने की
पर वो रूठे ऐसे की हम मना न सके
वो दूर गए ऐसे करीब की आ न सके
बेवफाई का दामन वो कुछ यूँ ऐसे पकड़ बैठे
हम तो रह गए तनहा वो किसी और के बन बैठे
अश्क़ मेरी आँखों से आज दिन-रात गिरते हैं
रोता है दिल जाने कितने सवाल ज़हन में उठते हैं
मोहब्बत करने वाले का हाल क्या हो गया
आज इश्क़ में कितना तू बदहाल हो गया
टूटते तारो सा टूटा है तेरा भी दिल आज
देख तू अपने को तू क्या से क्या हो गया
फलक से एक तारा...............
कितने गिराये मोती इन आँखों से
खेला हमेशा वो तेरे जज़्बातों से
हाय तड़पता कैसे तुझे आज वो छोड़ गया
इन राहों पर तनहा तुझे वो आज छोड़ गया
फलक से एक तारा आज टूट गया
आज फिर हमराही मेरा रूठ गया-२
--