"मत
दिलाओ याद बता के मोमोस की बात, उनसे हुई वो हसीं मुलाकात जब बैठ मोमोस खाते थे एक साथ और होते थे हाथों में हमारे फ्रूट बीअर के वो दो ग्लास, वक्त
के साथ सब कुछ कैसे बदल गया, कभी किया था वादा मोमोस साथ खाने का आज एक पल में तोड़ दिया,कहते थे कभी तुम जितना भी रहे दूर लेकिन मोमोस खाने के लिए मिलते रहेंगे हम, फ्रूट बीअर
भी साथ पिया करेंगे हम, फ्रूट बीअर और मोमोस के साथ हर लम्हा जिया करेंगे हम, आज इस कदर दूर क्यों हो गए हम, खाते थे कभी दिल्ली हाट में मोमोस एक साथ जो हम और आज खाते हैं अकेले मोमोस और तीखी चटनी के चक्तारे लेते हुए और सूप की अकेली पड़ी प्याली को देखते हैं हम तो
याद करके वो बीते हुए लम्हे बस ये ही कहते हैं जाने कहाँ गयी वो रंगीन शाम और कहाँ गए वो हसीं
दिन"
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