Monday, 24 June 2013

ईश्वर वाणी ४ ३ (ishwar vaani 43)

ईश्वर कहते हैं यदि कोई भी व्यक्ति चाहे जिस भी रूप में प्रभु का नाम लेता है तो उसे पुण्य की प्राप्ति होती है, प्रभु कहते हैं यदि कोई दुष्ट व्यक्ति भी अपनी दुष्टतावश भी प्रभु का नाम लेता है तब भी उसे पुण्य की प्राप्ति होती है, प्रभु कहते हैं जो लोग उनकी आलोचना करते हुए भी हर समय उनका नाम जपते हैं ऐसे व्यक्ति भी मोक्ष प्राप्ति के भागी बनते हैं । प्रभु कहते हैं जाने में लिया जाना वाला ईश्वर का नाम  जितना हमे मोक्ष प्रदान करता है उससे भी अधिक अनजाने में लिया जाने वाला उनका नाम मोक्ष प्रदान करता है क्योंकि जाने में जब उनका नाम लिया जाता है तब एक स्वार्थ मन में छिपा होता है वो है खुद को मोक्ष प्राप्ति के लिए ईश्वर की स्तुति का, किन्तु अनजाने में जब प्रभु का नाम लिया जाता है तब कोई स्वार्थ भावना इससे जुडी नहीं होती और इस प्रकार अनजाने में प्रभु का स्मरण करने वाला व्यक्ति प्रभु कृपया कर पात्र बन कर अनंत मोक्ष को प्राप्त होता है,


प्रभु कहते हैं प्राचीन काल में  'रावण' 'कंश ' जैसे दुष्ट पापी राक्षश भी प्रभु हाथों न सिर्फ मारे गए अपितु अनंत मोक्ष को प्राप्त हुए, ऐसा इसलिए हुआ की भले वो अनेक पाप करते रहे हो इस पृथ्वी पर और धुर विरोधी रहे हो प्रभु के किन्तु जाने अनजाने वो हमेशा उनका नाम ले कर उनकी स्तुति करते रहते थे और इस प्रकार तमाम अनेतिक और दुष्ट कर्म करने के पश्चात भी वो मोक्ष को प्राप्त हुये। 



ईश्वर कहते हैं हमे सदा ईश्वर का स्मरण करते रहना चाहिए, हमे निह्वार्थ भाव से प्रभु की स्तुति करनी चाहिए किसी भी प्रकार का लोभ नहीं रखना चाहिए, यदि हम निःस्वार्थ भाव से प्रभु की स्तुति करते हैं एवं उनके बताये गए मार्ग पर चलते हैं तो निश्चित ही प्रभु लोक को प्राप्त कर अनन्त मोक्ष को प्राप्त करते है। 



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