Wednesday, 17 July 2013

पौराणिक कथा- भगवन बुध की एक सच्ची घटना भाग ३ (pauranik katha- bhagwan budh ki ek sachhi ghatna bhaag 3)


बहुत पुरानी बात है एक बार भगवान् बुध किसी गाँव में पहुचे तो वह एक स्त्री ने उन्हें अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया भगवन बुध मान गए और उसके घर भोजन हेतु जाने लगे किन्तु तभी समस्त गाँव वाले वहाँ एकत्रित हो गए और कहने लगे की भगवंत आप उसके घर कृपया भोजन न करे क्योंकि ये स्त्री चरित्रहीन है और यदि आपने इसके यहाँ भोजन किया अथवा आप इसके घर भी गए  तो आप भी अशुद्ध हो जायंगे,  उनकी बात सुन कर बुध बोले भीड़ में से केवल वो ही लोग निकल कर मेरे सामने आये जो कभी भी इस स्त्री के संपर्क में ना आये हो अथवा जो कभी खुद इस स्त्री के घर ना आये हो, उनकी बात सुन कर धीरे धीर लोग वहा से जाने लगे और भीड़ भी तितर बितर हो गयी, ये देख कर उस स्त्री ने भगवन बुध से कहा की प्रभु आपने तो मुझे धन्य कर दिया, उसकी बात सुन कर प्रभु बोले कोई भी व्यक्ति किसी कार्य के लिए अकेले ही अपराधी अथवा ज़िम्मेदार नहीं होता, व्यक्ति के कर्म और व्यवहार को उसके आस पास के लोगो और उनके द्वारा तैयार वातावरण इसका प्रमुख रूप से ज़िम्मेदार होता है। 







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