ईश्वर की इस दुनिया में मिट चुकी इंसानियत है, इंसानो के इस मुखौटो में अब छिपी हैवानियत है, अहंकार से हार कर दिल से मिट चुकी अब रूहानियत है, जख्म देख कर हस्ते है लोग सदा मन में बस्ती सबके अब शेतान्यत है, है ज़िंदा लोग जहाँ में आज पर मिट चुकी इंसानियत है, ईश्वर की इस दुनिया में मिट चुकी इंसानियत है, मिट चुकी इंसानियत है, मिट चुकी इंसानियत है .......
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