'खुशी' की चाहत में तन्हाई हमे मिली है
ज़िन्दगी चाही थी पर मौत हमे मिली है
'मीठी' बातें बना कर दिलमे आते है लोग
पग-पग उन्ही से बस रुस्वाई हमे मिली है
रोते थे दिन-रात जो 'खुशी' की तलाश में
हर किसीसे दर्द की सौग़ात हमे मिली है
ना चाहा बस वफ़ा के सिवा किसी से कुछ
मंज़िल हर किसी की बेवफाई हमे मिली है
किया जिसने वादा साथ निभाने का 'मीठी'
ठोकर देखो उन्ही से बेबात हमे मिली है
सोचा था तुम्हे भुला देंगे हम भी एक दिन
पर शहर में बिछी तेरी बिसात हमे मिली है
चलते हैं अकेले इन राहो में ग़मो को छिपा
दिए तेरे इन ज़ख़्मो से न रिहाई हमे मिली है
मिलते हैं हर मोड़ पर साथी तुम जैसे ही
आखिर इनमे तेरी ही परछाई हमे मिली है
खुशी' की चाहत में तन्हाई हमे मिली है
ज़िन्दगी चाही थी पर मौत हमें मिली है-२"
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