"आम्रपाली अपने समय की दुनिया की सबसे खूबसूरत बालिका थी, जो भी उसको देखता तो बस देखता रह जाता।
समय के साथ वो बड़ी हो गयी, शायद उस समय की सबसे खूबसूरत युवती थी वो, हर कोई उससे विवाह करना चाहता था, उसके माता-पिता भी उसके लिए एक योग्य वर तलाशना चाहते थे, किंतु उन्होंने देखा उसको प्राप्त करने की होड़ सी लगी पड़ी है क्या राजा क्या राजकुमार क्या व्यापारी व क्या रंक।
ऐसे में आम्रपाली के माता-पिता सोचने लगे कि किसी एक से विवाह अगर अपनी पुत्री का उन्होंने किया तो समाज मे अराजकता फैल सकती है, युद्ध व महायुद्ध हो सकते हैं, लेकिन फिर क्या करे विवाह तो पुत्री का करना ही है।
अपनी इसी चिंता में डूबे आम्रपाली के माता-पिता ने सभा रखवाई ताकि ये निर्णय हो सके कि आम्रपाली का विवाह बिना किसी परेशानी व अराजकता सम्पन्न हो सके।
सुबह से शाम हो गयी लेकिन सभा मे कोई सही निर्णय न हो पाया, लेकिन फिर नगर, समाज व विश्व समुदाय को ध्यान में रख कर ये फैसला हुआ कि आम्रपाली को 'नगर वधु(वैश्या)' बना दिया जाए जिससे हर कोई उसके साथ जब चाहे समय व्यतीत कर सके,इससे नगर व समाज मे अराजकता भी नही फैलेगी।
इस निर्णय से आम्रपाली के माता पिता को बहुत दुःख हुआ लेकिन सभा के निर्णय के खिलाफ वो नही जा सकते थे, उधर जब ये बात आम्रपाली को पता चली की उसकी खूबसूरती के कारण उसे 'नगर वधु' बना दिया गया है, वो बहुत रोई पर वोभी क्या कर सकती थी।
इस प्रकार आम्रपाली की खूबसूरती ही उसकी शत्रु बनी जिसने उसे 'नगर वधु' बनने का दंश झेला।
समय के साथ वो बड़ी हो गयी, शायद उस समय की सबसे खूबसूरत युवती थी वो, हर कोई उससे विवाह करना चाहता था, उसके माता-पिता भी उसके लिए एक योग्य वर तलाशना चाहते थे, किंतु उन्होंने देखा उसको प्राप्त करने की होड़ सी लगी पड़ी है क्या राजा क्या राजकुमार क्या व्यापारी व क्या रंक।
ऐसे में आम्रपाली के माता-पिता सोचने लगे कि किसी एक से विवाह अगर अपनी पुत्री का उन्होंने किया तो समाज मे अराजकता फैल सकती है, युद्ध व महायुद्ध हो सकते हैं, लेकिन फिर क्या करे विवाह तो पुत्री का करना ही है।
अपनी इसी चिंता में डूबे आम्रपाली के माता-पिता ने सभा रखवाई ताकि ये निर्णय हो सके कि आम्रपाली का विवाह बिना किसी परेशानी व अराजकता सम्पन्न हो सके।
सुबह से शाम हो गयी लेकिन सभा मे कोई सही निर्णय न हो पाया, लेकिन फिर नगर, समाज व विश्व समुदाय को ध्यान में रख कर ये फैसला हुआ कि आम्रपाली को 'नगर वधु(वैश्या)' बना दिया जाए जिससे हर कोई उसके साथ जब चाहे समय व्यतीत कर सके,इससे नगर व समाज मे अराजकता भी नही फैलेगी।
इस निर्णय से आम्रपाली के माता पिता को बहुत दुःख हुआ लेकिन सभा के निर्णय के खिलाफ वो नही जा सकते थे, उधर जब ये बात आम्रपाली को पता चली की उसकी खूबसूरती के कारण उसे 'नगर वधु' बना दिया गया है, वो बहुत रोई पर वोभी क्या कर सकती थी।
इस प्रकार आम्रपाली की खूबसूरती ही उसकी शत्रु बनी जिसने उसे 'नगर वधु' बनने का दंश झेला।
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