"दुनिया में कितनी अकेली हूँ मैं,
तन्हाइयों की एक सहेली हूँ मैं,
रहती हूँ चुप-चुप क्यों,
च्चिपाती हूँ मुश्कान के पीछे अपने ये अश्क क्यों,
बस दुनिया के लिए एक अनकही और अनसुलझी पहेली हूँ मैं,
बस एक पहेली हूँ मैं,
दुनिया में बहुत अकेली हूँ मैं,
बहुत अकेली हूँ मैं "
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