Tuesday, 23 July 2013

मसीहा है ये 'एन गी ओ' सारे,

कहते हैं असहायों के मसीहा है ये 'एन गी ओ'  सारे, जब सुन अत्याचारों की भरमार कुछ  ना करने को  आगे नहीं बड़ते क़ानून के रख  वाले, जब पीड़ित  की नहीं सुनते ये क़ानून बनाने वाले, तब  हाथ बड़ा कर साथ निभाने का वादा करते ये 'एन गी ओ',  



सुने हमने भी कई कारनामे इनके, सोचा कोई तो है दुनिया में मजूलुमो की सुनने वाला, कोई तो है आखिर दुराचियों से भिड़ने वाला, मिलता जहाँ न्याय है देश में सिर्फ महलों में रहने वालों को, कोई तो है झोपड़ों में बसने वालों की सुध लेने वाला,


गुरुर था हमे की हैं नहीं अकेले इस जहाँ में, कोई तो है हमारा गरीबों का सहारा, बस इसी उम्मीद में जीते हम जा रहे थे, सोचने लगे थे अब न सहेंगे कोई अत्याचार किसी का क्यों ही है अब हमारे साथ 'एन गी ओ' मसीहा,


और आखिर आ ही गया वो दिन, जा कर किसी गहरे गढ़हे में हम जा गिरे थे, मदद के लिए लोगों को पुकार रहे थे, साँसे धीरे धीरे थमने लगी थी, आँखों की रोशनी भी अब धुंधली होने लगी थी, चोट के कारन दर्द से हम करह रहे थे, सबको अपनी मदद के लिए बहुत बुला रहे थे, पर ना आ सका कोई मदद के लिए तब ख्याल आया मसीहा 'एन गी ओ' का,


सुना था हमने जब हो मुसीबत में फसे और दूर खड़े देख रहे हो लोग तमासे तब आते हैं आगे  जरूरत मंदों के ये मसीहा, करते हैं मदद उनकी जिनकी नहीं है ये ज़माना सुनता, ये सोच कर हमने भी संपर्क  किया  उनसे साथ,


किया फ़ोन हमने और मांगी मदद जब उनकी, करते रहे फ़रियाद और की हमने उनसे जाने कितनी विनती, एक के बाद एक मसीहों से करते रहे दर्ख्यास्त और लगाते रहे जीने की आस पर कही किसी ने कहा आपका समय पूरा हो चूका है, कल जब मुसीबत में गिर जाना तब ९ बजे के बाद फ़ोन पे आना,  फिर किसी ने कहा वहा नहीं है हमारा आना जाना, और फिर किसी ने कहा हमें   बख्श दो किसी और को पकड़ो, हैं अनेको काम यहाँ पर तुम किसी और के हाथ पाँव जोड़ो,


टूटती रही हमारी साँसे और तड़पते रहे हम पर किसी को  ना आया हम पर रहम, आखिरी  सांस ज़िन्दगी की लेने  पहले  ये  जान गए  हम, जैसे सरकार का रवैया जनता के प्रति ढीला है वैसे ही मसीहा के लिए भी मदद के नाम पर झूठे मदद के वादे कर अपनी तिजोरी भरने की एक लीला है, लेती है सरकार वोट जनता से  जैसे झूठे वादे के नाम पर और मसीहा बने 'एन  गी ओ ' लूटते है लोगों को उनकी मदद के नाम पर,

नहीं है कोई भेद ,मसीहा गरीबों की बनी किसी सरकार और जनता के मददगार इन  एन गी ओ' स में मेरे प्यार, सब तो है अब  और असहाय लोगों को लूटने के हथियार  … 




                                    प्यार दोस्तों ये एक सच्ची घटना है इन एन गी ओ'स की, जो सिर्फ और सिर्फ पैसा कामे के लिए लोगों की मदद के नाम पर अपनी लूट की दूकान खोले बैठे है

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