Sunday, 10 November 2019

क्यों टूट कर हम यू बिखरने लगे हैं-कविता

"क्यों टूट कर हम यू बिखरने लगे हैं
लगता है किसी की यादों में खोने लगे हैं

ये असर शायद मोहब्बत का ही है
लगता है जैसे किसीकेअब होने लगे हैं

खुश रहते हैं अब तो साथ तेरे ही हम
बिन तेरे बस अकेले में हम रोने लगे हैं

ख्याल ज़हन से जाता नही अब 'खुशी' का
'मीठी' बातों से इश्क के बीज बोने लगे हैं

दिल में थे जो छिपे अरमान जुबा आ
रुक-रुक कर बस कुछ यही कहने लगे है

भूल जाये दुनिया दारी सारी आज बस
क्योंकि ऐ हमनशीं अब तेरे हम होने लगे हैं"


🙏🙏🙏🙏

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