Thursday, 11 October 2012

कौन है अपना और कौन पराया




"मतलब की इस दुनिया मे कौन है अपना ये ह्म जान ना पाए, कौन है अपना और कौन पराया ये पहचान ना पाए, अपनो का मुखहोटा पहने जन्म से लेकर आज तक कितने मिले मुझे, जाने कितने रिश्तों क साथ रह कर भी आज तक ह्म उन्हे पहचान ना पाए, जो लगता है कभी बेहद अपना अगले पल हो जाता है   बेगाना, यू इस तरह करीब आ कर दूर जाने की वज़ह ह्म जान नही  पाए, सुना है जन्नत है यही धरती पे अपनो के प्यार मे, पर वो अपने क्या सच मे मेरे अपने है उनके व्यवहार से ह्म ये जान नही पाए, जिसका भी हाथ थाम कर चलने की कोशिश की उसी  से ठोकरे मिली और वज़ह ह्म जान नही पाए, मतलब की इस दुनिया मे कौन अपना है ये ह्म जान नही पाए..

"matlab ki iss duniya me kaun h apna ye hm jaan na paaye, kaun h apna aur kaun paraya ye pehchan na paye, apno ka mukhota pahne janm se lekar aaj tak kitne mile mujhe, jaane kitne rishton k saath reh kar bhi aaj tak hm unhe pehchaan na paye, jo lagta h kabi behad apana agle pal ho jata h begana, yu iss tarah karib aa kar dur jaane ki wazah hm jaan nhi paye, suna h jannat h yahi dharti pe apno k pyar me, par wo apne kya sachh me mere apne h unke vyavhaar se hm ye jaan nhi paye, jiska bhi haath thaam kar chalne ki koshish ki ussi se thokre mili aur wazah hm jaan nhi paye, matlab ki iss duniya me kaun apna h ye hm jaan nhi paye..


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Thanks and Regards
   *****Archu*****

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