मेरे मीत तुम्ही हो हारी हर बाजी़ की जीत तुम्ही हो,
मैं तो हूँ एक सरगम यहॉ जिसका संगीत तम्ही हो
लेता हूँ पल पल नाम तुम्हारा मेरे तो गीत तुम्ही हो
भक्तीहीन अल्पविश्वासी जगसे हारा मैं दास तुम्हारा
अधूरे से मेरे जीवन की बस प्रभु एक प्रीत तुम्ही हो
ना मानू बंधन कोई ना मानू दुनिया का रिवाज़ प्रभ
दिलसे माना जिसे अपना इस प्रेम की रीत तुम्ही हो
मेरे मीत तुम्ही हो हारी हर बाजी़ की जीत तुम्ही हो,
मैं तो हूँ एक सरगम यहॉ जिसका संगीत तम्ही हो-२
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