ऐ ज़िंदगी तू रुलाती बहुत है
ऐ ज़िन्दगी तू सताती बहुत है
देती है ज़ख़्म पग-पग मुझे तू
ऐ ज़िंदगी क्यों तू तड़पाती बहुत है
खुशी के ख्वाब भी दिखाती बहुत है
फिर अश्क़ भी इतने बहाती बहुत है
तुझे समझने की कोशिश बहुत की
ऐ ज़िंदगी क्यों तू तड़पाती बहुत है
मिला कर किसी को दूर ले जाती बहुत है
फिर भी झूठी आस तू दिखाती बहुत है
बैठ अकेले में सोचती हैं 'मीठी-खुशी'
ऐ ज़िन्दगी क्यों तू तड़पाती बहुत है
ऐ ज़िन्दगी तू सताती बहुत है
देती है ज़ख़्म पग-पग मुझे तू
ऐ ज़िंदगी क्यों तू तड़पाती बहुत है
खुशी के ख्वाब भी दिखाती बहुत है
फिर अश्क़ भी इतने बहाती बहुत है
तुझे समझने की कोशिश बहुत की
ऐ ज़िंदगी क्यों तू तड़पाती बहुत है
मिला कर किसी को दूर ले जाती बहुत है
फिर भी झूठी आस तू दिखाती बहुत है
बैठ अकेले में सोचती हैं 'मीठी-खुशी'
ऐ ज़िन्दगी क्यों तू तड़पाती बहुत है
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