"ना में हिन्दू हूँ ना मुसलमान हूँ,
ना है कोई मज़सब मेरा, हर धर्म से अन्जान हूँ,
इनसान हूँ बस इन्सान मुझे रहने दो,
ऐक है अल्लाह मेरा, एक ही है बस रब मेरा,
ना बाँटो तुम उसे तो युं इन्सान की तरह,
एक है भगवान मेरा उसे तुम
छोड़ दो अब तो तुम युं झगडना, हर बात पे युं बिगडना छोड़ दो,
समझकर सबको एक समान तुम जीने दो,खुद छुओ गगन को औरों को भी छूने दो,
इन्सान हूँ बस इन्सान मुझे रहने दो-2"
समझकर सबको एक समान तुम जीने दो,खुद छुओ गगन को औरों को भी छूने दो,
इन्सान हूँ बस इन्सान मुझे रहने दो-2"
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