ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों युँ तो तो तुम्हें मैं पहले भी आध्यात्म का अर्थ बता चुका हूँ, किंतु आज़ तुम्हें मैं बताता हूँ मानवीय जीवन मैं आध्यात्म का क्या महत्व है??
आध्यात्म का शाब्दिक अर्थ है आत्मा का अध्यन अर्थात आ+त+म+आ= आत्मा
आ= आदी
त= तत्व
म= मैं
आ= आवश्यक, आदि, अनादि, अनंत,
अर्थात:- आदी तत्व मैं,आवश्यक, अनंत, अनादी आदी
अध्यन अर्थात मंथन गहन चिंतन,
अ+ध+य+न अध्यन
अ= आवश्क
ध= ध्यान
य= योग
न= नियम
मुझे पाया जा सकता है केवल आवश्यक ध्यान योग और नियम से,
हे मनुष्यों आध्यात्म केवल पुष्तक पड़ने और उस पर विश्वास करने से हासिल नही होता, जब तक आत्म का चिंतन नही होगा आध्यात्म की प्राप्ती नही होती,
हे मनुष्यों आध्यात्म तुम्हें मुझसे जोड़ता है, यदि तुमने आध्यात्म को समझ लिया आत्मसात कर लिया तब तुम्हें मुझसे जोड़ने से कोई नही रोक सकता,
इसलिये प्रत्येक मनुष्य के लिये आध्यात्म अति आवश्यक है, केवल आध्यात्म ही तुम्हें और पशुऔं मैं भेद करता है, केवल तुम ही आध्यात्म को आत्मसात कर मोझ को प्राप्त कर सकते हो, केवल इसके माध्यम से तुम अपने मानव जीवन के महत्व और उद्देश्य जान सकते हो।
हे मनुष्यों इसलिये केवल पुष्तकिय ग्यान (जो देश, काल, परिस्तिथी के अनुसार) परिवर्तित होते रहते है उन पर ही केवल विश्वास न कर कर श्रेष्ट गुरू जन(जो किसी धर्म, जाती, भाषा, सम्प्रदाय, रंग-रूप) का पछ न कर सम्पूर्ण मानव जाती व प्राणी जाती के हित एवँ मेरे निराकार रूप कई शिक्षा देता हो।
हे मनुष्यों यदि ऐसा कोई गुरू तुम्हें न मिले तो मुझे ही अपना गुरू बनाओ मैं ही तुम्हें आध्यात्म की दीक्षा दुँगा।"
कल्याण हो
No comments:
Post a Comment