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Sunday, 1 June 2014
जीना सीख लिया
ज़माने से मुझे हर दफा ज़ख्म मिले की मैंने उन्हें ही अपने जीने की वज़ह बना लिया, दुनिया से मुझे धोखे बार-बार मिले की अब उन्हें ही अपनी ज़िन्दगी बना लिया, लोगों से प्यार की जगह ज़हर हर बार मिले की अब उन्हें पी कर ही मैंने जीना सीख लिया
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