क्यों दुनिया में वफ़ा से ज्यादा बेवफाई बहुत है , क्यों दुनिया में प्यार से ज्यादा रुसवाई बहुत है ,क्यों दुनिया में मुश्कान से ज्यादा आंसू बहुत है ,क्यों दुनिया में साथ से ज्यादा तन्हाई बहुत है ,क्यों दुनिया में अच्छाई से ज्यादा बुराई बहुत है, क्यों दुनिया में ख़ुशी से ज्यादा दुःख बहुत है, क्यों दुनिया में अपनेपन से ज्यादा खालीपन बहुत है ,क्यों दुनिया में इंतज़ार की जगह तकरार बहुत है ,क्यों दुनिया में प्यार के बदले हर तरफ बिखरी ये नफरत बहुत है ,क्यों दुनिया में आज ये नयापन है, दुनिया में क्यों अब अपनापन कम है, क्यों दुनिया में केवल गम ही गम है, आखिर क्यों ये दुनिया आज इतनी बेरंग है, क्यों इस दुनिया में आज हर कोई बेहरम है, क्यों आज इस दुनिया में खुशिया गम है , आखिर क्यों ,आखिर क्यों
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