Friday, 21 June 2013

अश्क बहाते रहे…

 हम वफ़ा निभाते रहे वो बेवफाई का दामन थामे रहे, हम तन्हाई में भी मुस्कुराते रहे वो रुसवाई दिखाते रहे, सोचा था हमने कभी तो ख़त्म होगा उनका ये सितम हम पर, बस ये ही सोच कर हम ज़िन्दगी लुटाते रहे वो इसे दिल बहलाने का आसन तरीका मान कर दिल अपना बहला कर हर वक्त हमे रुलाते रहे, उनकी आँखों में ख़ुशी देख कर हर पल हम भी दिल उनका रखने रखने के खातिर पूरी जिदंगी यु ही अश्क बहाते रहे…

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